“Indian Politics and the ‘International Khan Market Gang’: An Analysis | AIRR News”

HomeBlog “Indian Politics and the ‘International Khan Market Gang’: An Analysis | AIRR...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

आज हम बात करेंगे एक ऐसे विषय पर जो न केवल भारतीय मीडिया बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया बयानों ने ‘International Khan Market Gang’ की अवधारणा को नया आयाम दिया है। लेकिन क्या पश्चिमी मीडिया का भारत के बारे में प्रसारित नकारात्मक छवि वास्तविकता से मेल खाती है? ‘खान मार्केट गैंग’ के अस्तित्व के बारे में आपका क्या मतलब है? क्या यह वाकई एक समस्या है? क्या पश्चिमी मीडिया और भारतीय मीडिया के बीच एक जटिल जुड़ाव है?आइए जानते हैं, क्या है इस गैंग का अस्तित्व, और क्या प्रभाव पड़ रहा है इससे भारतीय राजनीति और मतदाताओं के चयन पर। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। –Jaishankar politic news

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी मीडिया को फटकार लगाते हुए‘International Khan Market Gang’ को भारत-विरोधी पारिस्थितिकी तंत्र करार दिया है। भारत के प्रतिनिधित्व पर पश्चिमी मीडिया के रवैये पर टिप्पणी करते हुए, जयशंकर ने कहा कि हमें यह पूछना चाहिए कि “वे ऐसा क्यों कर रहे हैं”। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भारत में ‘खान मार्केट गैंग’ है, वैसे ही एक वैश्विक विस्तार भी मौजूद है,‘International Khan Market Gang’

“आज देश में एक विचारधारा या हकदारी प्रक्रिया है, जिसके लिए ‘खान मार्केट गैंग’ का मुहावरा बहुत अच्छा वर्णन है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक अंतर्राष्ट्रीय खान मार्केट गैंग भी है,” जयशंकर ने कहा।-Jaishankar politic news

इस ‘International Khan Market Gang’ का मतलब है कि पश्चिमी मीडिया और भारत के कुछ नागरिकों के बीच एक घनिष्ठ संबंध। जयशंकर के अनुसार, यह एक “सामाजिक रूप से आरामदायक” और “समान दृष्टिकोण वाले” लोगों का समूह है। वे एक तरह के “एलिटिस्ट वाम-अग्रवाद” विचारधारा को आगे बढ़ाते हैं।

जयशंकर ने दावा किया कि इस समूह का भारतीय राजनीति और भारतीय मतदाताओं के चयन को प्रभावित करने का एक “स्पष्ट प्रयास” है। उन्होंने कहा कि यह “निश्चित रूप से मतदान प्रभाव” है और यह केवल पश्चिमी मीडिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह “प्रेस, विश्वविद्यालय, थिंक टैंक और कभी-कभी कुछ मंत्रालयी स्तर पर भी” मौजूद है।-Jaishankar politic news

जयशंकर ने कहा कि जब भी पश्चिमी मीडिया में कोई “अन्यायपूर्ण, गलत या बहुत झुकावपूर्ण” कहानी आती है, तो उनका काम है इसका जवाब देना, लोगों को समझाना और संवाद करना। उन्होंने कहा कि वे इस तरह के “झूठे” और “गलत” प्रसारों को चुनौती देने से नहीं हिचकिचाते।

एस जयशंकर के इन दावों पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। पश्चिमी मीडिया पर उनकी आलोचना के पीछे क्या वास्तविक कारण हैं? क्या यह सच में एक “अंतर्राष्ट्रीय खान मार्केट गैंग” है जो भारत के खिलाफ षडयंत्र रच रहा है?

इस विषय पर गहन विश्लेषण करने के लिए, हमें पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत के प्रतिनिधित्व की समीक्षा करनी होगी। हमें देखना होगा कि क्या वास्तव में एक “झुकावपूर्ण” दृष्टिकोण मौजूद है या यह जयशंकर का एक आरोप मात्र है।-Jaishankar politic news

साथ ही, ‘खान मार्केट गैंग’ के अस्तित्व का भी विश्लेषण करना होगा। क्या यह वास्तव में एक समस्या है जो भारतीय राजनीति को प्रभावित कर रही है? या यह केवल एक मुहावरा है जिसका उपयोग राजनीतिक रूप से किया जाता है?

