Jharkhand में चुनावी हलचल: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रस्तावक की BJP नेताओं से मुलाकात से मचा बवाल

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Jharkhand Election :झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के प्रस्तावक की BJP नेताओं से मुलाकात ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। यह घटना न केवल सोरेन (Soren) के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि झारखंड की राजनीति में गहरी दरारें भी पैदा कर सकती है। प्रस्तावक का महत्व चुनावी प्रक्रिया में बेहद बढ़ जाता है, क्योंकि उनका समर्थन किसी उम्मीदवार की वैधता को बढ़ाता है।

इस स्थिति में, मुर्मू (Murmu) की मुलाकात ने सवाल उठाए हैं कि क्या राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल किया जा रहा है। जनता को यह समझने की जरूरत है कि इस प्रकार की घटनाएं केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकती हैं। इससे राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ सकता है और मतदाता का विश्वास डगमगा सकता है। इसलिए, नेताओं को पारदर्शिता और नैतिकता के साथ चुनावी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, ताकि लोकतंत्र की नींव मजबूत बनी रहे।

Jharkhand Election:चुनाव में प्रस्तावक का काम बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रस्तावक वह व्यक्ति होता है जो किसी उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर अपने हस्ताक्षर करता है। यदि उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त पार्टी से है, तो केवल एक प्रस्तावक की जरूरत होती है। जबकि स्वतंत्र उम्मीदवारों या अप्रवासी पार्टियों के लिए 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया भारतीय चुनावी कानून, 1951 के तहत निर्धारित है। Airr News

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अनुसार, प्रस्तावक केवल वोटर होना चाहिए और उसे पार्टी का सदस्य होना जरूरी नहीं है। जब नामांकन पत्र पेश किए जाते हैं, तो प्रस्तावक और उम्मीदवार को उपस्थित रहना चाहिए। निर्वाचन अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि दोनों के नाम और चुनावी रोल नंबर सही हों। Airr News

झारखंड की राजनीतिक स्थिति

Jharkhand Election: झारखंड में हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के प्रस्तावक, मंडल मुर्मू (Mandal Murmu), की BJP नेताओं से मुलाकात ने राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। यह घटना चुनावी माहौल में तनाव बढ़ा रही है, खासकर जब चुनाव सिर्फ कुछ हफ्ते दूर हैं। सौरभ नामक एक स्थानीय नेता ने दावा किया कि मुर्मू (Murmu) का BJP नेताओं से मिलना, सोरेन (Soren) की नामांकन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। Airr News

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प्रस्तावक की मुलाकात पर सवाल

मंडल मुर्मू (Mandal Murmu), जो कि 1855 के संथाल विद्रोह के नेता सिधो (Sidho) और कान्हा मुर्मू (Kanhu Murmu) के वंशज हैं, ने BJP सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) से मुलाकात की। मुर्मू (Murmu) का कहना था कि वह कुछ मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिले थे, जिसमें बांग्लादेशियों का कथित “घुसपैठ” भी शामिल था। लेकिन JMM के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य (Supriyo Bhattacharya) ने आरोप लगाया कि मुर्मू (Murmu) को “अनजान लोगों” द्वारा कहीं ले जाया जा रहा था। Airr News

पुलिस की कार्रवाई पर चुनाव आयोग का रुख

Jharkhand Election: इस मामले के बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से जवाब तलब किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने मुर्मू को कैसे रोका और इसे लेकर कोई भी उचित प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। CEC ने यह भी कहा कि चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) का पालन नहीं किया गया। Airr News

नामांकन प्रक्रिया की जांच

जब नामांकन पत्रों की जांच की जा रही थी, तो यह पता चला कि यदि कोई प्रस्तावक गलत तरीके से हस्ताक्षर करता है या यदि नामांकन पत्र सही समय पर प्रस्तुत नहीं किया गया है, तो उसे खारिज किया जा सकता है। लेकिन प्रस्तावक की किसी अन्य पार्टी से मुलाकात करने से नामांकन पर कोई असर नहीं पड़ता। इस मामले में सोरेन (Soren) का नामांकन स्वीकार कर लिया गया है। Airr News

राजनीतिक ध्रुवीकरण का असर

मंडल मुर्मू (Mandal Murmu) की BJP नेताओं से मुलाकात ने राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है। JMM और BJP के बीच पहले से ही तनाव है, और ऐसे में इस प्रकार की घटनाएं स्थिति को और भी जटिल बना सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के विवाद चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। Airr News

पिछले उदाहरणों का संदर्भ

लोकसभा चुनाव में भी इस प्रकार के प्रस्तावकों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। एक उदाहरण में, कांग्रेस के सूरत (Surat) उम्मीदवार नीलेश कुंभानी (Nilesh Kumbhani) के तीन प्रस्तावकों ने कहा कि उन्होंने नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इस कारण उनका नामांकन खारिज हो गया था। इससे BJP उम्मीदवार मुकेश दलाल (Mukesh Dalal)  को निर्विरोध चुना गया। इस घटना ने कांग्रेस को यह आरोप लगाने का मौका दिया कि BJP ने प्रस्तावकों पर दबाव डाला। Airr News

जनता की राय

झारखंड की जनता इस मामले को लेकर चिंतित है। कई मतदाता इस बात को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि क्या राजनीतिक दबाव की वजह से प्रस्तावकों को अपनी राय बदलने के लिए मजबूर किया जा सकता है। यह स्थिति स्थानीय राजनीति में विश्वास को प्रभावित कर सकती है। Airr News

गौरतलब है कि चुनाव नजदीक हैं और ऐसी घटनाएं चुनावी माहौल को गर्म कर सकती हैं। प्रस्तावक का यह विवाद न केवल हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के लिए, बल्कि झारखंड की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। जनता की नजरें अब इस घटना के विकास पर हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह घटना चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है। Airr News

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