ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने अपनी पार्टी कांग्रेस में वापसी की है। गमांग 2015 में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें वहां भी अपमानित महसूस करने के कारण वे पिछले साल बीजेपी से भी इस्तीफा दे दिए थे। उन्होंने फिर भारत राष्ट्र समिति में शामिल होने का फैसला किया था, लेकिन अब वे फिर से कांग्रेस के साथ जुड़ने के लिए तैयार हैं। नमस्कार, आप सभी का स्वागत है AIRR न्यूज।
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन और प्रभारी अजय कुमार की मौजूदगी में अपनी पार्टी में वापसी की है। उनके साथ ही उनकी पत्नि और पूर्व सांसद हेमा गमांग और उनका बेटा शिशिर गमांग भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसके अलावा, पूर्व सांसद संजय भोई ने भी कांग्रेस का दामन थामा है।
गमांग ने कांग्रेस में वापसी करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें 11 बार टिकट दिया था और 11 साल केंद्र में मंत्री रहा हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिद्धांत की राजनीति करती है। गमांग ने कहा कि 7 साल से ज्यादा समय तक भाजपा में भी रहा हूं, लेकिन कांग्रेस के पास जो विजन है, वह अन्य दलों के पास नहीं है।
गमांग का नाम राजनीतिक इतिहास में इसलिए भी लिया जाता है, क्योंकि उन्होंने 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में मतदान किया था, जिससे सरकार गिर गई थी। उन्होंने यह काम तब किया था, जब वे ओडिशा के मुख्यमंत्री थे, लेकिन उन्होंने अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा नहीं दिया था। उन्हें इसके लिए बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा था।
आपको बता दे की गमांग ने 1972 से 2004 तक नौ बार कोरापुट लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडलों में विभिन्न मंत्रालयों का प्रभार संभाला था। उन्होंने विदेश मंत्रालय, रेल मंत्रालय, वन मंत्रालय और आदिवासी कल्याण मंत्रालय में कार्य किया था। उन्हें ओडिशा के विकास के लिए दिए योगदान के लिए जाना जाता है।
ऐसे में गमांग की वापसी से कांग्रेस को ओडिशा में बल मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने उन्हें फूलों का हार पहनाकर स्वागत किया और कहा कि उनका अनुभव और लोकप्रियता कांग्रेस को ओडिशा में मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि गमांग की वापसी से राहुल गांधी की न्याय की लड़ाई को भी मजबूती मिलेगी।
गमांग ने बताया कि उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर भारत राष्ट्र समिति में शामिल होने का फैसला किया था, क्योंकि वे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि राव ने उन्हें ओडिशा में भारत राष्ट्र समिति का नेतृत्व करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के साथ जुड़ने के लिए तैयार हैं, क्योंकि वे कांग्रेस के सिद्धांतों और नीतियों के साथ वो पहले से जुड़े हुए हैं।
गमांग के अलावा, उनकी पत्नि हेमा गमांग ने भी कांग्रेस में वापसी की है। वह 1999 में कोरापुट लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार थीं, लेकिन उन्हें बीजेपी के बिरेन्द्र कुमार सिंह देव से हारना पड़ा था। उन्होंने 2004 में फिर से इसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें बीजेपी के जयराम पांडा से हारना पड़ा था। उन्होंने 2009 में राज्यसभा के लिए नामांकन दिया था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला था।
गमांग का बेटा शिशिर गमांग भी कांग्रेस में शामिल हुआ है। वह 2014 में बीजेपी के तरफ से कोरापुट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें कांग्रेस के सप्तगिरी उलाका से हारना पड़ा था। उन्होंने 2019 में भी इसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें फिर से उलाका से हारना पड़ा था।
इस प्रकार, गमांग परिवार ने कांग्रेस में वापसी करके एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है। इससे कांग्रेस को ओडिशा में आदिवासी वोटों को अकर्षित करने में मदद मिल सकती है। लेकिन यह भी देखना होगा कि गमांग की वापसी से ओडिशा में बीजेपी और भारत राष्ट्र समिति का क्या प्रभाव पड़ेगा।
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