“Politics and Law: The Case of Engineer Rashid | AIRR News”

HomeBlog “Politics and Law: The Case of Engineer Rashid | AIRR News”

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

क्या आपने कभी सोचा है कि राजनीति और कानूनी व्यवस्था किस प्रकार से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं? क्या होता है जब एक निर्वाचित प्रतिनिधि जेल में होता है और उसे शपथ लेने का मौका नहीं मिल पाता? आज हम एक ऐसी ही कहानी पर चर्चा करेंगे जो न केवल जिज्ञासा का विषय है बल्कि हमारे लोकतंत्र की ताकत और कानूनी व्यवस्था की जटिलताओं को भी उजागर करती है। यह कहानी है इंजीनियर राशिद की, जिन्होंने हाल ही में बारामुला लोकसभा सीट पर विजय प्राप्त की, लेकिन वे जेल में बंद हैं और उन्हें शपथ लेने के लिए अंतरिम जमानत की आवश्यकता है। –Engineer Rashid latest news

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

शेख अब्दुल राशिद, जिन्हें लोकप्रिय रूप से इंजीनियर राशिद के नाम से जाना जाता है, जम्मू और कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं। हाल ही में संपन्न हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में, राशिद ने बारामुला निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की, जहाँ उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पराजित किया। यह जीत राशिद के राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इससे पहले, राशिद जम्मू और कश्मीर की विधान सभा के सदस्य भी रह चुके हैं।-Engineer Rashid latest news

इंजीनियर राशिद पर 2016 के जम्मू और कश्मीर के आतंकवाद वित्तपोषण मामले में आरोप लगाया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उन्हें 2019 में अवैध गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, 1967 UAPA के तहत गिरफ्तार किया। फिलहाल, राशिद तिहाड़ जेल में बंद हैं। यह मामला कश्मीरी व्यापारी ज़हूर वटाली की जांच के दौरान सामने आया, जिन्हें आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को वित्तपोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। NIA ने इस मामले में कई व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिनमें कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद, और हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन शामिल हैं।-Engineer Rashid latest news

पिछले सप्ताह, इंजीनियर राशिद ने एक याचिका दायर की जिसमें उन्होंने अंतरिम जमानत या वैकल्पिक रूप से हिरासत में रहते हुए शपथ लेने के लिए पैरोल की मांग की। पटियाला हाउस कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई 18 जून को सूचीबद्ध की थी, लेकिन यह सुनवाई 22 जून तक स्थगित कर दी गई क्योंकि यह स्पष्ट नहीं था कि राशिद किस तारीख को सांसद के रूप में शपथ लेंगे। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 24, 25 और 26 जून को शपथ ग्रहण के लिए तीन संभावित तिथियाँ हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि इंजीनियर राशिद किस तारीख को शपथ लेंगे।

वैसे इस घटना ने कानूनी और राजनीतिक क्षेत्र में कई प्रश्न उठाए हैं। सबसे पहले, यह सवाल उठता है कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि को शपथ लेने से रोकना लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है या नहीं। राशिद की जीत को जनता का समर्थन मिला है, लेकिन उनके ऊपर लगे गंभीर आरोपों के चलते उनकी जमानत याचिका पर विचार किया जा रहा है।

इस मामले का गहरा प्रभाव जम्मू और कश्मीर की राजनीति पर पड़ा है। राशिद की गिरफ्तारी और उन पर लगे आरोपों ने राज्य में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, इस मामले ने आतंकवाद वित्तपोषण के मुद्दे को भी उजागर किया है, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है।

आपको बता दे कि आतंकवाद वित्तपोषण का मुद्दा जम्मू और कश्मीर में लंबे समय से चल रहा है। 1980 और 1990 के दशक में, जब कश्मीर में उग्रवाद अपने चरम पर था, पाकिस्तान सहित विभिन्न विदेशी स्रोतों से धन प्राप्त कर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया गया। इसके लिए हवाला नेटवर्क का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। समय के साथ, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इन नेटवर्कों का पर्दाफाश किया और कई प्रमुख व्यक्तियों को गिरफ्तार किया।

बाकि 1967 में लागू हुआ अवैध गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, 1985, 2004, 2008, और 2019 में संशोधित किया गया। यह अधिनियम आतंकवाद और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है। NIA को इस अधिनियम के तहत व्यापक शक्तियाँ दी गई हैं, जिससे वे आतंकवाद के मामलों की जांच और अभियोजन कर सकें।

हालाँकि हाफिज सईद, जो लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हैं, पर 2008 के मुंबई हमलों की साजिश रचने का आरोप है। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे। सईद के खिलाफ कई बार गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया, लेकिन पाकिस्तान ने उसे न्याय के कटघरे में लाने में असफलता दिखाई। ऐसे ही 2020 में, सईद को आतंकवाद वित्तपोषण के एक मामले में दोषी ठहराया गया और उसे 10 साल की सजा सुनाई गई।

इसी तरह यासीन मलिक, जो जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख थे, को 2019 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था। 2022 में, मलिक को एक ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 

तो इस तरह इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद और आतंकवाद वित्तपोषण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। कानूनी और राजनीतिक क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए न्यायिक प्रक्रिया का निष्पक्ष और स्वतंत्र होना आवश्यक है। लोकतंत्र में जनता का विश्वास बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसके लिए आवश्यक है कि सभी मामलों में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

Extra : इंजीनियर राशिद, बारामुला लोकसभा सीट, आतंकवाद वित्तपोषण, अंतरिम जमानत, राजनीति और कानून, लोकतंत्र, AIRR न्यूज़, भारतीय राजनीति, जम्मू और कश्मीर, UAPA, Engineer Rashid, Baramulla Lok Sabha Seat, Terrorism Financing, Interim Bail, Politics and Law, Democracy, AIRR News, Indian Politics, Jammu and Kashmir, UAPA

#politics #trump #news #india #conservative #republican #usa #bjp #memes #election #america #maga #congress #covid #politicalmemes #donaldtrump #vote #democrat #liberal #freedom #democrats #government #biden #love #political #narendramodi #meme #rahulgandhi #instagram #bhfyp#airrnews

RATE NOW
wpChatIcon