हरियाणा में, BJP अपनी चुनावी रणनीति को बदल रही है और अब दलितों और ओबीसी पर ज्यादा फोकस कर रही है। पीएम मोदी कांग्रेस को दलित विरोधी कहकर उनकी आलोचना कर रहे हैं और पार्टी के अंदर के चल रहे द्वंद को सबके सामने ला रहे हैं। BJP ने नायब सिंह सैनी, जो एक ओबीसी नेता हैं, उनको मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है, ताकि वे इन वोटरों को आकर्षित कर सकें। पिछले चुनावों में कांग्रेस और AAP से हुई हार के चलते, BJP समुदाय के मुद्दों पर फोकस करके फिर से सपोर्ट पाने की कोशिश कर रही है।
हरियाणा में, BJP अपनी चुनावी रणनीति बदल रही है। अब वे दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। ये समूह राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं और चुनाव परिणामों पर असर डाल सकते हैं।
कांग्रेस की आलोचना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में रैलियों में बोल रहे हैं। वे कांग्रेस पार्टी पर “दलित विरोधी” होने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी कहते हैं कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उन्होंने दलितों और ओबीसी की मदद नहीं की। वे यह भी कहते हैं कि कांग्रेस के शासन के दौरान दलितों के खिलाफ कई हिंसा की घटनाएं हुईं।
कांग्रेस में तनाव
BJP कांग्रेस पार्टी में चल रहे मुद्दों को भी उजागर कर रही है। कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा (जो जाट हैं) और कुमारी शैलजा (जो दलित हैं) के बीच टकराव है। BJP यह दिखाना चाहती है कि कांग्रेस इन समूहों को एकजुट नहीं कर सकती। यह विभाजन BJP के लिए दलितों से अधिक समर्थन प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
नए नेताओं का सामने आना
BJP ने नायब सिंह सैनी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया है। सैनी ओबीसी समुदाय से हैं, और BJP को लगता है कि इससे उन्हें अधिक ओबीसी मतदाता मिलेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किनारे किया जा रहा है क्योंकि उन पर लोगों से ठीक से जुड़ने में कमी का आरोप है।
पार्टी वर्कर्स से कनेक्शन
हरियाणा में कई BJP कार्यकर्ता सैनी के प्रति उत्साहित हैं। उन्हें लगता है कि उनके पास तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और उनकी चिंताओं को सुनने के लिए तैयार हैं। यह आगामी चुनावों में समर्थन जुटाने के लिए महत्वपूर्ण है। कार्यकर्ताओं को विश्वास है कि अगर सैनी को पहले अधिक समय मिलता, तो पार्टी आज बेहतर स्थिति में होती।
राज्य के वोटर्स की संख्या पर पकड़
हरियाणा में वोटर्स पर पकड़ मजबूत बनाना भी जरूरी है। ओबीसी लगभग 33% हैं, जाट लगभग 26-27% हैं, और दलित करीब 21% हैं। BJP का लक्ष्य ओबीसी और दलितों के मतों को एकत्रित करना है, खासकर उन विधानसभा क्षेत्रों में जहां पर इनकी संख्या अधिक है।
पिछले चुनावों से सीख
पिछले चुनावों में, BJP ने दलित मतों का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के गठबंधन को खो दिया। पिछले नतीजों का विश्लेषण करने पर, उन्होंने देखा कि कांग्रेस उच्च दलित आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक सीटें जीत गई। BJP अब इन मतों को वापस जीतने का प्रयास कर रही है।
वर्तमान राजनीतिक आउटलुक
आगामी विधानसभा चुनाव अलग होंगे। कांग्रेस और AAP इस बार एक साथ नहीं हैं। यह विभाजन BJP को विपक्ष के मतों को आकर्षित करने का मौका देता है। अन्य दल, जैसे INLD और BSP भी चुनाव में हैं, जो और भी मतों को विभाजित कर सकते हैं।
विरोधों का समाधान
BJP के लिए एक और चुनौती किसानों का विरोध है। कई BJP नेताओं को अपनी चुनावी सभाओं के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा। इसके जवाब में, पार्टी दलितों और ओबीसी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि इससे वे ग्रामीण मतदाताओं के साथ फिर से जुड़ सकेंगे।
गैर-जाट मतों को मजबूत करना
BJP की रणनीति गैर-जाट मतों को एकत्रित करना है, खासकर ओबीसी और दलितों के बीच। सैनी को एक ऐसे नेता के रूप में पेश करके, जो उनकी जरूरतों को समझता है, पार्टी विश्वास वापस प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। BJP यह दिखाना चाहती है कि वे सभी समुदायों की चिंता करती हैं, न कि सिर्फ जाटों की।
वादे करना
BJP दलितों और ओबीसी के जीवन में सुधार करने के लिए वादे कर रही है। वे शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय में बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने का आश्वासन दे रहे हैं। इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके, वे इन समुदायों के दिलों में जगह बनाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि हरियाणा में BJP की चुनावी रणनीति दलितों और ओबीसी पर केंद्रित है। कांग्रेस की आलोचना करके, नए नेतृत्व को पेश करके और सामुदायिक चिंताओं को संबोधित करके, वे समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। जनसंख्या और वर्तमान राजनीतिक स्थितियों को समझना BJP के लिए आगामी चुनावों की तैयारी में महत्वपूर्ण है।
#bjp #loksabhaelection #hariyanaelection #narendramodi #airrnews