पिछले कुछ वर्षों में, वैश्विक स्तर पर खनिज संसाधनों की बढ़ती मांग और उनकी आपूर्ति को लेकर कई देशों में खनिज नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। भारत में भी खनिज संसाधनों की खोज और उनके दोहन के लिए नई नीतियों और प्रक्रियाओं को अपनाया जा रहा है। इसी कड़ी में, हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत कोलकाता स्थित माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को छत्तीसगढ़ के कटघोरा में लिथियम और दुर्लभ मृदा तत्व यानि REE ब्लॉक की नीलामी ब्लॉक प्रदान किया गया। यह नीलामी 76.05 प्रतिशत प्रीमियम पर संपन्न हुई।-India Mineral Wealth update
इस नीलामी के साथ ही, केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने 21 महत्वपूर्ण और सामरिक खनिज ब्लॉकों की चौथी किस्त की नीलामी की भी शुरुआत की। ये ब्लॉक आठ राज्यों में फैले हुए हैं और इनमें ग्रेफाइट, ग्लॉकोनाइट, फॉस्फोराइट, पोटाश, निकल, पीजीई, फॉस्फेट और REE शामिल हैं।
आज हम बात करेंगे भारत के खनिज संसाधनों के दोहन की दिशा में हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम की, जिसमें कटघोरा में लिथियम और REE ब्लॉक की नीलामी का विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। इस विषय पर विस्तृत जानकारी और विश्लेषण से आप समझ सकेंगे कि यह घटनाक्रम हमारे देश की खनिज नीति और अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है।-India Mineral Wealth update
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माइकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड, जो कि तीन साल पहले स्थापित की गई कंपनी है, को छत्तीसगढ़ के कटघोरा में लिथियम और REE ब्लॉक प्रदान किया गया है। यह देश में अपनी तरह का पहला नीलामी ब्लॉक है, जिसे 76.05 प्रतिशत प्रीमियम पर प्राप्त किया गया। केंद्रीय कोयला और खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस महत्वपूर्ण घोषणा के साथ ही 21 अन्य महत्वपूर्ण और सामरिक खनिज ब्लॉकों की चौथी किस्त की नीलामी की शुरुआत की।-India Mineral Wealth update
ये 21 खनिज ब्लॉक आठ राज्यों में फैले हुए हैं और इनका कुल अनुमानित मूल्य 83,000 करोड़ रुपये है। इन ब्लॉकों में ग्रेफाइट, ग्लॉकोनाइट, फॉस्फोराइट, पोटाश, निकल, पीजीई, फॉस्फेट और REE शामिल हैं। इन महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, एलईडी मॉनिटर, इलेक्ट्रिक वाहन, विमान के पुर्जे, वाहन के पुर्जे, सोलर पैनल, सेमीकंडक्टर और विंड टर्बाइन के निर्माण में किया जाता है।
कटघोरा ब्लॉक, जो कि देश में पहली बार नीलामी के लिए प्रस्तुत किया गया था, नवंबर 2023 में घोषित किया गया। जबकि जम्मू और कश्मीर के रासी जिले में स्थित सलाल-हैमना में अन्य लिथियम रिजर्व की नीलामी को कोई टेकर नहीं मिला, जिसके चलते इसे रद्द कर दिया गया। कटघोरा ब्लॉक एक सम्मिलित लाइसेंस ब्लॉक है, जिसका मतलब है कि इसमें जी4-स्तरीय सर्वेक्षण प्राथमिक सर्वेक्षण किया गया है। केंद्रीय खनन सचिव कंथा राव ने प्रेस वार्ता में बताया कि बोलीदाता विस्तृत सर्वेक्षण करेंगे और इस रिजर्व की व्यावसायिक मात्रा का निर्धारण करेंगे। प्रारंभिक रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि वहां व्यावसायिक रूप से उपयोगी मात्रा में लिथियम मौजूद है।-India Mineral Wealth update
पहली किस्त में नीलामी किए गए 20 ब्लॉकों में से 18 ब्लॉकों में मोलिब्डेनम, ग्लॉकोनाइट, क्रोमियम, लिथियम, निकल, पोटाश, और फॉस्फोराइट जैसे महत्वपूर्ण खनिज शामिल थे। हालांकि, निजी क्षेत्र की प्रतिक्रिया निराशाजनक रही और मंत्रालय को 20 में से 13 ब्लॉकों की नीलामी रद्द करनी पड़ी। शेष सात में से, छह ब्लॉकों के लिए बोलीदाता घोषित किए गए, जिसमें कटघोरा रिजर्व शामिल था।
पहली किस्त में अन्य बोलीदाताओं में अग्रसेन स्पंज प्राइवेट लिमिटेड, कुंदन गोल्ड माइंस प्राइवेट लिमिटेड, डालमिया भारत रेफ्रैक्टोरीज लिमिटेड और सागर स्टोन इंडस्ट्रीज शामिल थे, जिन्हें क्रमशः ओडिशा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में ग्रेफाइट और मैंगनीज ब्लॉक प्रदान किए गए।
आपको बता दे कि लिथियम और REE ब्लॉक की नीलामी भारत के खनिज संसाधनों के दोहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लिथियम, जो कि इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी तकनीक में एक प्रमुख घटक है, की मांग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रही है। इस नीलामी से भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी।
कटघोरा ब्लॉक का चयन और नीलामी करना यह दर्शाता है कि भारत अब उन खनिजों के दोहन के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है जो भविष्य की प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह कदम न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि देश में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। सबसे पहले, निजी क्षेत्र की ओर से कमजोर प्रतिक्रिया यह संकेत देती है कि खनिज नीतियों में कुछ सुधार की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि नीलामी प्रक्रिया पारदर्शी हो और बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए उचित प्रोत्साहन प्रदान किया जाए।
दूसरे, खनिज दोहन के पर्यावरणीय प्रभावों को भी ध्यान में रखना होगा। लिथियम और अन्य दुर्लभ खनिजों का खनन पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि खनन प्रक्रियाएं सतत विकास के सिद्धांतों के अनुरूप हों और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को ध्यान में रखकर लागू की जाएं।
भारत में खनिज संसाधनों के दोहन और उनकी नीलामी की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुई हैं। उदाहरण के लिए, झारखंड के कोयला ब्लॉकों की नीलामी, जिसमें सरकार ने पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों को अपनाया।
उसी तरह, उड़ीसा में लौह अयस्क के ब्लॉकों की नीलामी भी एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने राज्य को बड़े पैमाने पर राजस्व अर्जित करने में मदद की। इन नीलामियों ने न केवल खनिज संसाधनों के दोहन को बढ़ावा दिया, बल्कि राज्यों के विकास और रोजगार के नए अवसरों को भी बढ़ावा दिया।
तो इस तरह लिथियम और REE ब्लॉक की नीलामी भारतीय खनिज नीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह कदम न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति देगा। हालांकि, खनिज नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता, पर्यावरण संरक्षण और निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर सुधार की आवश्यकता है।
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