भारतीय राजनीति में जल-संसाधन का मुद्दा हमेशा से ही संवेदनशील और विवादास्पद रहा है। खासकर जब यह मामला भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल संधि का हो, तो इसे और भी जटिल बना देता है। हाल ही में, पश्चिम Bengal की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण के लिए वार्ता शुरू करने से पहले पश्चिम Bengal से परामर्श नहीं लिया गया। केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के इस दावे को खारिज कर दिया है, और कहा है कि पश्चिम Bengal सरकार को इस परामर्श प्रक्रिया में शामिल किया गया था।-Ganga Water Treaty news
यह मुद्दा कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है, कि क्या पश्चिम Bengal को वास्तव में इस प्रक्रिया में शामिल किया गया था? गंगा जल संधि का नवीनीकरण कैसे Bengal के लोगों के जीवन पर प्रभाव डालेगा? केंद्र और राज्य सरकार के बीच यह टकराव किस दिशा में जाएगा?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Ganga Water Treaty news
भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में हुई गंगा जल संधि एक ऐतिहासिक समझौता थी, जिसमें दोनों देशों ने गंगा नदी के जल को बांटने का समझौता किया था। यह संधि 30 साल की अवधि के लिए की गई थी और इसका समय 2026 में समाप्त हो रहा है। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच हुई बैठक में इस संधि के नवीनीकरण पर चर्चा की गई।
इस संदर्भ में, पश्चिम Bengal की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि इस निर्णय में पश्चिम Bengal से कोई परामर्श नहीं किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय को “एकतरफा” करार दिया और आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल को इस वार्ता से बाहर न रखा जाए।
केंद्र सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि पश्चिम Bengal को इस प्रक्रिया में शामिल किया गया था। केंद्र ने जुलाई 2023 में पश्चिम Bengal सरकार से इस संधि के आंतरिक समीक्षा के लिए एक नामित प्रतिनिधि की मांग की थी, और अगस्त 2023 में Bengal ने सिंचाई और जलमार्ग निदेशालय के मुख्य अभियंता डिज़ाइन और अनुसंधान को इस समिति में नामांकित किया था।-Ganga Water Treaty news
आपको बता दे कीं 1996 की गंगा जल संधि का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप के जल संसाधन विवादों में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस संधि के तहत, भारत और बांग्लादेश ने फरक्का बैराज पर गंगा नदी के जल को बांटने का समझौता किया था। इस बैराज का निर्माण 1975 में हुआ था और इसका उद्देश्य कोलकाता बंदरगाह को उचित जल प्रवाह सुनिश्चित करना था।-Ganga Water Treaty news
वर्तमान में, यह संधि अपने अंतिम चरण में है और इसका नवीनीकरण 2026 में होना है। प्रधानमंत्री मोदी और शेख हसीना की हालिया बैठक ने इस नवीनीकरण प्रक्रिया को गति दी है। इस संदर्भ में, पश्चिम Bengal की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि गंगा नदी के जल का वितरण पश्चिम Bengal के जीवन और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालता है।
इस संधि के नवीनीकरण का पश्चिम Bengal और बांग्लादेश दोनों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। Bengal के किसानों और मछुआरों के लिए गंगा का जल महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, जल संसाधन प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी यह संधि महत्वपूर्ण है।
इस विवाद में कई प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच की बातचीत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाया है। वहीं, ममता बनर्जी ने Bengal के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है।
इस संधि के नवीनीकरण के लाभ और नुकसान को समझना महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर यह संधि भारत और बांग्लादेश के बीच जल विवाद को हल करने में मददगार साबित हो सकती है, वहीं दूसरी ओर, Bengal के लोगों के जीवन और जीविका पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण है।
गंगा जल संधि के नवीनीकरण से जुड़े मुद्दों पर विचार करते हुए, अन्य जल संसाधन विवादों को भी देखना महत्वपूर्ण है। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि, कावेरी जल विवाद, और अन्य अंतर्राज्यीय जल विवाद इसी श्रेणी में आते हैं। इन सभी घटनाओं का विश्लेषण करने से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि जल संसाधन प्रबंधन के मुद्दे कितने जटिल और संवेदनशील होते हैं।
तो इस तरह इस प्रकार, गंगा जल संधि का नवीनीकरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंधों और पश्चिम Bengal के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच इस मुद्दे पर टकराव से यह स्पष्ट होता है कि जल संसाधन प्रबंधन एक जटिल और संवेदनशील विषय है, जिसमें सभी संबंधित पक्षों की भागीदारी आवश्यक है।
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