भारतीय लोकतंत्र का आधार हमारा संविधान है, जिसे डॉ. Bhimrao आंबेडकर की अध्यक्षता में बनाई गयी संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। समय-समय पर विभिन्न सरकारों ने संविधान की विभिन्न धाराओं को चुनौती दी है या उन्हें बदलने की कोशिश की है, लेकिन संविधान की महत्ता हमेशा बनी रही है। हाल ही में एक घटना ने इस मुद्दे को फिर से प्रकाश में ला दिया, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को संविधान की प्रतियां दिखाईं, जब वे 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने जा रहे थे।-Indian Democracy update
इस घटना ने देश भर में एक नई बहस को जन्म दिया। क्या भारतीय जनता पार्टी संविधान के मूल्यों को खतरे में डाल रही है? क्या विपक्ष इस मुद्दे पर जनता का विश्वास जीत पाएगा? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या संविधान की रक्षा के लिए विपक्ष की यह मुहिम सफल हो पाएगी? ये सभी सवाल हमारे लोकतंत्र के वर्तमान और भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइये इस विषय को और गहराई से समझते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने जा रहे थे, तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी सांसदों ने संविधान की प्रतियां दिखाईं। इस प्रतीकात्मक विरोध ने उस समय सभी का ध्यान आकर्षित किया। कांग्रेस पार्टी ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और कहा, “INDIA गठबंधन अपने जीवन की कीमत पर भी संविधान की रक्षा करेगा।”-Indian Democracy update
राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी, और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद विपक्ष की बेंचों की पहली पंक्ति में बैठे थे। इस दौरान, राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर संविधान पर हमला करने का आरोप लगाया और कहा कि यह उन्हें स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा किए जा रहे संविधान पर हमले की अनुमति नहीं देंगे।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि विपक्ष का संदेश जनता तक पहुंच रहा है और कोई भी शक्ति भारतीय संविधान को छू नहीं सकती और वे इसकी रक्षा करेंगे। उन्होंने अपने प्रतीकात्मक विरोध का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, “हाथों में संविधान की प्रति, दिल में इसके लिए भरोसा, दुनिया की कोई भी शक्ति इसे नष्ट नहीं कर सकती – इंडिया पूरी ताकत से इसकी रक्षा करेगा।”-Indian Democracy update
आपको बता दे कि यह विरोध उस समय हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार तीसरी बार लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। मोदी ने वाराणसी सीट से चुनाव जीता, जिसे वह 2014 से जीतते आ रहे हैं। 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद, उन्होंने संसद में अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत की।
कांग्रेस और उसके पूर्व-निर्वाचन सहयोगी, जो इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं, ने भाजपा के खिलाफ एक आक्रामक अभियान चलाया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि भाजपा सत्ता में वापस आने पर संविधान को समाप्त कर देगी। इस संदर्भ में, विपक्ष ने भाजपा के ‘400 पार’ के नारे और कुछ उम्मीदवारों के दावों को लेकर यह नरेटिव बनाया कि भाजपा संविधान के खिलाफ है।-Indian Democracy update
आगे राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे संविधान पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह द्वारा किए जा रहे संविधान पर हमले की अनुमति नहीं देंगे। हमारा संदेश जनता तक पहुंच रहा है और कोई भी शक्ति भारतीय संविधान को छू नहीं सकती और हम इसकी रक्षा करेंगे।”
भारतीय संविधान, एक ऐसा लिखित संविधान है, जो भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों, सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और राज्य के विभिन्न अंगों की शक्तियों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। संविधान का उल्लंघन या उसे कमजोर करने की कोई भी कोशिश भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकती है।
वैसे विपक्ष का काम सरकार की नीतियों और कार्यों पर निगरानी रखना और उन्हें चुनौती देना होता है। संविधान की रक्षा के लिए विपक्ष का यह कदम महत्वपूर्ण है। यह एक प्रतीकात्मक विरोध था, लेकिन इससे एक महत्वपूर्ण संदेश जनता तक पहुंचा। विपक्ष का दावा है कि भाजपा सरकार संविधान के मूल्यों को कमजोर कर रही है, और इसे रोकने के लिए जनता को जागरूक करना जरूरी है।
बाकि इस घटनाक्रम का राजनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। इससे जनता में यह संदेश गया कि विपक्ष संविधान की रक्षा के लिए तत्पर है। इससे विपक्ष की छवि को मजबूती मिली और उन्हें जनता का समर्थन प्राप्त हुआ। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस प्रतीकात्मक विरोध का आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
आपको बता दे कि संविधान के उल्लंघन के कई ऐतिहासिक उदाहरण हमारे सामने हैं। 1975 में आपातकाल के दौरान, इंदिरा गांधी सरकार ने नागरिक अधिकारों का हनन किया और संविधान को कमजोर किया। उस समय भी विपक्ष ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी और जनता ने इसका समर्थन किया था। इसी प्रकार, वर्तमान में भी विपक्ष संविधान की रक्षा के लिए संघर्षरत है।
तो इस तरह आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन मौजूदा राजनीतिक माहौल और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना भी जरूरी है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जनता जागरूक रहे और सरकार को जवाबदेह बनाए। विपक्ष का काम सरकार की नीतियों और कार्यों पर निगरानी रखना और उन्हें चुनौती देना है। संविधान की रक्षा के लिए विपक्ष का यह कदम महत्वपूर्ण है और इससे एक महत्वपूर्ण संदेश जनता तक पहुंचा है।
नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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