Electoral Bonds: A New Challenge for Indian Democracy |

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Indian Democracy के भविष्य को निर्धारित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे, एक नए तरीके का उपयोग राजनीतिक दलों को चुनावी अभियान के लिए धन देने के लिए किया जाता है। और इन्हे चुनावी बॉन्ड कहते है। ये चुनावी बॉन्ड क्या है? ये कैसे काम करते हैं? ये किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं? ये किस तरह से लोकतंत्र की स्वच्छता और पारदर्शिता को खतरे में डालते हैं? और ये किस तरह से कॉरपोरेट और सरकार के बीच के संबंधों को बदलते हैं? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। 

चुनावी बॉन्ड एक तरह का बेनामी चेक है, जिसे किसी भी व्यक्ति या संगठन द्वारा खरीदा जा सकता है, और इसे केवल राजनीतिक दलों को ही दिया जा सकता है। ये बॉन्ड सिर्फ एसबीआई की चुनिंदा शाखाओं में ही उपलब्ध हैं, और इनकी मान्यता सिर्फ 15 दिन की होती है। ये बॉन्ड किसी भी नाम पर खरीदे जा सकते हैं, और इनके खरीदार का नाम न तो बैंक को पता होता है, न ही राजनीतिक दल को। इस प्रकार, ये बॉन्ड एक तरह का गुप्त और अविश्वसनीय तरीका है, जिसके द्वारा राजनीतिक दलों को चुनावी वित्त पोषण किया जाता है।

अगर सरकार की माने तो इन चुनावी बॉन्डों का उद्देश्य यह है कि इससे चुनावी वित्त पोषण को अधिक पारदर्शी और नियमित बनाया जा सके, और राजनीतिक दलों को काले धन से मुक्त किया जा सके। लेकिन वास्तव में, ये बॉन्ड इस उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाते हैं, बल्कि इसे और भी अधिक जटिल और अस्पष्ट बना देते हैं। ये बॉन्ड विभिन्न्न कारणों से चुनावी वित्त पोषण को अधिक अनैतिक और अनुचित बनाते हैं। 

ये बॉन्ड बेनामी होने के कारण, चुनाव आयोग, आम जनता, मीडिया और अन्य राजनीतिक दलों को यह जानने से वंचित कर देते हैं, कि कौन से व्यक्ति या संगठन ने किस राजनीतिक दल को कितना धन दिया है। इससे यह पता नहीं चलता है, कि कौन से राजनीतिक दल किस व्यक्ति या संगठन के हितों को प्रतिनिधित्व करते हैं, और कौन सी नीतियों और फैसलों पर उनका प्रभाव पड़ता है। इससे लोकतंत्र की आत्मा को नुकसान पहुंचता है, और जनता को अपने नेताओं के प्रति विश्वास और जिम्मेदारी का अधिकार छीन लिया जाता है।

वही ये बॉन्ड चुनावी वित्त पोषण को अधिक असमान और अन्यायपूर्ण बनाते हैं, क्योंकि इनका अधिकांश हिस्सा सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों को ही मिलता है, जो अपनी सरकारी और ब्यूरोक्रेटिक प्रभुत्व का इस्तेमाल करके अपने पक्ष में धनवान व्यक्ति और संगठनों को आकर्षित या मजबूर करते हैं। इससे वे अन्य राजनीतिक दलों के साथ चुनावी प्रतिस्पर्धा में अनुपातिक लाभ प्राप्त करते हैं, और चुनावी नतीजों पर अपना प्रभाव डालते हैं।

आपको बता दे कि, ये बॉन्ड राजनीतिक दलों को अपने मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी और जवाबदेह बनाने की बजाय, उन्हें अपने बॉन्ड दाताओं के प्रति आभारी और आश्रित बनाते हैं। ये बॉन्ड राजनीतिक दलों को अपने दाताओं के बारे में जानकारी देने से छूट देते हैं, जिससे वे अपने दाताओं के हितों को अधिक प्राथमिकता देते हैं, और अपने वोटरों और जनता के हितों को नजरअंदाज करते हैं। इससे राजनीतिक दलों का जनता के साथ संबंध बिगड़ता है, और उनकी नीतियों और कार्यों में दोष और दुरुपयोग बढ़ता है।

साथ ही ये बॉन्ड कॉरपोरेट और सरकार के बीच के संबंधों को अधिक असंतुलित और अस्वस्थ बनाते हैं, क्योंकि इनके द्वारा कॉरपोरेट अपने व्यापारिक लाभ के लिए सरकार को दबाव बनाने और प्रतिदान मांगने में सक्षम होते हैं। ये बॉन्ड कॉरपोरेट को अपने दान को गोपनीय रखने का अधिकार देते हैं, जिससे वे अपने दान के बदले में सरकार से अनुग्रह, छूट, ठेके, अनुदान, लाइसेंस आदि की मांग कर सकते हैं। इससे सरकार का नीतिगत स्वतंत्रता और निष्पक्षता खतरे में आता है, और वे अपने दाताओं के हितों के अनुरूप नीतियाँ बनाते और लागू करते हैं।

