“NIA Announces ₹10 Lakh Reward for Information on Terrorist Goldy Brar – Major Step in India’s Fight Against Crime and Terrorism | AIRR News”

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भारतीय लोकतंत्र में अपराध और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। इसी क्रम में, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानि NIAने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। NIA ने कनाडा में रहने वाले आतंकवादी गोल्डी बराड़ और एक अन्य आरोपी के बारे में जानकारी देने वालों के लिए 10 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित किया है। इस घटनाक्रम के बाद कई सवाल उठते हैं: क्या यह कदम आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा? क्या NIA इस बार सफलतापूर्वक इन आरोपियों को गिरफ्तार कर पाएगी? और सबसे महत्वपूर्ण, इस तरह की घटनाओं का भारतीय समाज और राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?-EXTORTION AND FIRING CASE

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने बुधवार को एक बयान जारी कर घोषणा की कि कनाडा में स्थित आतंकवादी गोल्डी बराड़ और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कराने में मदद करने वाले को 10 लाख रुपये का नकद इनाम दिया जाएगा। यह आरोपी इस साल 8 मार्च को चंडीगढ़ में एक व्यवसायी के घर पर गोलीबारी और फिरौती की कोशिश के मामले में वांछित हैं।-EXTORTION AND FIRING CASE

गोल्डी बराड़ उर्फ़ सतविंदर सिंह

गोल्डी बराड़, जिसका असली नाम सतविंदर सिंह है, पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब के अदेश नगर का निवासी है। वह शमशेर सिंह का पुत्र है। गोल्डी बराड़ का नाम पहले भी कई अपराधिक मामलों में आ चुका है। वह वर्तमान में कनाडा में रह रहा है और विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त है।-EXTORTION AND FIRING CASE

गुरप्रीत सिंह उर्फ़ गोल्डी ढिल्लों

दूसरे आरोपी गुरप्रीत सिंह, जिसे गोल्डी ढिल्लों या गोल्डी राजपुरा के नाम से भी जाना जाता है, पंजाब के राजपुरा के बाबा दीप सिंह कॉलोनी का निवासी है। वह सुखजिंदर सिंह का पुत्र है। -EXTORTION AND FIRING CASE

NIA के बयान के अनुसार, यह मामला भारतीय दंड संहिता, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आर्म्स एक्ट के विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। यह घटना 8 मार्च को चंडीगढ़ में एक व्यवसायी के घर पर गोलीबारी और फिरौती की कोशिश के रूप में सामने आई थी।

अब NIA ने इन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 10 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित किया है। यह घोषणा आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

अगर आपके पास भी इनसे जुडी कोई जानकारी है तो NIA ने आरोपियों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए विभिन्न संपर्क माध्यम प्रदान किए हैं:

1. NIA मुख्यालय:

   – टेलीफोन नंबर: 011-24368800

   – व्हाट्सएप/टेलीग्राम: +91-8585931100

   – ईमेल: do.Nia@gov.in

2. चंडीगढ़ शाखा कार्यालय:

   – टेलीफोन नंबर: 0172-2682900, 2682901

   – व्हाट्सएप/टेलीग्राम: 7743002947

   – ईमेल: info-chd.Nia@gov.in

अगर आप जानकारी सांझा करते है तो NIA ने यह भी आश्वासन दिया है कि आपकी जानकारी और पहचान गुप्त राखी जाएगी। 

वैसे NIA द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आइए, इस घटनाक्रम का विस्तार से विश्लेषण करें।

भारत में आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ाई हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रही है। विशेषकर जब अपराधी विदेशों में शरण लेते हैं, तो उनकी गिरफ्तारी और न्यायिक प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है। 

NIA ने इस मामले में सक्रियता दिखाते हुए इनाम की घोषणा की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि एजेंसी इस मामले को गंभीरता से ले रही है और इन आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। 

वही NIA का यह कदम जनता की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करता है। जब एजेंसी जनता से मदद मांगती है और इसके लिए इनाम की घोषणा करती है, तो यह जनता को अपने समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी का एहसास दिलाता है। 

हालाँकि इस मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आरोपी गोल्डी बराड़ वर्तमान में कनाडा में रह रहा है। यह अंतर्राष्ट्रीय अपराध और अपराधियों के संबंध में एक गंभीर मुद्दा है। 

भारत और कनाडा के बीच आपराधिक न्याय सहयोग को मजबूत करना इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकता है। 

यह घटना भारतीय समाज में सुरक्षा और कानून व्यवस्था के महत्व को भी उजागर करती है। जब कोई व्यवसायी या आम नागरिक अपने घर में सुरक्षित नहीं महसूस करता, तो यह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। 

इस तरह की घटनाएं समाज में डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ाती हैं। जब अपराधी बिना किसी डर के इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं, तो यह समाज के लिए एक बड़ा खतरा बन जाता है। 

भारतीय इतिहास में ऐसे कई मामले हुए हैं जहां अपराधियों ने विदेश में शरण ली है और भारतीय एजेंसियों को उन्हें पकड़ने में मुश्किलें आई हैं। इस मामले में भी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि NIA और अन्य संबंधित एजेंसियां किस प्रकार से इस चुनौती का सामना करती हैं। 

आपको बता दे कि NIA का गठन 2008 में मुंबई आतंकी हमलों के बाद किया गया था। तब से, यह एजेंसी कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच कर चुकी है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 

तो इस तरह NIA द्वारा घोषित इनाम का यह कदम भारतीय लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल अपराध और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि जनता की भागीदारी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी प्रोत्साहित करता है। 

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