वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती डिमांड के बीच एक बुरी खबर यह सामने आई है कि इनके चार्जिंग स्टेशन पर हैकर्स की नजर पड़ चुकी है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों पर साइबर हमले में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
साइबर सुरक्षा कंपनी चेक प्वाइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती डिमांड के साथ ही अब कस्टमर्स को साइबर हमले जैसे सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड में तेजी देखने को मिली है। यदि हम भारत की बात करें तो यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ईवी बाजार है। बता दें कि जिस प्रकार से डीजल या फिर पेट्रोल आधारित वाहन को चलाने के लिए ईधन की जरूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार से इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बैटरी लगी होती है जिसे समय-समय पर चार्ज करने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए एक बेहतरीन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है।एक ताजा आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ग्लोबल डिमांड में तकरीबन 60 फीसदी का इजाफा हुआ है। बतौर उदाहरण दुनियाभर में खरीदी जाने वाली 7 कारों में एक इलेक्ट्रिक कार शामिल है।
EV चार्जिंग स्टेशनों के हैंकिंग की खबर
वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती डिमांड के बीच एक बुरी खबर यह सामने आई है कि इनके चार्जिंग स्टेशन पर हैकर्स की नजर पड़ चुकी है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों पर साइबर हमले में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
साइबर सुरक्षा कंपनी चेक प्वाइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती डिमांड के साथ ही अब कस्टमर्स को साइबर हमले जैसे सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि जितनी तेजी इलेक्ट्रिक गांड़िया चलन में आ रही हैं, उतनी ही तेजी से सड़क के कोनों पर तथा पार्किंग स्थल पर नए ईवी चार्जिंग स्टेशन भी खुलते जा रहे हैं। ऐसे में नए चार्जिंग स्टेशनों पर साइबर अटैक का जोखिम काफी बढ़ जाता है। भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए ईवी चार्जिंग स्टेशन के उत्पाद और उनके इस्तेमाल में कुछ तकनीकी खामियां मौजूद हैं।
जानिए कैसे काम करते हैं हैकर्स?
जानकारी के लिए बता दें कि नए ईवी चार्जिंग स्टेशन के उत्पाद और उनके इस्तेमाल में कुछ तकनीकी खामियां मौजूद हैं जिसका फायदा साइबर हैकर्स उठा सकते हैं। तकनीकी शोधकर्ताओं का ऐसा कहना है कि साइबर हैकर्स नए ईवी चार्जिंग स्टेशन को बंद कर सकते हैं या फिर बिजली चोरी करने की अनुमति दे सकते हैं। हैकर्स चार्जिंग स्टेशन में काम कर रहे इलेक्ट्रिसिटी डेटा को उपर-नीचे अथवा कटौती कर सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हैकर्स बहुत तेजी से ईवी चार्जिंग नेटवर्क के डिमांड को भी चेंज कर सकते हैं। संभावना यह भी है कि हैकर्स चार्जिंग स्टेशन को क्रैक कर सकते हैं।
EV Charger हैक करने की असली वजहरिपोर्ट के मुताबिक ईवी चार्जर्स जिस तरह से बुनियादी ढांचे के साथ जुड़े हुए हैं, ऐसे में साइबर सुरक्षा पहलू पर पहले विचार नहीं किया गया था। अमेरिकी संस्थान एनआईएसटी के अनुसार, चूंकि इलेक्ट्रिक वाहनों में मौजूद चार्जर तकनीक और संचार सुविधा इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा समर्थित है, ऐसे में साइबर हैकर्स तकनीकी कमजोरियों का लाभ बहुत तेजी से उठाते हैं। चूंकि परिवहन और ऊर्जा सेक्टर्स पहले कभी इलेक्ट्रिक तकनीकी से नहीं जुड़े थे ऐसे में हैकर्स की संभावना काफी बढ़ जाती है।
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