इस प्रकार, चुनावी बॉन्ड एक ऐसी व्यवस्था है, जो चुनावी वित्त पोषण को न केवल अधिक गुप्त और अविश्वसनीय बनाती है, बल्कि चुनावी प्रतिस्पर्धा, राजनीतिक जवाबदेही, लोकतांत्रिक स्वच्छता और कॉरपोरेट-सरकारी संबंधों को भी बिगाड़ती है। इसलिए, इस व्यवस्था को रद्द करने या सुधारने की आवश्यकता है, ताकि चुनावी वित्त पोषण को अधिक पारदर्शी, नियमित और निष्पक्ष बनाया जा सके, और लोकतंत्र की आत्मा को सुरक्षित रखा जा सके।

अगर हम पिछले वित्त वर्ष 2021-22 कि बात करे तो इन अंतराल में राजनीतिक दलों को कुल 366.495 करोड़ रुपये का दान मिला, जिसमें से सबसे अधिक राशि भाजपा को मिली है, जो 259.08 करोड़ रुपये है। जिसमे सबसे अधिक दान चुनावी बॉन्ड के माध्यम से हुआ है, जिसमें से 95 प्रतिशत भाजपा को ही मिला है।

इसके अलावा चुनावी ट्रस्टों ने भी राजनीतिक दलों को 485.15 करोड़ रुपये का दान दिया है, जिसमें से सबसे अधिक दान प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दिया है, जो 256.25 करोड़ रुपये का है। अन्य योगदानों में से, सबसे अधिक दान मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, और आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया कंपनियों ने दिया है, जो क्रमशः 87 करोड़, 50.25 करोड और 49.50 करोड़ रुपये हैं।

इसका ताज़ा मामला चुनाव आयोग के दिए आकड़ो के अनुसार सत्तारूढ़ भाजपा को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से लगभग 1300 करोड़ रुपये की भारी राशि प्राप्त की है, जो कांग्रेस के द्वारा प्राप्त हुई राशि के मुकाबले काफी ज्यादा है, जो केवल उसके अंश के बराबर है।

भाजपा को 2022-23 के दौरान कुल 2120 करोड़ रुपये प्राप्त हुए है, जिसमें से 61 प्रतिशत का आधार चुनावी बॉन्ड है। 

वित्त वर्ष 2021-22 में, पार्टी को कुल 1775 करोड़ रुपये के लगभग मिले थे। पार्टी की कुल आय 2022-23 में 2360.8 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 के 1917 करोड़ रुपये से अधिक थी।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड से 171 करोड़ रुपये मिले, जो वित्त वर्ष 2021-22 के 236 करोड़ रुपये से कम थे।

जबकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

एक और क्षेत्रीय पार्टी, समाजवादी पार्टी ने 2021-22 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 3.2 करोड़ रुपये कमाए थे। 2022-23 में, उन्हें इन बॉन्डों से कोई कुछ भी नहीं मिला।

एक और पार्टी, टीडीपी ने 2022-23 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 34 करोड़ रुपये कमाए, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 10 गुना अधिक थे।

सबसे ज्यादा फायदे में भाजपा रही जिसने पिछले वित्त वर्ष में ब्याज से भी 237 करोड़ रुपये कमाए, जो 2021-22 के 135 करोड़ रुपये से अधिक थे। अपने कुल व्यय में चुनाव और सामान्य प्रचार के तहत, भाजपा ने विमान और हेलीकॉप्टर के उपयोग के लिए 78.2 करोड़ रुपये दिए, जो 2021-22 के 117.4 करोड़ रुपये से कम हैं।

भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता के रूप में 76.5 करोड़ रुपये भी दिए, जो 2021-22 के 146.4 करोड़ रुपये से कम हैं।

इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि राजनीतिक दलों को मिले पैसे का विष्लेषण करने के लिए, हमें उनके चुनावी वित्त पोषण के विभिन्न स्रोतों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। इससे हम यह भी जान सकते हैं कि कौन सा राजनीतिक दल कितना और किस प्रकार का दान प्राप्त करता है, और इसका उसकी राजनीतिक नीतियों और कार्यक्रमों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

आशा है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। अगर आपके पास इससे संबंधित और कोई सवाल है, तो आप हमसे पूछ सकते हैं। 

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