आज हम आपको ले चलते हैं India-Myanmar सीमा के उस पार, जहाँ एक निर्णय ने बदल दी है दो देशों की तकदीर। जी हां आज हम बात करेंगे उस विवादित फैसले की, जिसने Mizoram’s को विरोध की आग में झोक दिया है। तो चलिए जानते हैं, क्या है वो फैसला और क्यों है इतना विवादास्पद। साथ ही जानेगे कि भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त करने का भारत सरकार का निर्णय मिजोरम में विरोध का सामना क्यों कर रहा है? ज़ो री-यूनिफिकेशन ऑर्गनाइज़ेशन (ज़ोरो) क्या है और मिजोरम में विरोध प्रदर्शनों में इसकी क्या भूमिका है? और सबसे जरुरी India-Myanmar सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को रद्द करने के भारत सरकार के निर्णय का मिजोरम पर क्या प्रभाव पड़ेगा? चलिए सुरु करते है। नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-India-Myanmar Border News
भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त करने के भारत सरकार के निर्णय का Mizoram’s में कड़ा विरोध हो रहा है।
गुरुवार को, Mizoram’s में हजारों लोग भारत सरकार के म्यांमार के साथ सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच मुक्त आवाजाही समझौते को रद्द करने के कदम के ख़िलाफ़ रैलियों में शामिल हुए। ज़ो री-यूनिफ़िकेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (ज़ोरो) द्वारा आयोजित, चम्फाई ज़िले के ज़ोखावथार और वफ़ाई गाँवों में शांतिपूर्ण रैलियाँ निकाली गईं, जिनकी सीमा म्यांमार से मिलती है।
आपको बता दे कि ज़ोरो एक मिजो समूह है जो भारत, बांग्लादेश और म्यांमार में विभिन्न जनजातियों के एक प्रशासन के तहत पुनर्मिलन की वकालत करता है।
गौरतलब है कि Mizoram’s के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने भी यह मुद्दा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाया है, हाल ही में उनसे इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है।
एफएमआर के तहत, व्यक्तियों को अंतर्राष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति है।
वैसे Mizoram’s की म्यांमार के चिन राज्य के साथ 510 किमी लंबी सीमा है, जिसमें मिजो लोगों के चिन समुदाय के साथ जातीय संबंध हैं। फ़रवरी 2021 में एक सैन्य तख्तापलट के बाद शरण मांगने वाले म्यांमार के चिन राज्य से 34,000 से अधिक व्यक्ति वर्तमान में मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं।
मिजोरम विधानसभा ने 28 फ़रवरी को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें India-Myanmar सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को समाप्त करने संबंधी केंद्र के फ़ैसले का विरोध किया गया।
वैसे आपको बता दे कि भारत और म्यांमार के हमेशा से ही घनिष्ठ संबंध रहे हैं, और दोनों देशों ने अपने रिश्ते को “सामरिक भागीदारी” के रूप में वर्णित किया है। बाकि मिजोरम ने 1950 के दशक से एक पृथकतावादी आंदोलन देखा है, और यह आंदोलन 1986 में मिज़ोरम समझौते के साथ समाप्त हुआ था।
इसके बाद फरवरी 2021 में म्यांमार में हुए एक सैन्य तख्तापलट ने म्यांमार के चिन राज्य से हजारों लोगों को मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर किया है।
वैसे भारत सरकार का एफएमआर को समाप्त करने का निर्णय कई कारकों से प्रेरित है, जिसमें दोनों देशों के बीच अवैध प्रवासन और नशीली दवाओं की तस्करी को नियंत्रित करने की इच्छा शामिल है। हालांकि, इस फैसले की मिजोरम में स्थानीय समुदायों द्वारा आलोचना की गई है, जो दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही पर इसके प्रभाव से चिंतित हैं। जिसे 10 मार्च, 2023 को, भारत सरकार ने India-Myanmar सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच एफएमआर को रद्द करने का निर्णय लिया। जिसे 1995 में स्थापित किया गया था।
लेकिन एफएमआर को जिस उदेश्य से डिज़ाइन किया गया था। उसमे हाल के वर्षों में, भारत और म्यांमार के बीच सीमा पार अवैध प्रवासन और नशीली दवाओं की तस्करी में वृद्धि हुई है।
बाकि भारत अकेला देश नहीं है जिसने ऐसी कार्यवाही कि है बल्कि इससे पहले भी दुनिया भर के कई देशों ने अपनी सीमाओं पर बाड़ लगाई है ताकि अवैध प्रवासन और नशीली दवाओं की तस्करी को नियंत्रित किया जा सके। वही अंतरराष्ट्रीय कानून संप्रभु राज्यों को अपनी सीमाओं की सुरक्षा के उपाय करने की अनुमति देता है। क्योंकि ये गतिविधिया राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।
तो इस तरह हमने जाना कि भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त करने के भारत सरकार के निर्णय को मिजोरम में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस फैसले का मिजोरम पर असर पड़ेगा और स्थानीय समुदायों के साथ-साथ India-Myanmar संबंधों पर भी इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। बाकि लोकसभा चुनाव में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ये तो चुनावी नतीजों के बाद ही सामने आ पायेगा। तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।-India-Myanmar Border News
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