एक ऐसी घटना जिसने देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र को बड़ा झटका दिया है। यह घटना है ICICI बैंक-वीडियोकॉन लोन घोटाला, जिसमें बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत प्रमुख आरोपी हैं। तो चलिए, शुरू करते हैं इस विशेष कार्यक्रम को, और जानते हैं कि आखिर क्या है यह घोटाला और कैसे यह देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।
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ICICI बैंक-वीडियोकॉन लोन Scam, जिसमें बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को प्रमुख आरोपी बताया गया हैं।
इस घोटाले में आरोप है कि चंदा कोचर ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन देने के बदले में उनके पति की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश करवाया। जब इस निवेश पर आरोप लगे तो चंदा कोचर ने अपने पति को इस कंपनी से अलग कर दिया और उसे पिनाकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम से एक नई कंपनी में स्थानांतरित कर दिया।
इस घोटाले की जांच करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2019 में एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ उनकी कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने उन्हें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और साजिश के अधीन भारतीय दण्ड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपित किया था।
आपको बता दे कि 2022 के दिसंबर में सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने पेश किया गया था, जहां सीबीआई ने उनकी हिरासत की मांग की थी। सीबीआई ने यह आरोप भी लगाया था कि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है और उन्हें दूसरे आरोपियों के साथ कानूनी प्रकिर्या का सामना करने की जरूरत है।
लेकिन हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और उन्हें अंतरिम जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने सीबीआई की कार्रवाई को “अवैध” और “बिना सोचे-समझे” बताया और कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है।
जनवरी 2023 में हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश की पुष्टि करते हुए चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत की गिरफ्तारी को “अवैध” घोषित किया और उनकी याचिका को मंजूरी दे दी।
इस घोटाले का प्रभाव बैंकिंग क्षेत्र पर भी पड़ा है। ICICI बैंक ने चंदा कोचर को 2009 से 2018 तक दिए गए सभी बोनस वापस लेने का फैसला किया है। बैंक ने उनके खिलाफ अन्य कार्रवाई करने का भी अधिकार सुरक्षित रखा है। बैंक ने यह भी कहा है कि वह वीडियोकॉन समूह को दिए गए लोन को बैंक फ्रॉड के रूप में चिह्नित करेगा और उसकी वसूली के लिए कदम उठाएगा।
इस घोटाले की वजह से वीडियोकॉन समूह को भी बड़ा नुकसान हुआ है। वीडियोकॉन की कई कंपनियों को निर्वासन का सामना करना पड़ा है। वीडियोकॉन के कर्जों की वसूली के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने उनकी दिवालियापन प्रक्रिया शुरू की है। वीडियोकॉन के दिवालियापन के तहत, उनके कर्जदारों को उनकी संपत्ति का केवल 5 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।
इस घोटाले का भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या इससे बैंकिंग क्षेत्र में विश्वास कम होगा? क्या इससे व्यापारियों को लोन मिलने में दिक्कत होगी? क्या इससे निवेशकों का भारत में निवेश करने का मन खराब होगा? क्या इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में नई ऊर्जा मिलेगी? ये सभी सवाल इस घोटाले के बाद उठ रहे हैं।
इस घोटाले के बाद बैंकिंग क्षेत्र में नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य कर दिया था। जिसमे बैंकों को लोन देने से पहले उचित जांच-पड़ताल और अपने अधिकारियों के आचरण पर नजर रखनी सुरु कर दी। वैसे बैंकों को अपने ग्राहकों को पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ सेवा देनी चाहिए। बैंकों को अपने लाभ के लिए देश की हित को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
इस घोटाले के बाद, हमें उम्मीद है कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधार होगा। हमें उम्मीद है कि इस घोटाले के जिम्मेदारों को सजा मिलेगी। हमें उम्मीद है कि इस घोटाले से हम सब सीखेंगे।
यह था आज का विशेष कार्यक्रम, आशा है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको इस कार्यक्रम के बारे में कोई सुझाव या टिप्पणी हो, तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। साथ ही अगर आपको हमारा यह प्रोग्राम पसंद आया हो, तो कृपया इस वीडियो को लाइक, शेयर और AIRR न्यूज़ को जरूर सब्सक्राइब करें। आप हमें ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं।
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