वर्ष 2024 में, India-China के बीच वीजा संख्या में आई भारी गिरावट ने वैश्विक और राजनीतिक मंच पर सभी का ध्यान खींचा है। 2019-20 में जहां लगभग 2,00,000 चीनी नागरिकों को भारतीय वीजा जारी किए गए थे, वहीं 2024 में यह संख्या मात्र 2,000 तक सीमित हो गई। यह घटना सिर्फ दो देशों के बीच की यात्रा की कठिनाइयों का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसमें दोनों देशों के संबंधों की जटिलता, गहराते विवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंताओं का प्रतिबिंब भी है। इस विषय पर हम कई सवाल उठा सकते हैं कि क्यों अचानक वीजा संख्या में इतनी भारी कमी आई? क्या इसके पीछे के कारण सिर्फ सुरक्षा चिंताओं तक सीमित हैं या इसके पीछे कोई और गहरा कारण है? और सबसे महत्वपूर्ण, भविष्य में India-China के रिश्ते कैसे आकार लेंगे?-India-China Relations news
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। आज हम बात करेंगे India-China के संबंधों में आए उतार-चढ़ाव और 2024 में चीनी नागरिकों को जारी किए गए वीजा में आई भारी कमी के बारे में।-India-China Relations news
2019-20 में, कोविड महामारी और गलवान संघर्ष से पहले, लगभग 2,00,000 चीनी नागरिकों को भारत ने वीजा जारी किया था। लेकिन 2024 में, यह संख्या घटकर मात्र 2,000 रह गई। इसके पीछे का मुख्य कारण चीनी नागरिकों के भारत आने के लिए किए गए संरचनात्मक स्क्रीनिंग को माना जा रहा है।
15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख में हुई गलवान झड़प के दौरान 20 भारतीय सैनिकों ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए जान गंवाई। इस संघर्ष में कुछ चीनी सैनिक भी मारे गए, लेकिन उनकी संख्या का खुलासा नहीं किया गया। इस घटना के बाद, भारत-चीन संबंधों में गिरावट आ गई और चीन के विस्तारवादी इरादों ने स्थिति को और पेचीदा बना दिया।
आपको बता दे कि गलवान संघर्ष ने भारत-चीन संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया है। इसके बाद से ही भारत ने अपनी सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी और दोनों देशों ने अपने-अपने क्षेत्रों में भारी सैन्य उपकरण तैनात किए। दोनों देशों के बीच की कूटनीतिक बातचीत में ठहराव आ गया और नवंबर 2019 में ब्राज़ील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी नेता शी जिनपिंग के बीच कोई पूर्ण द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई।
वैसे हाल के महीनों में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगभग 1,000 वीजा चीनी नागरिकों को जारी किए गए हैं और 1,000 वीजा की प्रोसेसिंग चल रही है। यह वीजा भी सख्त स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही जारी किए गए हैं।
हालाँकि गलवान संघर्ष से पहले, भारत-चीन संबंध तुलनात्मक रूप से स्थिर थे, बाकि बीच-बीच में सीमावर्ती विवाद होते रहे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चलते आ रहे हैं। हालांकि, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार के लिए दोनों देशों ने समय-समय पर प्रयास किए हैं।
ऐसे ही ऐसी कई और घटनाएं भी हुई हैं जो भारत-चीन संबंधों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। डोकलाम संकट जो 2017 में हुआ के दौरान भी दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था। उस समय भी सीमा पर दोनों देशों ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया था।
तो इस तरह भारत-चीन संबंधों में आए उतार-चढ़ाव, विवाद और जटिलताओं ने दोनों देशों के भविष्य के संबंधों पर सवाल खड़े किए हैं। सुरक्षा चिंताओं, राष्ट्रीय हितों और कूटनीतिक प्रयासों के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। भविष्य में दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
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