इस मुद्दे पर गहन दृष्टिकोण व्यक्त करने के लिए, हमें भारतीय और पश्चिमी मीडिया के बीच के संबंधों का भी अध्ययन करना होगा। क्या वास्तव में एक जटिल जुड़ाव है? क्या इसके पीछे कोई गहरे राजनीतिक या सामाजिक कारण हैं?

इस मुद्दे पर कई पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। यह न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है कि हम इस तरह के आरोपों और दावों को समझने और उनका मूल्यांकन करने में सक्षम हों।

आपको बता दे कि हाल ही के वर्षो में जैसे 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत की राजनीति पर बहुत सारी नकारात्मक और विवादस्पद रिपोर्टिंग कि थी।

इसी तरह 2020 में किसान आंदोलन के दौरान पश्चिमी मीडिया का रुख और भारत सरकार की प्रतिक्रिया भी विवादस्पद रही।

वही कश्मीर मुद्दे और भारत-चीन सीमा विवाद पर पश्चिमी मीडिया की कवरेज और भारत की प्रतिक्रिया पर भी पश्चिमी मीडिया के रुख और भारतीय सरकार के जवाब भी इसी श्रेणी में आते है।

इन घटनाओं में से प्रत्येक ने भारत और पश्चिमी देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है। यह मुद्दा केवल मीडिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव हैं।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के आरोप गंभीर हैं और इन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। पश्चिमी मीडिया का भारत के बारे में प्रसारित चित्रण वास्तविकता से कितना मेल खाता है, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। साथ ही, ‘खान मार्केट गैंग’ के अस्तित्व और उसके प्रभाव को भी गहराई से समझना होगा।

यह मुद्दा भारत और पश्चिमी देशों के बीच के संबंधों को प्रभावित करता है। इसलिए, इस पर गहन चर्चा और विश्लेषण की जरूरत है, ताकि हम इस मामले में सत्य को समझ सकें और इसके व्यापक प्रभावों को कम कर सकें।

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।

Extra : भारतीय राजनीति,अंतर्राष्ट्रीय मीडिया,खान मार्केट गैंग,एस जयशंकर,भारत-विरोधी पारिस्थितिकी तंत्र,Indian politics,International media,Khan Market gang,S Jaishankar,Anti-India ecosystem 

#politics #trump #news #india #conservative #republican #usa #bjp #memes #election #america #maga #congress #covid #politicalmemes #donaldtrump #vote #democrat #liberal #freedom #democrats #government #political #narendramodi #meme #rahulgandhi #instagram #bhfyp

