असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में हुए लोकसभा ममूल Bangladeshi के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा ‘विकास कार्यों’ की उपेक्षा कर कांग्रेस के लिए भारी मात्रा में वोट देने का दावा किया है। इस दावे ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। आज के इस वीडियो में हम इन दावों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि आखिरकार क्या कारण हैं जिनसे यह स्थिति उत्पन्न हुई है। हम इस घटना का इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर इसके प्रभावों का भी मूल्यांकन करेंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। –Himanta Biswa Sarma latest news
हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया है कि असम में बांग्लादशी मूल का अल्पसंख्यक समुदाय एकमात्र ऐसा समुदाय है जो साम्प्रदायिकता में लिप्त है। उन्होंने कहा कि इन समुदायों ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा केंद्र और राज्य में किए गए विकास कार्यों को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस को वोट दिया। सरमा ने यह दावा किया कि कांग्रेस के 39 प्रतिशत वोट का लगभग 50 प्रतिशत केवल 21 विधानसभा क्षेत्रों में केंद्रित है, जो अल्पसंख्यक बहुल हैं। -Himanta Biswa Sarma latest news
असम में साम्प्रदायिकता और चुनावी राजनीति का इतिहास काफी पुराना है। असम में Bangladeshi मूल के लोगों की मौजूदगी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा रही है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद से ही असम में बड़े पैमाने पर प्रवास हुआ, जिससे स्थानीय जनसंख्या में बदलाव आया और राजनीतिक समीकरण भी बदले।
वर्तमान में, बीजेपी-एजीपी-यूपीपीएल गठबंधन ने असम की 14 में से 11 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने शेष तीन सीटें हासिल कीं। हिमंत बिस्वा सरमा के दावों के अनुसार, कांग्रेस को मिले 39 प्रतिशत वोटों में से 50 प्रतिशत अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों से आए हैं। यह तथ्य बीजेपी के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इन क्षेत्रों में उनकी पकड़ कमजोर होती दिख रही है।-Himanta Biswa Sarma latest news
इस घटना का भविष्य पर प्रभाव भी महत्वपूर्ण हो सकता है। अगर बीजेपी इस समस्या का समाधान नहीं करती है, तो यह आगामी चुनावों में उनकी स्थिति को और भी कमजोर कर सकता है। इसके अलावा, यह साम्प्रदायिक विभाजन को और बढ़ावा दे सकता है, जिससे समाज में अस्थिरता बढ़ सकती है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी दावा किया कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के दौरान जब बीजेपी सरकार निष्क्रिय थी, तो इस समुदाय के सदस्यों ने लखीमपुर में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया और कोकराझार में जमीन कब्जा करने का प्रयास किया। इन घटनाओं ने साम्प्रदायिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने बयानों में स्पष्ट रूप से कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं और Bangladeshi मूल के अल्पसंख्यक समुदाय को साम्प्रदायिकता में लिप्त बताया है। सरमा का कहना है कि इन समुदायों ने बीजेपी के विकास कार्यों को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस को वोट दिया है।-Himanta Biswa Sarma latest news
तो इस तरह हिमंत बिस्वा सरमा के बयानों ने असम की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। उनके दावे और आरोप न केवल चुनावी राजनीति पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि समाज में साम्प्रदायिकता और विभाजन को भी उजागर करते हैं। इस घटना का भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना अभी बाकी है, लेकिन इतना निश्चित है कि इससे असम की राजनीति और समाज में उथल-पुथल मची रहेगी।
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