Jammu and Kashmir में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और Jammu and Kashmir के पूर्व मुख्यमंत्री Farooq Abdullah ने मतदाताओं को ईवीएम और वीवीपैट धोखाधड़ी से सावधान रहने की चेतावनी दी है। उनका आरोप है कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए ईवीएम से छेड़छाड़ कर सकती है। लेकिन क्या ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में वास्तव में छेड़छाड़ की जा सकती है?-Farooq Abdullah news
क्या भाजपा चुनाव जीतने के लिए ईवीएम से छेड़छाड़ करेगी?
और क्या Farooq Abdullah के आरोपों से मतदाताओं का विश्वास कमजोर होगा?
आइये इन सभी सवालो का जवाब जानते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
Farooq Abdullah ने ईवीएम को “चोरी की मशीन” बताते हुए मतदाताओं से आग्रह किया कि वे मतदान के दौरान मशीनों पर एलईडी लाइट की जांच करें। उन्होंने कहा कि अगर मशीन पर लाइट नहीं जलती है, तो मतदाताओं को बाहर आकर चुनाव अधिकारियों से पूछताछ करनी चाहिए।
अब्दुल्ला ने मतदाताओं से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि वीवीपैट पर्चियों पर उसी चुनाव चिन्ह का प्रिंट हो, जिसके लिए उन्होंने मतदान किया है। उन्होंने कहा, “वोट डालने के बाद, एक वीवीपैट पर्ची निकलेगी। आपको यह जांचना चाहिए कि पर्ची पर चुनाव चिन्ह वही है जिसके लिए आपने मतदान किया है।”
आपको बता दे कि अतीत में ईवीएम में छेड़छाड़ के कई आरोप लग चुके हैं। जहा 2019 के लोकसभा चुनाव में, विपक्षी दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
बाकि Farooq Abdullah ने ईवीएम और वीवीपैट में छेड़छाड़ के आरोप लगाकर Jammu and Kashmir में आगामी लोकसभा चुनाव में विवाद पैदा कर दिया है। उनके दावों की विशेषज्ञों और विपक्षी दलों दोनों ने आलोचना की है। यह संभव है कि अब्दुल्ला के आरोप मतदाताओं के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं और मतदान के दिन मतदान में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
Farooq Abdullah के ईवीएम और वीवीपैट में छेड़छाड़ के आरोपों का कई स्तरों पर विश्लेषण किया जा सकता है:
जैसे कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि अब्दुल्ला के आरोप तकनीकी रूप से व्यवहार्य नहीं हैं। उनका कहना है कि ईवीएम और वीवीपैट मशीनों में छेड़छाड़ करना मुश्किल है। मशीनें एन्क्रिप्टेड हैं और किसी भी छेड़छाड़ का पता तुरंत लग जाएगा।
वही अब्दुल्ला के आरोप सबूतों पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने कोई सबूत नहीं दिया है कि ईवीएम या वीवीपैट मशीनों में छेड़छाड़ की गई है।
कुछ का तर्क है कि अब्दुल्ला के आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उनका कहना है कि अब्दुल्ला चुनाव से पहले मतदाताओं में भ्रम और अविश्वास पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे तर्क देते हैं कि अब्दुल्ला को पता है कि उनकी पार्टी को चुनाव जीतने की संभावना नहीं है, इसलिए वह हार के लिए बहाना ढूंढ रहे हैं।
अब्दुल्ला के आरोप मतदान के दिन चुनाव प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं। अगर मतदाता ईवीएम या वीवीपैट मशीनों पर भरोसा नहीं करते हैं, तो वे विरोध कर सकते हैं या वोट डालने से मना कर सकते हैं। इससे मतदान में देरी हो सकती है और अराजकता पैदा हो सकती है।
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