RATE NOW
Previous article
 राजनीती के दंगल में महिलाओं के हिस्सेदारी को लेकर हमेशा से ही प्रश्न चिन्ह खड़े होते रहे हैं। महिलाओं की  हिस्सेदारी सिर्फ और सिर्फ कहने बस भर के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि उसको धरातल पर  उतारना  भी चाहिए और अमल भी करना चाहिए इसी तरह का एक कानून भी निकल कर सामने आया था नारी शक्ति वंदन अधिनियम जिसको केंद्र सरकार  लोकसभा में और फिर उसके बाद राज्यसभा में पास किया उसके बाद जिस तरह से राष्ट्रपति की मुहर के बाद यह कानून बन गया उसके बाद से ही लगातार महिलाओं के वर्ग में एक ख़ुशी साफ़ तौर पैर देखने को मिली थी हालांकि  पहले भी कई बार यह सवाल उठते रहे हैं की महिला वर्ग आज़ादी से पहले भी काफी हद तक सकिर्य  था महिलाओं की हिस्सेदारी और उसके बाद महिलाओं की आत्मनिर्भरता हमेशा से ही कायम रही है आज़ादी के युद्ध का जिक्र किया जाए या फिर तमाम युद्ध जिनमें महिलाओं की भागीदारी साफ़ तौर पर  देखने को मिली है न सिर्फ हमारे देश में बल्कि विदेशों में भी महिलाओं ने एक उच्च पद को हमेशा से ही हासिल कर रखा है अगर बात की जाए ब्रिटेन की  तो ब्रिटेन  की रानी एलिज़ाबेथ का जिक्र हो तो वह शक्तिशाली नेत्रियों में गिनी जाती हैं. तो हमारे भारत में यह कमल इंदिरा गाँधी हैं ,,, जो की हमारे देश की पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं और साथ ही साथ प्रतिभा पाटिल जो राष्ट्रपति का पदभार संभाल  चुकी हैं और अभी हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी इस लिस्ट में शामिल हैं जिन्होंने अपने कर्मों से यह साबित किया है की महिलाएं न सिर्फ घरों तक सिमित हैं बल्कि महिलाएं देश को भी चलाने  में पूरी तरह से सक्षमता के सामने आती है.. लेकिन सवाल यही उठता है की महिलाओं की राजनीती में हिस्सेदारी से आख़िरकार फर्क किसे पड़ता है.. क्या महिलाएं एक मास लेवल पर  ऑडियंस को प्रभावित कर सकती है क्या वोटर्स को प्रभावित करने में महिला उम्मीदवारों का दबदबा रहता है और महिलाएं के तरह से राजनीती में अपना दबदबा कायम कर सकती हैं वह भी उस हालत में जब आज के समय पर  ही देखा जाए तो दागी उम्मीदवारों की संख्या कई ज्यादा है यानि की कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हमारे उम्मीदवार के लिस्ट में शामिल हैं जिनके सर पर कई तरह के क़ानूनी आरोप लगे हुए हैं जो की बिहार से बाहुबली.. तो वही जौनपुर से धनञ्जय सिंह अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारते हुए नजर आये थे पहले जिनका नाम श्री कला रहती है उन्होंने अपने बाहुबली के डैम पर  अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने  की कोशिश की थी लेकिन मायावती जो की खुद एक महिलाएं को टिकट दे दिया उनका दवा था की हमारी तरफ से किसी भी तरह के बाहुबली या फिर अपराधी का समर्थन नहीं किया जाएगा… लेकिन इधर श्री कला का टिकट कटा उधर धनञ्जय सिंह की बीजेपी के सांठ  गांठ हो गई धनञ्जय सिंह का साफ़  कहना है की किसी भी तरह से उनकी पार्टी उनके नेता उनसे जुड़े हुए कार्यकर्त्ता और उनके समर्थक जितने भी उनके समर्थक हैं सभी के सभी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों की मदद करेंगे न सिर्फ इसमें जौनपुर का नाम शामिल है बल्कि उसे लोकसभा सीट का भी नाम शामिल है जिसको लेकर हमेशा से ही राजनीती में चर्चा चरम पर  रही है उसका नाम है मछली शहर मछली शहर में आपको बता दें की पिछली बार भी बसपा विधायकों की तरफ से ही खास तौर पर  दबदबा देखने को मिला था बसपा के कार्यकर्ताओं का यहाँ पर …तो वही मछली शहर के लोकसभा चुनाव को लेकर अब अटकलें लगाई जा रही हैं की बसपा के प्रत्याशी की यहाँ से छुट्टी होने वाली है साथ ही इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की तरफ से भी कोई खासा स्वराज नहीं की गई है तो साफ़ तौर पैर देखने को मिल रहा है की इस बार यह सीट बीजेपी के कहते में जाती हुई दिख रही है और खास तौर पैर बाहुबली धनञ्जय सिंह की तरफ से जो समर्थन मिला है उसके बाद से तो यह थी पूरी तरह से बीजेपी के दबदबे में पहुँच रही है लेकिन मुद्दा यह है की महिलाओं ने राजनीती में… अपना दबदबा कायम किया है और सवाल ये उठता है की क्या महिलाओं की भागीदारी से जन  सरोकार  पर एक बेड  इम्पैक्ट पड़ता है वह देखना बेहद जरुरी हो जाता है तो आपको बता दें की जिस तरह से महिलाओं की भागीदारी न सिर्फ हमारे घरों में हमारे स्कूलों में हमारे दफ्तरों में हमारे आसपास हमारे वर्ग क्षेत्र में यहाँ तक की चाय की गुमटियों पैर भी महिलाओं की जिस तरह से भागीदारी देखने को मिलती है उसी तरह से यह सवाल भी कहीं न कहीं साफ़  ही हो जाता है की जब महिलाएं हर एक क्षेत्र में बेहतर कर सकती हैं महिलाएं घर के चूल्हे से लेकर डस्टर की उलझन तक को सँभालने में पूरी तरह से सक्षम है तो इसी तरह से महिलाओं का राजनीती में उतरना एक मास लेवल पर  पूरे  देश और दुनिया को एक अच्छा सन्देश देता हुआ नजर आता है
Next article
wpChatIcon