आज हम बात करने वाले हैं Ireland में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा के एक विवादित बयान की, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। आयरिश टाइम्स के संपादकीय लेख पर अपनी प्रतिक्रिया में मिश्रा ने पिछली सरकारों की आलोचना की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार की प्रशंसा की है। उनके इस बयान की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। -Indian Ambassador’s Controversial
ऐसे में एक राजदूत के रूप में अखिलेश मिश्रा के बयान का भारतीय राजनयिक सेवा के मानदंडों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
क्या राजदूत का यह बयान India and Ireland संबंधों पर असर डाल सकता है?
विपक्षी दलों की आलोचना के प्रति भारतीय जनता की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
और इस तरह के बयानों से भारतीय लोकतंत्र की छवि पर क्या असर पड़ता है?
आइये इस विवादित मुद्दे पर एक नजर डालते है। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
राजदूत मिश्रा ने कहा है कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अद्वितीय लोकप्रियता और सम्मान प्राप्त करते हैं। उनका निजी चरित्र और अखंडता अद्भुत है, और वह नवोन्मेषी, समावेशी शासन और सतत विकास पर चिंतन में अग्रणी हैं”। मिश्रा ने यह भी कहा कि “55 साल के शासन, जिसमें भारत में एक एकल राजवंशवादी पार्टी का पहले 30 साल का शासन भी शामिल है, के कारण भ्रष्टाचार का घोर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार हुआ है, और उसके खिलाफ संघर्ष मोदी की बढ़ती लोकप्रियता का एक प्रमुख कारक है”।
आपको बता दे कि राजदूत मिश्रा के बयान की कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है। इसपर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि “एक राजदूत से अपेक्षा की जाती है कि वह भारत सरकार का बचाव करें, लेकिन विपक्षी दलों पर पार्टी कार्यकर्ता की तरह हमला करना मर्यादित नहीं है। यह अव्यवसायिक और अपमानजनक व्यवहार है।” रमेश ने यह भी मांग की है कि मिश्रा को पद से हटाया जाए।
आयरिश टाइम्स के संपादकीय लेख में कहा गया है कि “भारत के लोकतांत्रिक प्रमाणपत्र पर गंभीर दाग लग गया है”। लेख में अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी और कांग्रेस के बैंक खातों की फ्रीज़िंग का हवाला दिया गया है। लेख में यह भी कहा गया है कि “मोदी का हिंदू राष्ट्रवाद से गले मिलना मुस्लिम विरोधी भावनाओं को भड़का रहा है”।
राजदूत मिश्रा के बयान की कई स्तरों पर आलोचना की जा रही है। कुछ आलोचकों का कहना है कि एक राजनयिक को विदेशी मीडिया में राजनीतिक बहस में नहीं पड़ना चाहिए। उनका कहना है कि मिश्रा ने अपनी सीमा लांघी है और अपनी स्थिति का दुरुपयोग करके भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप किया है।
अन्य आलोचकों का मानना है कि मिश्रा का बयान गलत जानकारी और अतिशयोक्ति से भरा है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान सरकार का एकमात्र अच्छा काम नहीं है, और मोदी सरकार ने लोकतंत्र और कानून के शासन को कमजोर किया है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि राजदूत मिश्रा के बयान को “भारत के राजनयिक कोड का उल्लंघन” माना जाना चाहिए।
मिश्रा का बयान आगामी आम चुनावों से कुछ महीने पहले आया है, और इसे भाजपा के चुनाव प्रचार का हिस्सा माना जा रहा है। मिश्रा की टिप्पणियाँ भाजपा के उस दावे के अनुरूप हैं कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार विरोधी अभियान और विकास पर ध्यान देने के कारण लोकप्रिय है।
विपक्ष ने मिश्रा के बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि यह सरकार का महिमामंडन है और वास्तविकता को विकृत करता है। उनका कहना है कि मोदी सरकार ने वास्तव में लोकतंत्र और कानून के शासन को कमजोर किया है, और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान का उपयोग विरोधियों को चुप कराने के लिए किया गया है।
बाकि एक राजनयिक के रूप में, मिश्रा को विदेशी मीडिया में राजनीतिक बहस में शामिल नहीं होना चाहिए था। उनका बयान भारतीय राजनयिक कोड का उल्लंघन है, और संभावित रूप से India and Ireland के बीच राजनयिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।
आयरिश टाइम्स ने मिश्रा के बयान को “बेहद असामान्य” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताया है। इसके अलावा, आयरलैंड के विदेश मंत्री साइमन कॉवेनी ने कहा है कि वह भारत में अपने आयरिश राजदूत से इस मामले पर रिपोर्ट मांगेंगे।
बाकि कुल मिलाकर, राजदूत मिश्रा का बयान एक राजनयिक की असावधानीपूर्ण और गैर-पेशेवर हरकत थी। उनके बयान की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है, और संभावित रूप से India and Ireland के बीच राजनयिक संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।
नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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