हरियाणा में JJP ने किया भीम आर्मी के साथ अलायंस, यहां जानें दलित मतदाताओं का कितना मिलेगा साथ

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हरियाणा में दलित मतदाता कभी भी एकजुट होकर मतदान नहीं करता है. यही वजह है कि बीते 26 साल राज्य में चुनाव लड़ रही बसपा को कभी बड़ी कामयाबी नहीं मिल पाई. – Haryana Election 2024

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हरियाणा में सभी प्रमुख पार्टियों की नजरें राज्य में दलित वोट बैंक पर लगी हुई हैं. सूबे में दलित मतदाताओं की संख्या कुल आबादी का 21% है. इसी बीच, जननायक जनता पार्टी (JJP) ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ अलायंस का ऐलान किया.-Haryana Election 2024

पहली बार हरियाणा में चुनाव लड़ेगी ASP

भीम आर्मी के नेता चंद्रेशेखर आजाद की पार्टी हरियाणा में पहली बार चुनाव मैदान में उतरेगी. लेकिन नगीना लोकसभा सीट से जीत मिलने के बाद दलित वर्ग के बीच उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ा है.

90 में से 70 सीटों पर लड़ेगी JJP, 20 पर ASP

JJP और आजाद समाज पार्टी के बीच हुए समझौते के मुताबिक, JJP हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 70 पर चुनाव लड़ेगी, जबकि आज़ाद समाज पार्टी (ASP) 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. यह एक संयोग ही कहा जा सकता है कि JJP के मुखिया दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर आजाद दोनों ही नेताओं की उम्र 36 वर्ष ही है. दोनों ने नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में संयुक्त रूप से अलायंस को लेकर घोषणा की. – Haryana Election 2024

चौधरी देवीलाल ने डॉ अंबेडकर को दिलाया भारत रत्न

दुष्यंत ने 40-50 साल तक चलने वाले अलायंस का वादा किया और कहा कि वे हरियाणा में दलितों और किसानों के उत्थान के लिए मिलकर काम करेंगे. दुष्यंत ने अपने परदादा देवी लाल की याद दिलाते हुए कहा कि जब चौधरी कांशी राम ने बोट क्लब (दिल्ली में) पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन किया, तो चौधरी देवी लाल उनका समर्थन करने वाले पहले व्यक्ति थे. उस समय कांशी राम ने मांग की थी कि बी आर अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए. जब ​​देवी लाल उप प्रधानमंत्री बने, तो बी आर अंबेडकर को न केवल भारत रत्न से सम्मानित किया गया, बल्कि उनकी प्रतिमा भी संसद में लगाई गई. 

दुष्यंत चौटाला को याद आए देवीलाल

JJP प्रमुख ने कहा कि दोनों नेताओं ने समुदाय के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं. दुष्यंत ने कहा कि जब चौधरी देवी लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने एससी चौपालें बनाईं. आज पूरे हरियाणा में ये एससी चौपालें हैं. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए उन्होंने भी इन चौपालों के पुनर्विकास जैसे कदम उठाए. 

बता दें, 2019 के विधानसभा चुनाव में अपने पहले चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली JJP, हरियाणा में पिछली बार त्रिशंकु विधानसभा चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरी थी. इस पार्टी के समर्थन के बाद हरियाणा में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हुई. जिसके बाद दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. 

JJP के सात विधायक छोड़ दिए साथ

इस साल की शुरुआत में भाजपा से अलग होने के बाद से JJP की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है. JJP के 10 विधायकों में से सात ने पार्टी छोड़ दी है, जिनमें से एक विधायक में शामिल हो गया है और दो के भाजपा में जाने की उम्मीद है. 

जाट और दलित वोटर्स पर है JJP-ASP की नजर

JJP-ASP अलायंस की नजर JJP के जाट समर्थन आधार और ASP के दलित मतदाताओं के सपोर्ट से राज्य में एक बार फिर से कामयाबी मिलने की उम्मीद कर रही है. 

हरियाणा में जाटों की आबादी है 26 फीसदी

हरियाणा की आबादी में जाटों की हिस्सेदारी 26 फीसदी है. 2019 के विधानसभा चुनावों में JJP को चार सुरक्षित सीटों पर जीत मिली थी. इससे पहले, अभय चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) जो दुष्यंत चौटाला की मूल पार्टी थी, इससे ही निकलकर JJP बनाए थे. INLD ने मायावती के नेतृत्व वाली बसपा के साथ अलायंस किया है. 

राज्य में दलितों का वोट कभी भी एक साथ नहीं पड़ा

हरियाणा के दलित मतादाताओं की कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है. इस राज्य का दलित मतदाता कभी भी एक साथ किसी पार्टी में नहीं जाता है. यही वजह है कि उनका प्रभाव कम होता जा रहा है. यही वजह है कि बसपा यहां पर 1998 से चुनाव लड़ रही है लेकिन कभी भी यहां पर बड़ी सफलता नहीं मिल पाई. 

बसपा ने बार-बार बदला अलायंस का साथी

1998 में भी बसपा ने हरियाणा लोकदल राष्ट्रीय (जो बाद में आईएनएलडी बन गया) के साथ अलायंस किया था. 2009 में बसपा ने कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ अलायंस किया. यह अलायंस महज ढाई माह तक ही चला. अब हरियाणा जनहित कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है. 

2019 में बसपा को मिले 3.6 फीसदी वोट

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस ने बसपा के साथ अलायंस करने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन जब अलायंस नहीं हो पाया तो बसपा ने इनेलो के साथ अलायंस किया. लेकिन चुनाव से ठीक पहले इसे तोड़ दिया. उसके बाद लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ अलायंस हुआ. दोनों पार्टियों को कुल मिलाकर करीब 6% वोट मिले, जिसमें बसपा को 3.6% वोट मिले. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी को छोड़ दिया और JJP की तरफ बढ़ गई, जबकि JJP राज्य में भाजपा की सहयोगी थी. अगस्त 2019 में हुआ उनका अलायंस बमुश्किल 26 दिन चला. 

रिजर्व सीटों पर ज्यादातर जीतीं कांग्रेस और भाजपा

हरियाणा में रिजर्व सीटों पर ज्यादातर कांग्रेस और भाजपा ने जीत दर्ज की है. 2019 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा की 17 एससी सीटों में से भाजपा ने पांच और कांग्रेस ने सात सीटें जीती थीं, जबकि JJP ने चार और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी. 

2024 के लोकसभा चुनावों में रिजर्व सीटों पर कांग्रेस को मिली जीत

हाल के लोकसभा चुनावों में दलितों में यह आशंका थी कि पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार आरक्षण से संबंधित संविधान के प्रावधानों को बदल सकती है, और यही मुख्य कारण था कि पार्टी हरियाणा में दोनों आरक्षित सीटों – अंबाला और सिरसा में हार गई और इन सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई.
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