2024 के Lok Sabha Election जैसे जैसे नजदीक आ रहे है। वैसे वैसे तमाम राजनितिक पार्टिया अपनी अपनी जीत की दावेदारी जता रहे है। इसी क्रम में सबकी निगाहे जम्मू और कश्मीर पर है। साथ ही कई सवाल भी है जो अनसुलझे है जैसे : J&K में लोकसभा चुनाव के लिए कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा दावेदार है? और उस पार्टी का एजेंडा क्या होगा और उसका जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव होगा? अगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते हैं, तो आपको इस वीडियो को जरूर देखना चाहिए। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
हाल ही में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी DPAP के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने अपने एक बयान में जम्मू और कश्मीर में पांच लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करने की तैयारी करने को कहा है।
उनके इस ब्यान ने राजनितिक गलियारों में हलचल मचा दी है और सभी राजनितिक दल उनके इस ब्यान में छुपे उनके रणनीतिक नजरिये को समझने और उसकी काट को ढूंढने में लगे हुए है। बरसो से जम्मू और कश्मीर की जमीं से जुड़े गुलाम नबी आज़ाद एक वरिष्ठ राजनेता हैं, जिन्होंने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है। उन्होंने 2005 से 2008 तक जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला था। उन्होंने 2019 में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी DPAP की स्थापना की थी। उन्होंने इस पार्टी को जम्मू और कश्मीर के लोगों की आवाज बनाने के लिए बनाया था।
आपको बता दे कि, अपने हालिया ब्यान में उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को जम्मू और कश्मीर की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए तैयारी करने को कहा है, क्योंकि उनकी पार्टी ही वही पार्टी है, जिसे यहाँ की जनता ने दिल से स्वीकार किया है। उन्होंने कहा है कि दूसरी पार्टियों ने लोगों को झूठे वादों से बहलाया है और उनके हितों के लिए कुछ नहीं किया है।
अपनी पार्टी के अजेंडे को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि, वे लोगों के मुद्दों को सामने लाना चाहते हैं और विकास और शांति को बढ़ावा देना चाहते हैं। वे जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे, और अन्य महत्वपूर्ण मामलों के लिए लड़ना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने अपने मुख्यमंत्री के रूप में काम करते हुए कार्यो को याद कराते हुए कहा कि वे अपने उन सभी कार्यो को जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि उनका एकमात्र लक्ष्य है कि वे जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए विकास और राज्य के लिए शांति लाएं।
ऐसे में सवाल है कि उनके इस बयान से जम्मू और कश्मीर की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
क्या यह एक चुनौती है दूसरी पार्टियों के लिए?
क्या यह एक नई उम्मीद है जम्मू और कश्मीर कि जनता के लिए?
क्या यह एक नया मोड़ है जम्मू और कश्मीर के इतिहास में?
इन सवालों का जवाब जानने के लिए, हमें उनके दिए बयान को अच्छे से समझाना होगा।
आपको बता दे कि जम्मू और कश्मीर की राजनीति का इतिहास बहुत ही जटिल और विवादास्पद है। इसके अंदर कई आंतरिक और बाहरी तत्व शामिल हैं, जो इसके राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक पहलूओं को प्रभावित करते हैं। जम्मू और कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र माना जाता है, जिसमें भारत, पाकिस्तान, और चीन के बीच सीमा विवाद हैं। इसके अलावा, इसमें कई राजनैतिक दल, सामुदायिक समूह, और आतंकवादी संगठन भी शामिल हैं, जो इसके भविष्य को लेकर अलग-अलग मांगें और विचारधाराएं रखते हैं।
ऐसे में जम्मू और कश्मीर की राजनीति में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी का आगमन क्या रंग लाएगा इस पर सबकी अलग अलग राय है। डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी का आगमन जम्मू और कश्मीर की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने का दावा करता है। इस पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने 2019 में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर इस पार्टी की स्थापना की थी। उन्होंने इस पार्टी को जम्मू और कश्मीर के लोगों की आवाज बनाने के लिए बनाया था। उन्होंने कहा था कि वे इस पार्टी के जरिए जम्मू और कश्मीर के लोगों के हितों की रक्षा करेंगे और उन्हें विकास और शांति का मार्ग दिखाएंगे।
