राजनीति के इस खेल में जहां सत्ता की बाजी लगी हुई है वो है Wayanad की लोकसभा सीट, जिसके लिए एनडीए का असली उम्मीदवार कौन है, यह सवाल हर किसी के मन में है। क्या आरपीआई(ए) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नुजराथ जहां ही कांग्रेस नेता और मौजूदा सांसद राहुल गांधी और एलडीएफ उम्मीदवार एनी राजा को चुनौती देंगी? या फिर बीजेपी केरल नेतृत्व इस दावे को नकारती है।नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Electoral Battle of Wayanad news update
आरपीआई(ए) के राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के सहयोगी होने के बावजूद, बीजेपी केरल नेतृत्व ने इस दावे को खारिज किया है कि उनका Wayanad सीट पर कोई गठबंधन है। आरपीआई(ए) के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने 12 मार्च को सोशल मीडिया पर एक वीडियो में नुजराथ की उम्मीदवारी की घोषणा की थी। इसमें उन्होंने नुजराथ को “केरल में एक बहुत सक्रिय राजनीतिज्ञ” कहा और बताया कि पार्टी उन्हें Wayanad लोकसभा सीट के लिए टिकट दे रही है। “जैसे स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल को हराया, नुजराथ Wayanad में उन्हें हराएंगी,”।-Electoral Battle of Wayanad news update
इसके विपरीत, बीजेपी Wayanad जिला अध्यक्ष प्रशांत मलवयाल नेतृत्व ने इस दावे को खारिज किया है। “बीजेपी का केरल में आरपीआई(ए) के साथ कोई गठबंधन नहीं है। हमारे उम्मीदवारों का निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा किया जाता है। हम Wayanad में किसी भी स्वघोषित उम्मीदवार को मान्यता नहीं दे सकते,” उन्होंने कहा।
प्रशांत ने पुष्टि की कि Wayanad में एक बीजेपी उम्मीदवार को उतारा जाएगा। “हमने बीडीजेएस से Wayanad सीट वापस ली है। यह निश्चित है कि एक बीजेपी उम्मीदवार राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ेगा। मैंने कुछ ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्मों पर आरपीआई(ए) की घोषणा देखी। हालांकि, केरल में बीजेपी को अभी तक पार्टी नेतृत्व से कोई पुष्टि नहीं मिली है,” प्रशांत ने कहा।
वही दूसरी तरफ आरपीआई(ए) के राज्य सचिव सुनील मन्नाथ ने कहा कि Wayanad में एनडीए उम्मीदवार को लेकर कोई भ्रम नहीं है। “हम कुछ दिनों के भीतर बीजेपी नेतृत्व से एक आधिकारिक घोषणा की उम्मीद कर रहे हैं,”।
आपको बता दे कि Wayanad की चुनावी जंग में एनडीए के उम्मीदवार को लेकर जो विवाद सामने आया है, वह भारतीय राजनीति में गठबंधन धर्म की पेचीदगियों को उजागर करता है। एक ओर जहां आरपीआई(ए) ने नुजराथ जहां को उम्मीदवार बताया है, वहीं बीजेपी केरल की नेतृत्व ने इसे नकारते हुए अपने उम्मीदवार की बात कही है। इस तरह के मतभेद न केवल चुनावी रणनीति को प्रभावित करते हैं, बल्कि मतदाताओं के मन में भी असमंजस पैदा करते हैं।
इतिहास गवाह है कि अमेठी में स्मृति ईरानी की जीत ने राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ लाया था। आठवले की तुलना में नुजराथ की उम्मीदवारी को लेकर जो उत्साह दिखाया गया, वह इस बात का संकेत है कि Wayanad में भी एक कड़ी चुनौती पेश की जा सकती है। हालांकि, बीजेपी केरल की नेतृत्व की ओर से आया बयान इस दावे को जटिल बनाता है।
आगे चलकर, यह महत्वपूर्ण होगा कि एनडीए के भीतर की यह अंतर्कलह किस तरह से सुलझती है और इसका Wayanad के मतदाताओं पर क्या प्रभाव पड़ता है। यदि एनडीए एक स्पष्ट उम्मीदवार के साथ सामने आता है, तो यह उनकी चुनावी संभावनाओं को मजबूती प्रदान कर सकता है। लेकिन यदि यह मतभेद जारी रहता है, तो इससे विपक्षी दलों को फायदा हो सकता है।
तो इस तरह Wayanad की चुनावी जंग में एनडीए के उम्मीदवार को लेकर उठे इस विवाद से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक गठबंधनों में स्पष्टता और एकजुटता की कमी न केवल उनके अपने दल के लिए, बल्कि मतदाताओं के लिए भी भ्रम का कारण बन सकती है। इस तरह के मतभेद चुनावी परिणामों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं और राजनीतिक दलों को अपनी आंतरिक रणनीति को मजबूत करने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
अगली वीडियो में, हम Wayanad की चुनावी जंग में उम्मीदवारों की रणनीतियों और उनके चुनाव प्रचार के तरीकों पर नजर डालेंगे। क्या Wayanad के मतदाता इन राजनीतिक उठापटक से प्रभावित होंगे? इस पर एक गहन विश्लेषण के साथ हम आपको रूबरू कराएंगे। नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
Extra :
Wayanad, चुनावी जंग, एनडीए, उम्मीदवार, आरपीआई(ए), बीजेपी, मतभेद, राजनीतिक गठबंधन, राहुल गांधी, एलडीएफ, एनी राजा, चुनाव,Wayanad, Electoral Battle, NDA, Candidate, RPI(A), BJP, Disagreement, Political Alliance, Rahul Gandhi, LDF, Ani Raja, Election