विश्व व्यापार संगठन में चीन को मात, IFD पर india की रोक, BRI से जुड़े स्वार्थ पर कसेगी नकेल..

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 विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WTO के मंच पर india ने चीन की तरफ से पेश IFD पर रोक लगा दी…जिससे चीन को बड़ा झटका लगा है…india के अलावा दक्षिण अफ्रीका ने भी चीन के खिलाफ आवाज उठाई जिससे चीन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं…IFD पर रोक के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानि BRI और इससे जुड़े स्वार्थ पर नकेल कसी जा सकेगी जो चालबाज चीन की विस्तारवादी नीति पर बड़ी चोट है…-india and china latest news

 विश्व व्यापार संगठन में चीन को मात, IFD पर india की रोक, BRI से जुड़े स्वार्थ पर कसेगी नकेल-india and china latest news

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WTO के मंच पर india ने चीन की तरफ से पेश IFD पर रोक लगा दी…जिससे चीन को बड़ा झटका लगा है…india के अलावा दक्षिण अफ्रीका ने भी चीन के खिलाफ आवाज उठाई जिससे चीन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं…IFD पर रोक के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानि BRI और इससे जुड़े स्वार्थ पर नकेल कसी जा सकेगी जो चालबाज चीन की विस्तारवादी नीति पर बड़ी चोट है…

india ने विश्व व्यापार संगठन के सामने चीन की तरफ से पेश IFD पर रोक लगा दी है…WTO में चीन के नेतृत्व वाले निवेश सुविधा विकास समझौते यानि IFD पर रोक लगाने के बाद आई खबर के मुताबिक अब इस प्रस्ताव का उल्लेख अंतिम परिणाम में नहीं होगा…मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के अंतिम परिणाम दस्तावेज के बारे में आधिकारिक सूत्रों ने कहा, ‘india और दक्षिण अफ्रीका ने WTO में IFD प्रस्ताव पर रोक लगा दी..india ने कहा कि इस वैश्विक संगठन को केवल व्यापारिक मुद्दों से निपटने पर फोकस करना चाहिए…जिससे चीन अपनी चालबाजी में कामयाब ना हो सके…

साल 2017 में हुई शुरुआत के बाद से ही IFD जैसे समझौते WTO के अनुबंध 4 के अंतर्गत आते हैं…ये कई देशों के बहुपक्षीय समझौतों से संबंधित होते हैं…WTO के अनुसार, विकास के लिए निवेश सुविधा यानि IFD की पहल 2017 में शुरू की गई…इसका मकसद मूल रूप से विकासशील और सबसे कम विकसित डब्ल्यूटीओ सदस्यों की मदद करना है…IFD के तहत निवेश और व्यापार के माहौल में सुधार लाना भी है…अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में निवेश, दैनिक व्यवसाय का संचालन और अपने संचालन का विस्तार आसान बनाने के लिए IFD का इस्तेमाल किया जाता है…इससे वैश्विक समझौता विकसित करने में मदद मिलती है…लेकिन चीन उसका लगातार दुरुपयोग कर रहा है जिसपर लगाम लगाना जरूरी था…

चीन के नेतृत्व वाले 123 सदस्यीय समूह WTO ने इस निवेश सुविधा विकास समझौते यानि IFD को आगे बढ़ाने का प्रयास किया…हालांकि india ने फोरम के सामने अपना दृढ़ रुख दिखाया और कहा कि IFD गैर-व्यापार मुद्दा है…india v के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका ने भी WTO के मंच पर IFD पर रोक लगाने की मांग की…IFD बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव  यानि BRI में शामिल देशों के बीच एक समझौता है…इसका नेतृत्व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं…इसमें निहित स्वार्थों को देखते हुए IFD पर रोक बेहद अहम मानी जा रही है…

WTO के अनुसार, 123  सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्रियों ने 25 फरवरी को विकास के लिए निवेश सुविधा IFD समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एक संयुक्त मंत्रिस्तरीय घोषणा की…WTO अधिकारी ने कहा कि india का मानना है कि WTO को केवल व्यापार से संबंधित मुद्दों से निपटना चाहिए…IFD गैर-व्यापार मुद्दा है, समूह इस प्रस्ताव को WTO के अनुबंध 4 के माध्यम से लाना चाहता है…इसके तहत आने पर IFD जैसा प्रस्ताव केवल हस्ताक्षरकर्ता सदस्यों के लिए बाध्यकारी होगा…जिन सदस्यों ने इसका विरोध किया उनपर इसका असर नहीं होता…यानि india ने अपना कोई नुकसान किए बिना चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर रोक लगा दिया जिससे जिनपिंग तिलमिलाए हुए हैं…

क्या चीन गुस्से में कोई और गलत कदम उठाएगा?

चीन को मिले इस झटके से उसे आर्थिक रूप से कितना नुकसान होगा?

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