नमस्कार आप देख रहे हैं Airr News…आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की जिसने garbage यानि कचरे के सहारे खुद को करोड़पति बना दिया है। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के तारिक अहमद गनई ने प्लास्टिक और अन्य कचरे को दोबारा उपयोग लायक बनाने के लिए एक छोटा सा व्यवसाय शुरू किया और आज इस कचरे के व्यापार से उनकी सालाना इनकम 3 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। तारिक अहमद गनई ना सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में सहयोग कर रहे हैं बल्कि कश्मीर के बाकी युवाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की राह दिखा रहे हैं। -How a garbage man become Crorepati ?
तारिक की यात्रा दृढ़ संकल्प से भरी हुई और बेहद प्रेरणादायी है। उनकी एजुकेशन चौथी कक्षा में रुक गई जब उनके सामने अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार का भरण-पोषण करने की जिम्मेदारी आ गई। साल 2009 में वो दिल्ली चले गए जहां उन्होंने एक मजदूर के रूप में काम किया। मजदूरी के बाद उन्होंने कबाड़ फैक्ट्री में नौकरी मिल गई। प्लास्टिक, पॉलिथीन, कागज, पुराने टिन की बोरियां रखना और वाहन तक कचरों को पहुंचाने का काम होता था। विपरीत परिस्थितियां ने उनको आगे बढ़ने की राह दिखाई। तारिक को कचरे का काम करते करते ये अंदाजा हो गया कि जिस कचरे को लोग इधर-उधर फेंककर पाल्युशन फैलाते हैं, उसी कचरे को प्रोसेसिंग करके नई चीज़ें तैयार की जा सकती है। दिल्ली में उन चुनौतीपूर्ण दिनों के दौरान प्लास्टिक रीसाइक्लिंग व्यापार के बारे में उन्होंने बहुत सी बारीक बातें सीखीं। तारिक अपने इस छोटे से कारोबार को शुरू करने का सपना और उत्साह लेकर अपने घर कश्मीर लौटे और इस बिजनेस को शुरू किया। लेकिन तारिक की राह आसान नहीं थी। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए 20 लाख रुपये की जरूरत थी। इतना पैसा तारिक के पास नहीं था। MSME यानि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइसेस योजना के तहत बैंक से लोन मिला। 3 साल की कड़ी मेहनत और जुझारूपन से तारिक ने इस कारोबार में सफलता हासिल की। वर्तमान समय में लगभग 4 लाख आबादी वाले कुलगाम जिले की सड़कों से आधे से अधिक कचरा तारिक की कचरा इकाई में लाया जाता है, जहां से इसे प्रोसेसिंग के बाद नए उत्पादन बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजा जाता है। तारिक इस कारोबार से ना सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे हैं, बल्कि उनकी इस कोशिश से जिले में कचरा प्रबंधन में भी काफी मदद मिल रही है। तारिक की कचरा प्रबंधन इकाई में करीब 100 लोगों को रोजगार मिला है। वर्कर्स को महीने में 10-15 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। कुछ वर्कर शहर से कचरा इकट्ठा करने का काम भी करते हैं तो कुछ के पास छंटाई के बाद कचरा कुलगाम से बाहर अन्य शहरों की कचरा प्रोसेसिंग यूनिट्स को भेजा जाता है। तारिक कहते हैं कि कचरा आसानी से मिल जाता है, बस उसे छंटाई करने के बाद प्रोसेसिंग यूनिट्स तक पहुंचाना होता है। तारिक अहमद गनई जैसे लोग देश के करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है जिन्होंने अपनी जिंदगी को ग्राउंड जीरो से शुरू करके आसमान तक पहुंचाया है। –garbage