2024 Lok Sabha Elections – Analysis of BJP’s Loss in Faizabad Seat”-Faizabad latest update

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भारतीय राजनीति में परिवर्तन की बयार अक्सर अप्रत्याशित दिशा में बहती है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब भाजपा, जिसने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वादा पूरा किया था, फ़ैज़ाबाद सीट पर एक दलित उम्मीदवार से हार गई। यह परिणाम न केवल भाजपा के लिए संख्या के हिसाब से बल्कि भावनात्मक रूप से भी एक बड़ी चोट थी। –Faizabad latest update

फैज़ाबाद, जिसे अब अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है, में भाजपा के दो बार के सांसद लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 54,567 वोटों से हरा दिया। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सीटों की संख्या 2019 में 62 से घटकर अब 33 हो गई। –Faizabad latest update

क्या यह हार केवल एक राजनीतिक गलती थी या इसमें कुछ और गहरे कारण थे? यह सवाल हमें इन घटनाओं के पीछे के तथ्य और राजनीतिक परिदृश्य को समझने के लिए प्रेरित करता है। क्या यह हार लल्लू सिंह की विवादास्पद टिप्पणी के कारण हुई, या फिर भूमि अधिग्रहण के मुद्दे ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई? 

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

आज के हमारे विशेष कार्यक्रम में हम चर्चा करेंगे 2024 के लोकसभा चुनावों में फैज़ाबाद सीट पर भाजपा की हार और इसके पीछे के कारणों की। हम इस बात का विश्लेषण करेंगे कि कैसे एक विवादास्पद टिप्पणी और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे ने भाजपा को अपने गढ़ में ही हार का सामना करना पड़ा। 

फैज़ाबाद सीट पर भाजपा की हार एक अप्रत्याशित घटनाक्रम था। भाजपा के दो बार के सांसद लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के दलित उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने हराया। यह हार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भाजपा का प्रमुख एजेंडा रहा है और इसे पूरा करने के बाद भी पार्टी यहां हार गई।

भूमि अधिग्रहण का मुद्दा इस हार का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। राम पथ के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान कई लोगों के घर और दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया और उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला। इससे लोगों में असंतोष फैल गया। 

लल्लू सिंह की एक विवादास्पद टिप्पणी भी हार का कारण बनी। उन्होंने अप्रैल में एक सार्वजनिक बैठक में कहा था कि भाजपा को वोट दें क्योंकि सरकार को नए संविधान बनाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है। यह टिप्पणी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर आई थी, जिससे दलित समुदाय में आक्रोश फैल गया। 

इस टिप्पणी ने विपक्षी दलों को भाजपा पर हमला करने का मौका दिया। लल्लू सिंह ने बाद में इसे ‘जीभ की फिसलन’ बताया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 

समाजवादी पार्टी ने इस बार सही चालें चलीं। उन्होंने एक जनरल कैटेगरी सीट पर दलित उम्मीदवार उतारने का साहस दिखाया और स्थानीय मुद्दों को सही तरीके से उठाया। 

फैज़ाबाद सीट पर भाजपा की हार का विश्लेषण करते हुए हमें कई महत्वपूर्ण तथ्य और घटनाएं मिलती हैं जो इस परिणाम को स्पष्ट करती हैं। 

आपको बता दे कि राम पथ के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान कई लोगों के घर और दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया। लोगों को उचित मुआवजा नहीं मिला, जिससे उनके मन में असंतोष पैदा हुआ। भूमि अधिग्रहण के इस मुद्दे को लेकर लोगों में आक्रोश था और इसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ा। 

वही लल्लू सिंह की टिप्पणी ने आग में घी का काम किया। उन्होंने कहा कि नए संविधान को बनाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है। यह टिप्पणी अंबेडकर जयंती के मौके पर आई थी, जो दलित समुदाय के लिए विशेष महत्व रखती है। 

बाकि समाजवादी पार्टी ने इस बार सही रणनीति अपनाई। उन्होंने एक दलित उम्मीदवार को जनरल कैटेगरी सीट से चुनाव लड़ाया और स्थानीय मुद्दों को सही तरीके से उठाया। 

हालाँकि लल्लू सिंह का राजनीतिक करियर काफी लंबा और सफल रहा है। उन्होंने 1991, 1993, 1996, 2002 और 2007 में अयोध्या विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। 2014 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और 2019 में भी अपनी सीट बरकरार रखी। 

आपको बता दे कि 2004 के लोकसभा चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यूपीए के तहत अप्रत्याशित जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने तब भी कई सीटों पर नजदीकी मार्जिन से जीत हासिल की थी। उस समय भी कांग्रेस ने उन सीटों पर विशेष ध्यान दिया था जहां हार का मार्जिन कम था और अपनी रणनीति को बेहतर बनाया था।

तो इस तरह फैज़ाबाद में भाजपा की हार कई कारकों का परिणाम है। भूमि अधिग्रहण और मुआवजा, लल्लू सिंह की विवादास्पद टिप्पणी और समाजवादी पार्टी की सही रणनीति ने इस हार में भूमिका निभाई। 

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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