Iran को नया राष्ट्रपति मिल गया है जिसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि दुनिया के सामने ईरान की एक नई सोशल तस्वीर दिखाई देगी…नए राष्ट्रपति मसूद पजशकियान पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के करीबी हैं…डिबेट में वे कई बार हिजाब का विरोध कर चुके हैं…उनका कहना है कि किसी को मॉरल पुलिसिंग का हक नहीं है…2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद Iran में हिजाब का विरोध हो रहा था, तब पजशकियान ने ईरान की सत्ता के खिलाफ जाते हुए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘यह हमारी गलती है…हम अपनी धार्मिक मान्यताओं को ताकत के जरिए थोपना चाहते हैं’ यह सांइटिफिक तौर पर मुमकिन नहीं है…iran-president-funding
पजशकियान ने कहा था, ‘देश में जो भी हो रहा है उसके लिए मेरे साथ-साथ धार्मिक स्कॉलर और मस्जिदें, सब जिम्मेदार हैं… एक लड़की को पकड़कर, उसे मारने की जगह सभी को आगे आकर बदलाव की जिम्मेदारी लेनी होगी’…2022 में उन्होंने ईरानी औरतों की आजादी के गाने, ‘औरत, जिंदगी, आजादी’ को अपनी रैली में इस्तेमाल किया था…ये गाना ईरान में औरतों की आजादी के लिए चलाई गई कैंपेन ‘बराए’ से है…जिसका मतलब है लव…iran-president-funding
पजशकियान ने ‘बराए’ से प्रेरित होकर अपनी कैंपेन का नाम ‘बराए ईरान’ यानी ‘फॉर द लव ऑफ ईरान’ रखा…ये कैंपेन सार्वजनिक जगहों पर किस करने और नाचने की मांग करता है…एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही पजशकियान औरतों की आजादी के हिमायती हों वे सुप्रीम लीडर खामेनेई की मंजूरी के बिना कुछ नहीं कर पाएंगे…
पजशकियान सबसे पहले 2006 में तबरीज से सांसद बने थे…वे अमेरिका को अपना दुश्मन मानते हैं…2011 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था…2012 में रईसी को राष्ट्रपति बनाने के लिए पजशकियान समेत बाकी उम्मीदवारों पर बैन लगा दिया गया था…अमेरिकी थिंक टैंक चैथम हाउस के एक्सपर्ट समन वकील के मुताबिक पजशकियान ईरान के दूसरे राष्ट्रपतियों के मुकाबले ज्यादा मॉडरेट हैं…इससे उन्हें पश्चिमी देशों से डील करने में आसानी होगी…वे Iran पर न्यूक्लियर प्रोग्राम के चलते लगी पाबंदियों में अमेरिका से कुछ रियायत हासिल कर सकते हैं…iran-president-funding
पजशकियान Iran में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स FATF को लागू करने और पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के लिए नीतियां अपनाने पर जोर देते हैं…फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है…यह अपने सदस्य देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है…ईरान 2019 से FATF की ब्लैक लिस्ट में है…इस वजह से IMF, ADB, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल बॉडी आर्थिक तौर पर ईरान की मदद नहीं करती है…iran-president-funding
पजशकियान के सत्ता संभालते ही ईरान की सोशल पॉलिसीज में बदलाव की संभावना जताई जा रही है…पजशकियान को सत्ता ऐसे वक्त मिली है, जब मिडिल ईस्ट में जंग जारी है…Iran पर आरोप लग रहे हैं कि वो लेबनान के हिजबुल्लाह के जरिए इजराइल से प्रॉक्सी जंग लड़ रहा है…हालांकि पजशकियान का इजराइल पर वही स्टैंड है जो उनके पहले के राष्ट्रपतियों का रहा है…ऐसे में दोनों के रिश्तों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा…
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