वैसे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी का एजेंडा स्पष्ट है। ये पार्टी जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा वापस दिलाना चाहती है जो 2019 में खत्म किया गया था और जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिलाना, जो 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों और स्वायत्तता की गारंटी देना जो कि 2019 से ही संदेह के घेरे में है।
हालाँकि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद, हिंसा, और अशांति को खत्म करना और शांति और समझौते की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, जम्मू और कश्मीर के विकास के लिए नई योजनाओं और परियोजनाओं को लागु करवाना, जम्मू और कश्मीर के लोगों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सुविधाओं का लाभ पहुंचाना, जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत को संरक्षित करना और उसका सम्मान करना, जम्मू और कश्मीर के विभिन्न धार्मिक, जातीय, और भाषाई समूहों के बीच सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना। जैसे मुद्दे सभी राजनितिक दलों ने अपने भाषणों में प्रमुखता से उठाये है।
ऐसे में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी का एजेंडा एक बहुत ही उच्च महत्व का और लोकप्रिय एजेंडा है, जो जम्मू और कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं और असंतुष्टियों को दर्शाता है। इस एजेंडे में वे मुद्दे भी शामिल हैं, जिनके लिए जम्मू और कश्मीर के लोगों ने लंबे समय से संघर्ष किया है, जैसे कि राज्य का दर्जा, संवैधानिक अधिकार, आतंकवाद से मुक्ति, विकास, शांति, और समझौता। इस एजेंडे का उद्देश्य है कि जम्मू और कश्मीर को एक खुशहाल, समृद्ध, और स्वावलंबी राज्य बनाया जाए, जो भारत के संघ का एक अभिन्न अंग हो।
लेकिन इस एजेंडे को पूरा करना इतना आसान नहीं है, जितना कि लगता है। इस एजेंडे को लागू करने के लिए, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी को पहले दूसरी पार्टियों के विरोध को झेलना पड़ेगा जो इस पार्टी को एक अलगाववादी और देशद्रोही पार्टी मानते हैं, और इसके एजेंडे को भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ मानते हैं।
इसके अलावा केंद्र सरकार का दबाव, जो इस पार्टी को अपने नियमों और नीतियों के अनुसार चलने के लिए मजबूर करना चाहती है, और इसके एजेंडे को बदलने या रोकने के लिए हर संभव कोशिश करती है।
साथ ही पाकिस्तान और चीन का हस्तक्षेप, जो इस पार्टी को अपने पक्ष में लाने या इसके खिलाफ भड़काने के लिए अपने एजेंटों और आतंकवादियों का इस्तेमाल कर सकते है और इसके एजेंडे को नाकाम बनाने के लिए हर तरह की साजिशें कर सकते हैं।
इन चुनौतियों को देखते हुए, हम यह कह सकते हैं कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी का एजेंडा एक बहादुर और निडर एजेंडा है, जो जम्मू और कश्मीर की राजनीति में एक नया रुख तय करने का प्रयास करता है। लेकिन यह एक असंभव और अव्यवहारिक एजेंडा भी है, जो जम्मू और कश्मीर की वर्तमान स्थिति और परिस्थितियों को नजरअंदाज करता है। इस एजेंडे को सफल बनाने के लिए, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी को अपने एजेंडे को स्पष्ट और सरल भाषा में जनता के सामने रखना, और अपने उद्देश्यों और कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से प्रचारित करके अपने एजेंडे के लिए जम्मू और कश्मीर के सभी वर्गों, क्षेत्रों, और समुदायों का समर्थन जीतने के साथ उनकी आवाजों को सुनना और सम्मानित करना होगा।
और सबसे जरुरी काम जो करना है वो है अपने एजेंडे को लागू करने के लिए केंद्र सरकार और दूसरी पार्टियों के साथ सहयोग और समन्वय करना, और उनके साथ विवाद और टकराव से बचना।
इन बातों को अगर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी निभाती है, तो वह अपने एजेंडे को जम्मू और कश्मीर के लिए एक व्यावहारिक और व्यवस्थित एजेंडा बना सकती है, जो जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है।
तो ये थी हमारी खास पेशकश जिसमे हमने जम्मू और कश्मीर कि राजनीती में आये नए बदलाव को आपके सामने पेश किया। आशा है कि आपको हमारी ये वीडियो पसंद आई होगी अगर आपको हमारा यह प्रोग्राम पसंद आया हो, तो कृपया इस वीडियो को लाइक, शेयर और AIRR न्यूज़ को जरूर सब्सक्राइब करें। आप हमें ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं। हमारे साथ जुड़े रहें, और देखते रहें AIRR न्यूज। धन्यवाद।
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