India-Russia Relations: An Analysis of Foreign Minister S. Jaishankar’s Russia Visit | AIRR News
भारत-रूस संबंध: विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूस यात्रा का विश्लेषण | एआईआरआर समाचार
भारत और रूस के बीच सामरिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए भारत के Foreign Minister एस जयशंकर ने रूस की पांच दिवसीय यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने रूस के उप प्रधान मंत्री देनिस मांतुरोव के साथ मुलाकात करते हुए कुदानकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के भविष्य के इकाईयों के निर्माण पर एक समझौता साइन किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार अगले कुछ वर्षों में वर्तमान 50 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है।
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भारत और रूस के बीच का संबंध एक लंबे इतिहास वाला रहा है। 1971 में भारत और सोवियत संघ के बीच शांति, मित्रता और सहयोग की संधि हुई थी जिसमें आपसी सामरिक सहयोग का भी उल्लेख था। 2000 में भारत-रूस सामरिक भागीदारी की घोषणा के बाद से, भारत-रूस संबंधों में आया एक नया मोड़ जिसमे हुई बातचीत, सुरक्षा, रक्षा व्यापार आदि के क्षेत्र में बढ़ता हुआ सहयोग भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आपको बता दे की भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों में भी इज़ाफा हुआ है। भारत और रूस यूरेशियन आर्थिक संघ को शामिल करने वाले एक मुक्त व्यापार समझौते पर भी चर्चा कर रहे हैं, जबकि यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत से हुई बातचीत के आर्थिक संबंधों में एक तेज विस्तार देखा गया है।
रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाखस्तान और किर्गिजस्तान ईईयू/ईएईयू के सदस्य देश हैं। भारत ने अपने निर्यात को रूस के लिए विविधीकृत किया है जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, उर्वरक, कोयला, हीरे, रसायन और मिट्टी के बर्तन आदि सामान शामिल हैं। नए व्यापार मार्गों का विकास जैसे कि पूर्वी सागरीय मार्ग और उत्तरी सागरीय मार्ग भी व्यापार संबंधों को गहराई से जोड़ने में दोनो देशों की रुचि को दिखाता है।
गौरतलब है कि Foreign Minister जयशंकर ने रूस के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए कई अन्य पहल भी कीं। उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ वार्ता करते हुए दोनों देशों के बीच विश्वव्यापी और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने अफगानिस्तान, इरान, सीरिया, उत्तर कोरिया और उत्तरी आइसलैंड के मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने रूस के साथ भारत के बीच एक विश्वसनीय और लंबे समय तक चलने वाले सामरिक सहयोग को बल दिया।
जयशंकर ने रूस के साथ भारत के बीच आर्थिक संबंधो को भी बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने रूस के व्यापार और उद्योग मंत्री युरी बोरिसोव के साथ भारत-रूस व्यापार और उद्योग आयोग की बैठक में शामिल होकर दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नए अवसरों का पता लगाने का प्रयास किया। उन्होंने रूस के साथ भारत के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए कई समझौते और समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए।
उन्होंने रूस के साथ भारत के बीच सांस्कृतिक और शिक्षा के क्षेत्र में भी गहराई से जुड़ने का प्रयास किया। उन्होंने रूस के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों के लिए अध्ययन के अवसरों का जायजा लिया और उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने रूस के साथ भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया और रूसी लोगों को भारत की विविधता और समृद्धि से परिचित कराया।
ऐसे में जयशंकर की रूस यात्रा एक सफल और उपयोगी यात्रा रही है जिसने भारत और रूस के बीच संबंधों को एक नई ऊंचाई तक ले जाने में मदद की है। दोनों देशों ने अपने सामरिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं और एक दूसरे के लिए विश्वसनीय और विशेषाधिकार युक्त साथी बने हैं। भारत और रूस के बीच एक एक्स फैक्टर है जो इन दोनों देशों के बीच एक लंबे समय तक चलने वाले संबंधों को संभालता है और इसे और अधिक मजबूत बनाता है।
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