हरियाणा की राजनीति में हाल ही में घटी घटनाओं ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को एक नया मोड़ दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान ने कहा है कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में 90 विधानसभा खंडों में से 46 में बढ़त बनाए रखने के बाद, पार्टी ने विधानसभा चुनावों में 70 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और करनाल लोकसभा उम्मीदवार दिव्यांशु बुदिराजा के साथ करनाल में एक ‘कार्यकर्ता सम्मेलन’ को संबोधित किया। यह सम्मेलन कुरुक्षेत्र में भी आयोजित किया गया था और शुक्रवार को सोनीपत और पानीपत में भी आयोजित किया जाएगा, जो अक्टूबर में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का चुनाव बिगुल माना जा रहा है।-Haryana Politic latest update
इस घटनाक्रम ने हरियाणा की राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कांग्रेस वाकई में 70 से अधिक सीटें जीतने में सफल होगी? भाजपा का वोट प्रतिशत गिरने के बावजूद, क्या वह सत्ता में बने रहने में कामयाब होगी? और सबसे महत्वपूर्ण, हरियाणा के लोगों के लिए यह चुनाव क्या मायने रखता है?
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उदय भान ने हाल ही में करनाल में आयोजित एक ‘कार्यकर्ता सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए पार्टी की आगामी रणनीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस केवल 10 विधानसभा खंडों में बढ़त बना पाई थी, लेकिन उसी वर्ष के विधानसभा चुनावों में यह संख्या बढ़कर 31 हो गई। इस बार, कांग्रेस 46 खंडों में बढ़त बनाए हुए है, और पार्टी ने कम से कम 70 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से भाजपा को बेनकाब करने और पार्टी के वादों को लोगों तक पहुँचाने के लिए घर-घर जाकर काम करने की अपील की।
उदय भान ने बताया कि 2019 में भाजपा का वोट शेयर 57.7% था, जो इस बार घटकर 46.1% रह गया है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 28% से बढ़कर 47.6% हो गया है। यह बदलाव कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा की घटती विश्वसनीयता को दर्शाता है। -Haryana Politic latest update
नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कार्यकर्ताओं को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए दो-बिंदु कार्य योजना लागू करने की सलाह दी। पहला, भाजपा सरकार की 10 साल की विफलताओं, झूठे वादों, भ्रष्टाचार को हर परिवार तक पहुँचाना, और दूसरा, पिछली कांग्रेस सरकार के 10 साल के कामों की जानकारी घर-घर पहुँचाना।
वही उदय भान ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनावी हार के बाद, सरकार ने संपत्ति आईडी और परिवार आईडी को ठीक करना शुरू कर दिया, जो पहले लोगों को हफ्तों तक कतारों में खड़ा करने के बाद मजाक बन गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को मिले जबरदस्त समर्थन का परिणाम है कि सरकार ने गरीबों को 100 वर्ग गज के प्लॉट देने की याद दिलाई, जिसे पिछली हुड्डा सरकार ने मंजूरी दी थी और इस सरकार ने 10 साल तक रोक दिया था।-Haryana Politic latest update
आपको बता दे कि हरियाणा की राजनीति हमेशा से ही जटिल और बदलती रही है। 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद, भाजपा ने राज्य में अपनी पकड़ मजबूत की थी, लेकिन हाल के आंकड़े बताते हैं कि पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई है। वहीं, कांग्रेस ने अपनी स्थिति में सुधार किया है और जनता का विश्वास वापस जीतने में कामयाब रही है।
कांग्रेस ने इस बार 46 विधानसभा खंडों में बढ़त हासिल की है, जो पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह बढ़त पार्टी की मजबूत रणनीति और जनता के बीच किए गए प्रचार का परिणाम है। उदय भान और भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कार्यकर्ताओं को सक्रिय रूप से चुनावी अभियान में शामिल करने और जनता के बीच पार्टी के वादों को पहुंचाने की कोशिश की है।
अब भाजपा के वोट शेयर में गिरावट ने पार्टी की स्थिति को कमजोर किया है। पार्टी को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता को बहाल करने की जरूरत है। राज्य सरकार की विफलताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों ने भी पार्टी की छवि को धूमिल किया है।
वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की यह बढ़त आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि, चुनावी परिणाम हमेशा अप्रत्याशित होते हैं और स्थिति बदल भी सकती है। जनता के बीच भाजपा की लोकप्रियता में आई गिरावट और कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता ने चुनावी समीकरण को बदल दिया है।
ऐसे ही 2015 के बिहार चुनावों में भी एक ऐसी ही स्थिति देखी गई थी। भाजपा ने राज्य में काफी प्रचार किया था, लेकिन नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के गठबंधन ने चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी। यह चुनाव भी जनता के बीच एक बड़ा मुद्दा बना और भाजपा को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया।
इसके अलावा 2020 के दिल्ली चुनावों में भी भाजपा को एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। यह चुनाव भी जनता के बीच भाजपा की लोकप्रियता में गिरावट और दूसरी पार्टियों की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
साथ ही उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। हालांकि पार्टी ने चुनाव जीत लिया था, लेकिन कई सीटों पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मजबूत प्रदर्शन किया था। यह चुनाव भी भाजपा की घटती लोकप्रियता और विपक्ष की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
तो इस तरह हरियाणा की राजनीति में हाल के घटनाक्रम ने राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया है। कांग्रेस की बढ़त और भाजपा की घटती लोकप्रियता ने चुनावी समीकरण को बदल दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी को जनता का समर्थन मिलता है और कौन सत्ता में आता है।
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