Indian Air Force: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने आज (19 दिसंबर) संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पायलटों के प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण कमियों को उजागर किया है. इस रिपोर्ट में 2016-2021 को कवर करने वाले प्रदर्शन ऑडिट में पुराने उपकरणों और बेसिक ट्रेनर विमान, पिलाटस पीसी-7 एमके-II में इंजन ऑयल लीक सहित गंभीर समस्याओं को चिन्हित किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैग टीम ने पिलाटस पीसी-7 एमके-II विमान के परिचालन का अध्ययन किया है, जिसका उपयोग मई 2013 से प्रशिक्षु पायलटों को ‘स्टेज-1’ उड़ान प्रशिक्षण देने के लिए बुनियादी प्रशिक्षक विमान के रूप में किया जा रहा है.
‘इंजन ऑयल लीक की समस्या आ रही है’
रिपोर्ट के अनुसार, 64 पिलाटस पीसी-7 एमके-II विमानों में से 16 (25 प्रतिशत) ने 2013 और 2021 के बीच 38 इंजन ऑयल लीक की घटनाएं हुईं थीं. भारतीय वायुसेना ने निर्माता के साथ इस मुद्दे को उठाया और अगस्त 2023 तक मामले की जांच की बात कही गई थी.
भारतीय वायुसेना की विमान आधुनिकीकरण योजनाओं में देरी के कारण परिवहन और हेलीकॉप्टर क्षेत्रों के लिए ‘चरण 2’ और ‘चरण 3’ के पायलट प्रशिक्षण प्रभावित हुए हैं.
पुराने प्लेटफॉर्म पर दी जा रही है ट्रेनिंग
हेलीकॉप्टर पायलटों को पुराने एवियोनिक्स वाले पुराने प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर जैसी ऑपरेशनल यूनिट के लिए अतिरिक्त रूपांतरण प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. ट्रांसपोर्ट पायलट प्रशिक्षण अभी भी पुराने डोर्नियर-228 विमानों पर निर्भर करता है जिनमें आधुनिक कॉकपिट नहीं होते हैं. सीएजी ने प्रशिक्षण सिमुलेटर की सीमाओं पर भी ध्यान दिया.
‘पायलटों की है कमी’
रिपोर्ट के अनुसार, पायलटों की कमी एक और चिंता का विषय है . फरवरी 2015 में, भारतीय वायुसेना ने 486 पायलटों की कमी का आकलन किया था. रिपोर्ट के अनुसार, 2016 और 2021 के बीच, 222 प्रशिक्षु पायलटों की वार्षिक भर्ती की योजना बनाई गई थी, लेकिन वास्तविक भर्ती कम हो गई, जिससे पायलटों की कमी बढ़कर 596 हो गई.