Impact of the Financial Dispute between the Centre and Karnataka

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केंद्र और Karnataka के बीच एक बार फिर से वित्तीय विवाद उभरा है और इसका राज्य की आर्थिक स्थिति और विकास पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं कर्नाटक सरकार के उस दावे की, जिसके अनुसार केंद्र ने राज्य को उसके हक का वित्तीय सहायता नहीं दी है और इससे राज्य को नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्या है इनके दावों का राज ? बताएँगे सब कुछ बस बने रहिये हमारे साथ।  नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दिसंबर 2023 में एक घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि वे किसानो की फसल के नुकसान की मुआवजे की पहली किस्त राज्य सरकार खुद के बजट से देंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सूखे के लिए किसानों को राहत देने में देरी कर रहा है और इसके लिए वह जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके राजस्व मंत्री कृष्ण ब्यारे गौड़ा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुआवजे की राशि जारी करने के बारे में बात की थी, लेकिन केंद्र से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला था।

वही वित्त मंत्री सीतारमण ने सिद्धारमैया के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र की तरफ से कर्नाटक के लिए कुछ भी बकाया नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही राज्यों को फंड देता है और कोई भी वित्त मंत्री इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

बाकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 में GST के रूप में केवल 11,917 करोड़ रुपये ही दिए हैं, जबकि कर्नाटक सरकार को GST के रूप में 18,289 करोड़ रुपये की हकदारी थी। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को GST के रूप में 6,372 करोड़ रुपये कम दिए हैं।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को अन्य कर संग्रह के रूप में भी कम पैसे दिए हैं। उदाहरण के लिए, केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को वित्त वर्ष 2020-21 में राज्यों के लिए वित्तीय सहायता के रूप में केवल 31,180 करोड़ रुपये ही दिए हैं, जबकि कर्नाटक सरकार को इसके लिए 36,786 करोड़ रुपये की हकदारी थी। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को इसके रूप में 5,606 करोड़ रुपये कम दिए हैं।

इस प्रकार, केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को GST और अन्य कर संग्रह के रूप में कुल मिलाकर 11,978 करोड़ रुपये कम दिए हैं, जो कि कर्नाटक की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डालता है। कर्नाटक सरकार ने केंद्र सरकार से इन पैसों की जल्दी से जल्दी रिहाई की मांग की है, ताकि वह अपने राज्य में विकास के प्रोजेक्ट्स और जनहित के कार्यों को आगे बढ़ा सके।

बाकि केंद्र सरकार ने 2022 में राज्यों को उनका जीएसटी मुआवजा देना बंद कर दिया था।

इस प्रकार, केंद्र और कर्नाटक के बीच एक वित्तीय विवाद का मुद्दा उठा है, जिसका राज्य की आर्थिक स्थिति और विकास पर गहरा असर पड़ रहा है। कर्नाटक देश का दूसरा सबसे ज्यादा कर उत्पन्न करने वाला राज्य है और इसके लिए उसे उचित वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए। लेकिन केंद्र की ओर से दावा है कि वह किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं कर रहा है और सभी राज्यों को उनके हक का फंड दे रहा है।

वैसे इस विवाद के पीछे का कारण यह माना जा रहा है कि केंद्र और कर्नाटक के बीच वित्तीय आवंटन के मानदंडों में मतभेद है। कर्नाटक सरकार का कहना है कि वह अपनी आय का अधिकांश केंद्र को देती है, लेकिन उसे वापस उसका उचित हिस्सा नहीं मिलता है। वह यह भी दावा करती है कि केंद्र ने उसे 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार जो फंड देने थे, वह भी नहीं दिए हैं।

लेकिन केंद्र का पक्ष है कि वह वित्त आयोग की सिफारिशों का पालन करता है और राज्यों को उनकी जनसंख्या, गरीबी, विकास की दर और अन्य कारकों के आधार पर फंड देता है। वह यह भी कहता है कि कर्नाटक को अन्य राज्यों की तुलना में अधिक फंड दिए गए हैं और वह किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करता है।

इस विवाद का दूसरा कारण यह है कि केंद्र और कर्नाटक के बीच राजनीतिक टकराव है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, जबकि केंद्र में भाजपा की। दोनों पार्टियों के बीच अक्सर आरोप-प्रत्यारोप होते रहते हैं। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने कर्नाटक में अपनी सरकार बनाने के लिए विधायकों को खरीदने की कोशिश की थी, जिससे राज्य में राजकीय संकट पैदा हुआ था। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में भ्रष्टाचार, अराजकता और विकास की कमी को फैलाया है।

इस विवाद का तीसरा कारण यह है कि केंद्र और कर्नाटक के बीच प्राकृतिक आपदाओं के मुद्दे पर असहमति है। कर्नाटक में पिछले कुछ वर्षों में बार-बार सूखा, बाढ़ , भूकंप जैसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे किसानों और आम जनता को बहुत नुकसान हुआ है। कर्नाटक सरकार ने केंद्र से इन आपदाओं के लिए राहत और मुआवजे की मांग की है, लेकिन उसे इसका पूरा लाभ नहीं मिला है। केंद्र ने कहा है कि वह राज्यों को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत फंड देता है, जो कि एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया है।

इन तीनों कारणों के कारण, केंद्र और कर्नाटक के बीच वित्तीय विवाद बढ़ता जा रहा है, जिससे राज्य के लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस विवाद का एक सकारात्मक समाधान निकालने के लिए, दोनों पक्षों को एक दूसरे का सम्मान करना होगा और एक दूसरे की चुनौतियों और आवश्यकताओं को समझना होगा। वह एक दूसरे से सहयोग करने के लिए तैयार होना चाहिए और एक न्यायपूर्ण और व्यावहारिक ढांचे पर बातचीत करना चाहिए।

आशा है कि आपको यह कार्यक्रम पसंद आया होगा। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो, तो कृपया इसे लाइक, शेयर और AIRR न्यूज़ को यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फॉलो ,सब्सक्राइब और लिखे जरूर करें।  नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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