भारत और ब्रिटेन के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए), जो कि दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक और लाभदायक कदम है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए की बातचीत कब शुरू हुई और इसके कितने दौर हो चुके हैं?”India-UK FTA – A New Era and Multiple Opportunities”
क्या आपको पता है कि इस समझौते से दोनों देशों के व्यापार और निवेश को कितना फायदा होगा? और क्या आपको लगता है कि इस समझौते को जल्द से जल्द हस्ताक्षरित करना चाहिए, या फिर इसमें और सुधार की जरूरत है?
अगर आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो बने रहिये हमारे साथ।
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। आज हम बात करेंगे भारत और ब्रिटेन के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की, जो कि दोनों देशों के बीच एक नया युग शुरू करने का संकेत है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को एक नई ऊंचाई मिलेगी, और दोनों देशों के लोगों को अधिक रोजगार, विकास और समृद्धि के अवसर मिलेंगे।”India-UK FTA – A New Era and Multiple Opportunities”
इस समझौते की बातचीत जनवरी 2022 से चल रही है, जब ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से अलग होकर एक स्वतंत्र व्यापारी बनने का फैसला किया था। तब से अब तक, दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने 14 दौर की बातचीत की है, और कई मुद्दों पर सहमति बनाई है। लेकिन कुछ मुद्दे अभी भी बाकी हैं, जिन्हें हल करने के लिए दोनों देशों को और प्रयास करने की जरूरत है।”India-UK FTA – A New Era and Multiple Opportunities”
इन मुद्दों में से कुछ हैं – भारत के द्वारा ब्रिटेन के उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क, जो कि 150 प्रतिशत तक पहुँच सकते हैं। इससे ब्रिटेन के उत्पादों की कीमत भारत में बहुत बढ़ जाती है, और उनकी मांग कम हो जाती है। ब्रिटेन चाहता है कि भारत इन शुल्कों को कम करे, ताकि ब्रिटेन के उत्पादों का भारत में अधिक निर्यात हो सके। इन उत्पादों में खाद्य पदार्थ, कारें और व्हिस्की जैसे लोकप्रिय उत्पाद शामिल हैं।”India-UK FTA – A New Era and Multiple Opportunities”
दूसरा मुद्दा है – भारतीयो को ब्रिटेन में अस्थायी रूप से व्यापार वीजा पर भेजने पर उन्हें राष्ट्रीय बीमा देना पड़ता है, हालांकि वे ब्रिटेन के पेंशन या सामाजिक सुरक्षा लाभ के लिए पात्र नहीं होते हैं। भारत चाहता है कि इस नियम को निष्पक्ष और उचित बनाया जाए, ताकि भारतीय कारोबारियों को ब्रिटेन में अधिक आसानी से काम करने का मौका मिल सके।
इन मुद्दों को हल करने के लिए भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए की बातचीत जनवरी 2022 से चल रही है, जब ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से अलग होकर एक स्वतंत्र व्यापारी बनने का फैसला किया था। तब से अब तक, दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने 14 दौर की बातचीत की है, और कई मुद्दों पर सहमति बनाई है। इस समझौते को पूरा करने का लक्ष्य दिवाली 2022 तक रखा गया था, लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक घटनाक्रम बदलने के कारण ऐसा नहीं हो पाया। अब दोनों देशों की ओर से इस समझौते को जल्द से जल्द हस्ताक्षरित करने की कोशिश की जा रही है।
वैसे इस समझौते से दोनों देशों के व्यापार और निवेश को बहुत फायदा होगा। इस समझौते के अनुसार, दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार वाले अधिकांश उत्पादों पर या तो कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा, या फिर उस शुल्क में भारी कटौती की जाएगी। इससे दोनों देशों के उत्पादों की कीमत कम होगी, और उनकी मांग बढ़ेगी। इससे दोनों देशों के व्यापार का आयात-निर्यात अनुपात सुधरेगा, और व्यापार का आकार बढ़ेगा। इसके अलावा, इस समझौते से दोनों देशों के बीच निवेश के अवसर भी बढ़ेंगे, और दोनों देशों के उद्योगों को नई तकनीक और अनुभव मिलेगा। इससे दोनों देशों के लोगों को अधिक रोजगार, विकास और समृद्धि के अवसर मिलेंगे।
इसलिए इस समझौते को जल्द से जल्द हस्ताक्षरित करना चाहिए, या फिर इसमें और सुधार की जरूरत है, यह एक विषयांतरीय और विवादास्पद प्रश्न है। कुछ लोग कहते हैं कि इस समझौते को जल्दी से जल्दी लागू करना चाहिए, क्योंकि इससे दोनों देशों को वर्तमान में चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी, और दोनों देशों के बीच एक नई साझेदारी का आरंभ होगा। लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि इस समझौते में अभी भी कुछ अनसुलझे मुद्दे हैं, जिन्हें हल करने के लिए और विचार-विमर्श की जरूरत है, और इस समझौते को बिना इन मुद्दों को हल किए ही लागू करना दोनों देशों के लिए अनुकूल नहीं होगा। इसलिए, इस प्रश्न का जवाब आपके व्यक्तिगत विचार और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
यह थी हमारी आज की वीडियो। आशा है कि आपको इस विषय पर हमारी जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपके पास इस विषय पर कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।