Disinvestment and Capital Receipts: Impact on Indian Economy | AIRR News

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आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे जो देश की आर्थिक नीतियों और भविष्य के आर्थिक दिशा-निर्देशों से संबंधित है। यह विषय है “विनिवेश और पूंजी प्राप्तियाँ”। इस विषय को समझने के लिए हम विभिन्न पहलुओं पर विचार करेंगे जैसे कि विनिवेश का इतिहास, वर्तमान स्थिति, इसके फायदे-नुकसान और इससे जुड़ी अन्य प्रमुख घटनाएं। तो चलिए, शुरू करते हैं।नमस्कार! आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Indian Economy update

विनिवेश का विषय Bharat अर्थव्यवस्था के लिए कोई नया नहीं है। यह एक ऐसा कदम है जो सरकार द्वारा समय-समय पर अपनाया जाता रहा है ताकि सरकारी संस्थानों में सरकारी हिस्सेदारी को कम किया जा सके और पूंजी जुटाई जा सके। इस बार, सरकार ने यह घोषणा की है कि वे अपने अंतिम बजट में विशिष्ट विनिवेश लक्ष्य निर्धारित नहीं करेंगे। इसके बजाय, विनिवेश को पूंजी प्राप्तियों के तहत श्रेणीकृत किया जाएगा।-Indian Economy update

आपको बता दे की विनिवेश का इतिहास Bharat बजट दस्तावेजों में 1991-92 से ही देखा जा सकता है, जब 2,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। तब से, यह आंकड़ा बढ़कर 2.10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी की बिक्री शामिल थी। यह न केवल सरकारी संस्थानों में हिस्सेदारी कम करने का एक तरीका है, बल्कि इससे सरकारी खजाने में भी अच्छा-खासा योगदान होता है।

वर्तमान में, सरकार ने विनिवेश को लक्ष्यों से अलग कर एक मूल्य-सृजन रणनीति अपनाई है। इसका अर्थ यह है कि अब यह प्रक्रिया एक “फायर सेल” नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित दृष्टिकोण है। सरकार का उद्देश्य अब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी को न्यूनतम करना और निजी क्षेत्र के लिए नए निवेश अवसर खोलना है।-Indian Economy update

2020 में घोषित आत्मनिर्भर Bharat पहल के तहत, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नीति ने सेक्टर्स को रणनीतिक और गैर-रणनीतिक श्रेणियों में विभाजित किया। रणनीतिक क्षेत्रों में एटॉमिक एनर्जी, स्पेस और डिफेंस, ट्रांसपोर्ट और टेलीकम्युनिकेशंस, पावर, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज, बैंकिंग, इंश्योरेंस, और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। इन क्षेत्रों में, सार्वजनिक क्षेत्र का न्यूनतम उपस्थिति बनी रहेगी, जबकि गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में सीपीएसई को निजीकरण या बंद कर दिया जाएगा।

ऐसे में विनिवेश का भविष्य Bharat अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इससे सरकारी खजाने में राजस्व का प्रवाह बढ़ सकता है, जो विभिन्न विकास परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, इससे निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक हो सकती है।

विनिवेश की प्रक्रिया में कई प्रमुख घटनाएं और व्यक्ति शामिल रहे हैं। हाल के दिनों में, आईडीबीआई बैंक और एचएलएल लाइफकेयर जैसे प्रमुख संस्थानों का विनिवेश उच्च प्राथमिकता पर रहा है। इस प्रक्रिया में कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन और व्यक्तित्व शामिल हैं, जिन्होंने अपनी भूमिकाएं निभाई हैं।-Indian Economy update

तो इस तरह विनिवेश एक महत्वपूर्ण आर्थिक नीति है, जो सरकार को अपनी संपत्तियों की बिक्री से राजस्व जुटाने में मदद करती है। वर्तमान में, सरकार ने विनिवेश को लक्ष्यों से मुक्त कर एक मूल्य-सृजन रणनीति अपनाई है, जो अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक हो सकती है। हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।

नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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