Electoral Bonds: The Financial Foundation of Indian Politics and Its Impact

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    Electoral Bonds: The Financial Foundation of Indian Politics and Its Impact

    Electoral Bonds: भारतीय राजनीति का वित्तीय आधार और उसका प्रभाव

    “क्या आपने सुना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता की जांच के लिए एक पांच जजों की पीठ को सौंपा है? आइए, हम इस मामले को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं, और देखते हैं कि इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। बने रहिए हमारे साथ, क्योंकि आपका समय शुरू होता है… अब!”

    आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे की जिसने भारतीय राजनीति के भीतर की वित्तीय गतिविधियों को प्रभावित किया है। हाँ, हम बात कर रहे हैं इलेक्टोरल बॉन्ड्स की। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bonds की वैधता की जांच करने के लिए एक पांच जजों की पीठ को सौंपा है? तो चलिए, इस वीडियो में हम इन्हीं सब बातों को उजागर करेंगे। तो बने रहिए हमारे साथ।

    सबसे पहले समझते है की इलेक्टोरल बॉन्ड्स आखिर है क्या ?

    तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की यह ब्याज रहित धारक बॉन्ड्स हैं जिन्हें किसी भी व्यक्ति द्वारा राजनीतिक दलों को दान देने के उद्देश्य से खरीदा जा सकता है। .वैसे इन  इलेक्टोरल बॉन्ड्स का उद्देश्य काले धन के प्रभाव को कम करना और व्यक्तियों और कंपनियों को राजनीतिक दलों को योगदान देने के लिए एक कानूनी और पारदर्शी तंत्र प्रदान करना था।  

     इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से दान करने वाले व्यक्तियों और कॉर्पोरेट्स की गोपनीयता को सुरक्षित रखना आवश्यक है, ताकि उन्हें किसी भी अन्य राजनीतिक दल से प्रतिशोध और पीड़ा का सामना नहीं करना पड़े।   इलेक्टोरल बॉन्ड्स की खरीदारी के लिए एक व्यक्ति या कंपनी को किसी भी सीमा का सामना नहीं करना पड़ता है। 

    भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की योजना को पहली बार 2017 के वित्त बिल के माध्यम से पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था, जिसे ‘देश की राजनीतिक फंडिंग के सिस्टम को साफ करने’ और राजनीतिक दान पारदर्शी बनाने की पहल के रूप में पेश किया गया था।

    वर्तमान में इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से दान करने वाले दाताओं की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के बावजूद, इसके खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं,  याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया है कि इस योजना के माध्यम से नागरिकों के अपने राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के बारे में जानने का अधिकार हनन होता है, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता हैं।  

    सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की वैधता की जांच करने के लिए एक पांच जजों की पीठ को सौंपा है, इस पीठ का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने किया. इस मामले की सुनवाई तीन दिनों तक चली थी।  

    सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है और चुनाव आयोग से यह जानकारी मांगी है कि राजनीतिक दलों को 2017-18 से सितंबर 2023 तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से कितना दान मिला  यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दो सप्ताह के भीतर दी जानी चाहिए।  

    सबसे रोचक बात यह है की जिस राजनितिक पार्टी ने ये योजना लागू की थी उसी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के माध्यम से सबसे ज्यादा चंदा प्राप्त हुआ  अगर हम चंदे की बात करे तो  भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2021-22 में सबसे अधिक दान प्राप्त किया था  BJP को सबसे ज्यादा ₹5,271.97 करोड़ का दान प्राप्त किया, जबकि अन्य राष्ट्रीय दलों ने मिलकर ₹1,783.93 करोड़ प्राप्त किए, अगर बात करे दूसरे नंबर की तो  दूसरे नंबर पर कांग्रेस थी, जिसने ₹952.29 करोड़ प्राप्त किए इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस ने ₹767.88 करोड़ प्राप्त किए बची हुई राशि को अन्य क्षेत्रीय दलों ने प्राप्त किया।

    दोस्तों, हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह वीडियो पसंद आया होगा। अगर आपके पास इस विषय पर कोई टिप्पणी या सुझाव है, तो कृपया हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखें। धन्यवाद! जय हिंद! वन्दे मातरम्!

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