नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार और BJP पर तीखा हमला किया है, आरोप लगाते हुए कि जिन लोगों ने पहले 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए थे, वे अब BJP के साथ खड़े हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान का जवाब दिया, जिसमें कहा गया था कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन से आतंकवाद की वापसी हो सकती है। फारूक ने मोदी सरकार की कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने की विफलता, 1987 के चुनावों में धांधली और इंजीनियर रशीद की रिहाई को BJP की चुनावी साजिश बताया। उन्होंने BJP पर कश्मीर में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। इस बार, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला किया है। उनके बयान ने कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को नया मोड़ दिया है। आइए, उनके बयान और इसके विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
BJP और केंद्र सरकार पर आरोप
फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में एक बयान में आरोप लगाया कि जिन लोगों ने पहले ‘पाकिस्तान जिंदाबाद‘ के नारे लगाए थे, वे अब BJP के साथ खड़े हैं और कश्मीर में अशांति पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति BJP की राजनीति की एक बुनियादी समस्या को उजागर करती है। फारूक के अनुसार, BJP की रणनीति कश्मीर में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना और कश्मीरी जनता को भ्रमित करना है।
मोदी का हमला और फारूक का जवाब
फारूक अब्दुल्ला का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान के जवाब में आया है। मोदी ने एक दिन पहले एनसी और कांग्रेस के गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा था कि अगर यह गठबंधन सत्ता में आया, तो कश्मीर में आतंकवाद की वापसी हो सकती है। मोदी का कहना था कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन आतंकवाद को बढ़ावा देगा और कश्मीर की शांति प्रक्रिया को बाधित करेगा।
फारूक अब्दुल्ला ने मोदी के इस बयान का जोरदार जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में पांच साल से अधिक समय बिता लिया है, लेकिन आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ। उनके अनुसार, अनुच्छेद 370 हटाने के बावजूद भी कश्मीर में शांति स्थापित नहीं हो पाई है। फारूक ने मोदी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि BJP ने कश्मीर की स्थिति को बेहतर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
1987 के चुनाव और अलगाववाद
फारूक अब्दुल्ला ने 1987 के चुनाव को लेकर उठे विवादों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने चुनाव में धांधली के आरोपों को नकारते हुए कहा कि कश्मीर में अलगाववादियों को उन्होंने नहीं, बल्कि पाकिस्तान ने पैदा किया। 1987 का चुनाव कश्मीर में हिंसा और अशांति की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण बिंदु माना जाता है, जिसमें एनसी पर बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे थे। फारूक ने स्पष्ट किया कि अलगाववाद और आतंकवाद की जड़ें पाकिस्तान में हैं, न कि कश्मीर की राजनीति में। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने कश्मीर में असंतोष का फायदा उठाया और इसे अपने हित में इस्तेमाल किया।
इंजीनियर रशीद की रिहाई पर सवाल
फारूक अब्दुल्ला ने इंजीनियर रशीद की हालिया रिहाई पर भी सवाल उठाए। रशीद जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी रुख के लिए जाने जाते हैं। फारूक ने आरोप लगाया कि रशीद की रिहाई BJP और आरएसएस की एक साजिश है, जिसका उद्देश्य चुनाव से पहले मुस्लिम वोटों को विभाजित करना है। उन्होंने दावा किया कि रशीद की रिहाई चुनावी समीकरणों को BJP के पक्ष में मोड़ने के लिए की गई है, ताकि मुस्लिम समुदाय को विभाजित किया जा सके और उनकी राजनीतिक आवाज को दबाया जा सके।
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद की स्थिति
फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद भी कश्मीर की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उनका कहना है कि सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का कदम शांति और विकास के वादे के साथ उठाया था, लेकिन वास्तविकता इसके उलट रही है। फारूक ने पूछा कि अगर अनुच्छेद 370 हटाना इतना प्रभावी था, तो कश्मीर में शांति क्यों नहीं लौटी? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जो बड़े वादे किए थे, वे केवल खोखले साबित हुए हैं और कश्मीर में लोग अब भी डर और असुरक्षा की स्थिति में जी रहे हैं।
BJP की रणनीति और फारूक का तंज
फारूक अब्दुल्ला ने BJP की राजनीतिक रणनीति पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि BJP कश्मीर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए विभिन्न हथकंडे अपना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि BJP सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है और अलगाववादी नेताओं के साथ मिलीभगत कर रही है ताकि कश्मीरी जनता को भ्रमित किया जा सके। फारूक ने कहा कि BJP का असली चेहरा अब सामने आ रहा है, और वे कश्मीर में धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, जिससे लोगों के बीच नफरत फैल रही है।
कश्मीर की राजनीति में नए समीकरण
फारूक अब्दुल्ला के बयान ने कश्मीर की राजनीति में नए समीकरण स्थापित कर दिए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। एनसी और कांग्रेस का गठबंधन एक ओर BJP के खिलाफ एकजुट हो रहा है, जबकि BJP भी कश्मीर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय है। फारूक का कहना है कि कश्मीर में शांति और स्थिरता तभी संभव है जब केंद्र सरकार कश्मीरियों की आवाज सुनेगी और उनके मुद्दों का समाधान करेगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उनकी पार्टी कश्मीर के लोगों के लिए काम कर रही है और कश्मीर में विकास और शांति की जरूरत है। इसके लिए सरकार को कश्मीरियों के साथ संवाद करना होगा और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा।
गौरतलब है कि फारूक अब्दुल्ला के बयान ने जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को एक नया मोड़ दिया है। उनके आरोपों और टिप्पणियों ने BJP और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए माहौल को गरमा दिया है। अब यह देखना होगा कि कश्मीर की जनता किस राजनीतिक दल की रणनीति को स्वीकार करती है और आगामी चुनावों में क्या परिणाम सामने आते हैं।
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