Failure of Healthcare Services in India: An Analysis of the Thiruvarur Government Hospital Incident

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Failure of Healthcare Services in India: An Analysis of the Thiruvarur Government Hospital Incident

भारत में Healthcare Services की विफलता: तिरुवरूर सरकारी अस्पताल घटना का एक विश्लेषण

वैसे तो बरसो से चिकित्सा सुविधाओं की कमी से पूरा भारत  त्रस्त है , लेकिन 2020 में आयी कोरोना की लहर ने सभी राज्यों की सरकारों के साथ साथ केंद्र सरकार के भी सभी दावों की पोल खोल दी थ।  उस समय अस्पतालों में बेड,वेल्टीलेटर , ऑक्सीजन की कमी ने हज़ारो मरीजों की जान ले ली थी। क्या कोरोना की उस लहार के बाद हमारे हेल्थ सिस्टम में कुछ बदलाव आया है ?

आज की इस वीडियो में हमने इसी मुद्दे पर आपको रूबरू कराने की कोशिश की है। अभी हाल ही में Healthcare Services की विफलता का एक दुखद उदाहरण तमिलनाडु के थिरुवरुर सरकारी अस्पताल में देखने को मिला, जब एक 48 वर्षीय महिला, अमरावती, जिन्हें फेफड़ों से संबंधित समस्याओं के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसकी बाद में मौत हो गयी जिसकी वजह अस्पताल में बिजली की कमी के कारण वेंटिलेटर बंद हो जाना बताया जा रहा है ।

इस पर अमरावती के परिजनों ने अधिकारियों पर लापरवाही करने का आरोप लगाया और कहा कि अस्पताल के आपातकालीन विभाग में बिजली के बैकअप की सुविधा नहीं थी , जिसकी वजह से ये घटना हुई। 

हालांकि, सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है। दूसरी तरफ अस्पताल की तरफ से भी रोगी की मृत्यु की जांच के लिए एक टीम गठित की है।

इसके बाद एक वीडियो भी सामने आया है, उसमें एक व्यक्ति डॉक्टरों से पूछता हुआ दिखाई दे रहा है कि इमेर्जेंसी वार्ड में बिजली कैसे नहीं हो सकती। एक डॉक्टर को भी दिखाया गया है जो एक रोगी को टॉर्च की रोशनी में इंजेक्शन लगा रहा है।

मामले को बढ़ता देख ,राज्य स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यन ने मंगलवार को दावा किया कि “रोगी की मृत्यु उनकी गंभीर बीमारी की वजह से हुई है। ” 

आपको बता दे की अमरावती को हॉस्पिटल में उनकी फेफड़ों और हृदय से संबंधित समस्याएं की वजह से भर्ती किया गया था।  स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि “बिजली की कटौती केवल पांच मिनट की थी और वेंटिलेटर में कम से कम एक घंटे के लिए बैटरी बैकअप था।”

सुब्रमण्यन ने यह भी जोड़ा कि ” वेंटिलेटर सपोर्ट पर चार अन्य रोगियों को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।”

इस घटना पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करती भाजपा और तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के एन्नामलाई ने अपने एक्स अकाउंट पर कहा, “भ्रष्ट DMK सरकार के तहत सरकारी अस्पतालों की गिरती हालत को देखकर दुख होता है। जबकि भ्रष्टाचार के लिए गिरफ्तार एक DMK मंत्री सेंथिल बालाजी इसी वजह से निजी अस्पताल का चुनाव करते हैं, क्योंकि उनके सरकारी अस्पताल में तो आईसीयू जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में बिजली के बैकअप की सुविधा की कमी से उनकी भी जान जा सकती है जैसे अमरावती ने अपनी जान गवा दी । ”

ये घटना भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की विफलता का एक उदाहरण है। यह दिखाता है कि सरकारी अस्पतालों में आवश्यकतानुसार सुविधाओं की कमी कितनी घातक साबित होती है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की प्राथमिकता को उचित रूप से समझा जा रहा है? क्या हमारे स्वास्थ्य विभाग और सरकारी अस्पताल आपातकालीन स्थितियों के लिए पूरी तरह से तैयार हैं?

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