Remittances In 2024: साल 2024 में भारत पूरी दुनिया में इतिहास रचने जा रहा है. रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में भारत साल 2024 में सबसे पहले पायदान पर रहने वाले देशों में शुमार होने जा रहा है. मौजूदा वर्ष में भारत में 129 बिलियन डॉलर रेमिटेंस के जरिए आने का अनुमान है. इस सूची में भारत के बाद मेक्सिको, चीन, पाकिस्तान और फिलीपींस की बारी आती है. वर्ल्ड बैंक के अर्थशास्त्रियों ने ये जानकारी दी है. उनका कहना है कि हाई-इनकम की कैटगरी में आने वाले देशों में जॉब मार्केट में सुधार हुआ है जिसके चलते रेमिटेंस बढ़ा है.
वर्ल्ड बैंक ने रेमिटेंस का डेटा किया जारी
वर्ल्ड बैंक के अर्थशास्त्रियों ने बुधवार 18 दिसंबर, 2024 को एक ब्लॉग पोस्ट लिखा है जिसमें कहा गया कि भारत रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल है. 2024 में भारत में रेमिटेंस के जरिए 129 अरब डॉलर आने का अनुमान जताया गया है. दूसरे स्थान पर मेक्सिको है. मेक्सिको में रेमिटेंस के जरिए 68 बिलियन डॉलर आने का अनुमान है. फिलीपींस में 40 बिलियन डॉलर रेमिटेंस आएगा. वर्ल्ड बैंक के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक 2024 में कम और मिडिल-इनकम आय वाले देशों में 685 बिलियन डॉलर आधिकारिक रेमिटेंस आएगा जो कि 5.8 फीसदी ज्यादा है जबकि 2023 में 1.2 फीसदी का ग्रोथ देखने को मिला था.
चीन-पाकिस्तान भारत से पीछे
चीन और पाकिस्तान दोनों ही देश रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में भारत से काफी पीछे है. साल 2024 में चीन में रेमिटेंस के जरिए 48 बिलियन डॉलर आने का अनुमान है. जबकि पाकिस्तान को रेमिटेंस के जरिए 33 बिलियन डॉलर इस वर्ष मिलने का अनुमान जताया गया है.
क्यों बढ़ रहा रेमिटेंस
वर्ल्क बैंक के अर्थशास्त्रियों ने ब्लॉग में लिखा, कोविड-19 के बाद से ओईईसीडी (OECD) के हाई-इनकम वाले देशों में जॉब मार्केट्स में रिकवरी देखी जा रही है जो रेमिटेंस के बढ़ने की बड़ी वजह है. खासतौरसे अमेरिका में विदेशों में जन्मे वर्कर्स के रोजगार में 11 फीसदी का ुछाल देखने को मिला है जो इससे पहले कोविड महामारी के पहले फरवरी 2020 में देखने को मिला था.
क्यों रेमिटेंस है जरूरी?
विदेशों में रह हे अप्रवासी भारतीय यहां की अर्थव्यवस्था को रेमिटेंस के जरिए सबसे बड़ा सपोर्ट करते हैं. ये भारतीय दुनिया के अलग-अलग देशों में काम करते हैं और अरबों डॉलर रेमिटेंस के रूप में अपने देश भेजते हैं. अपने देश में रेमिटेंस भेजकर वे विदेशी मुद्रा उपलब्ध करा रहे होते हैं जो बेहद महत्वपूर्ण है. विदेशी करेंसी के रूप में आए रेमिटेंस से जरूरी वस्तुओं का आयात किया जाता है और साथ ही अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलती है.
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