जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-NC के एक साथ आने से क्यों डरी BJP, यहां जानें दोनों दलों के साथ आने से BJP की राह में आएगी कितनी दिक्कतें?

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कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के अलायंस से जम्मू में मुस्लिम वोट का बंटवारा नहीं होने की संभावना बनती है, लेकिन यह चुनाव में जीत मिलने की गारंटी नहीं हो सकती है.- Jammu Kashmir Elections

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हाल ही में निर्वाचन आयोग ने दो राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है. इन राज्यों हरियाणा और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं. हरियाणा में भाजपा की सरकार है. कांग्रेस वहां पर मुख्य विपक्ष की भूमिका में है. लड़ाई सीधे तौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच होनी है. लोकसभा चुनाव नतीजों के आधार पर विश्लेषण किया जाए तो अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है, क्योंकि राज्य में दोनों ही दलों की पांच-पांच सीटों पर जीत मिली है. वहीं, भाजपा की पूर्व सहयोगी जेजेपी को एक भी सीट नहीं मिली.  – Jammu Kashmir Elections

लोकसभा चुनावों के दौरान जमकर वोटिंग, टूटे रिकॉर्ड

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद से अभी तक राज्य में विधानसभा के चुनाव नहीं कराए गए हैं. हालांकि, लोकसभा के दौरान जनता ने खुलकर मतदान किया था. यहां तक कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान कई साल के वोटिंग रिकॉर्ड टूट गए. जिसका यह मतलब है कि राज्य की जनता चुनावों को लेकर संजीदा है और चाहती है कि राज्य में अमन-चैन और राज्य के विकास के लिए एक चुनी हुई सरकार बने. जम्मू-कश्मीर में दो मुख्य पार्टियां हैं, जिसमें एक PDP और दूसरी पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस है. – Jammu Kashmir Elections

2018 में टूटा BJP और PDP का अलायंस

धारा 370 हटाए जाने के पूर्व राज्य में भाजपा और PDP की सरकार थी और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती थीं. लेकिन PDP के साथ अनबन की वजह से सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई थी. जिसके बाद वहां पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था और इसी दौरान धारा 370 को हटाने का फैसला हुआ. – Jammu Kashmir Elections

कांग्रेस के साथ नेशनल कांफ्रेंस का अलायंस

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए देश की दो बड़ी पार्टियां कांग्रेस और भाजपा पुरजोर कोशिश में हैं. जम्मू-कश्मीर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने नेशनल कांफ्रेंस के साथ समझौता किया है. जिसको लेकर देश में बड़ी चर्चा हो रही है. हालांकि, इसी तरह की चर्चा उस समय भी हुई थी जब भाजपा और PDP एक साथ मिलकर सरकार बनाए थे. उस समय यह कहा जाता था कि एक राष्ट्रवादी पार्टी ने अलगाववादी पार्टी के अलायंस करके सरकार बनाई है, इसको लेकर भाजपा की कड़ी आलोचनाएं होती थीं. 

कांग्रेस के फैसले की अमित शाह ने की कड़ी आलोचना

अब नेशनल कांफ्रेंस के साथ चुनाव पूर्व समझौता करके कांग्रेस वहां पर सरकार बनाना चाहती है. हालांकि, भाजपा ने अभी तक किसी तरह के समझौते का ऐलान नहीं किया और PDP ने भी किसी के साथ समझौते का ऐलान नहीं किया है. कांग्रेस के फैसले की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कड़ी आलोचना की है. 

कांग्रेस और NC के साथ कम्यूनिस्ट पार्टी 

कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ समझौते में कम्यूनिस्ट पार्टी भी भागीदार होगी. यह बात नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अबदुल्ला ने कही है.

जम्मू-कश्मीर की राजनीति को गहराई से समझने वाले विश्लेषकों का मानना है कि इस गठबंधन से जम्मू के मुस्लिम वोट के बंटने की संभावनाएं कम हो सकती हैं. साथ ही, जम्मू-कश्मीर में दोनों दलों के एक साथ आने से भाजपा की चिंताएं और चुनौतियां बढ़ गई हैं. जम्मू -कश्मीर, खासकरके कश्मीर घाटी में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के एक साथ आने से लोगों में यह संदेश गया है कि भाजपा खिलाफ दो बड़े सियासी दल एक साथ आ गए हैं.

हालांकि, राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि इन दोनों दलों ने अभी तक महज एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात सामने नहीं आई है, जिसमें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अलायंस के दौरान किसी तरह के फॉर्मूला का ऐलान नहीं किया गया है. 

कश्मीर घाटी है नेशनल कांफ्रेंस का गढ़

कश्मीर घाटी को नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ माना जाता है, तो कांग्रेस की भी नजरें वहां पर अच्छा प्रदर्शन करने की हो सकती हैं. वहीं, जम्मू क्षेत्र में 11 सीटें हैं. जहां पर मुस्लिम वोटरों की संख्या अहम भूमिका निभा सकती है. 

अलायंस से पहले संभावनाएं थीं अलग

कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के एक साथ आने के ऐलान से पहले तक यह कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा और नेशनल कांफ्रेंस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर सकते हैं. लेकिन कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ समझौते के बाद अब उन कयासों पर विराम लग गया है. 

2014 में BJP और PDP ने मिलकर बनाई थी सरकार

2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और PDP ने मिलकर सरकार बनाई थी. लेकिन यह सरकार 2018 में आपसी मतभेदों के कारण गिर गई. 2014 के विधानसभा चुनावों में PDP को 28 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली थीं. राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए कम से कम 46 सीटों की जरूरत होती है. 

PDP-NC के एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लग रहे थे कयास

2019 में जब जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया, तो इसके विरोध में दोनों की दल PDP और नेशनल कांफ्रेंस एक साथ आ गए थे, लेकिन लोकसभा चुनावों से पूर्व दोनों दलों के बीच आपसी मनमुटाव के चलते लोकसभा का चुनाव एक साथ मिलकर नहीं लड़े. 

लोकसभा चुनावों में PDP को नहीं मिली एक भी सीट

लोकसभा चुनावों में दोनों ही क्षेत्रीय दलों को नुकसान हुआ. PDP चीफ महबूबा मुफ्ती खुद चुनाव हार गईं और PDP को एक भी सीट नहीं मिली. नेशनल कांफ्रेंस को दो सीटों पर जीत मिली, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पूर्व मु्ख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला चुनाव हार गए. 

गौरतलब है कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही यहां के राजनीतिक दलों की मांग है कि राज्य के विशेष दर्जे को वापस किया जाए. सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई दलों ने सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा.
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