“Lok Sabha Elections 2024: Storm in the Strongholds of Amethi and Raebareli – An AIRR News Special”-election update 2024

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लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश की दो हाई-प्रोफाइल सीटें अमेठी और रायबरेली पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। इन सीटों का गांधी परिवार से गहरा नाता रहा है और इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होने जा रहा है। लेकिन क्या स्मृति ईरानी फिर से अमेठी से जीत दर्ज कर पाएंगी या राहुल गांधी अपना पुराना गढ़ फिर से जीत लेंगे?-election update 2024

क्या कांग्रेस दोनों सीटों पर बड़ी जीत दर्ज कर पाएगी?-election update 2024

और क्या रायबरेली से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाने के फैसले के निहितार्थ हैं?

आइये इस मुद्दे को गहराई से समझते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। 

अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटें उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में स्थित हैं। जहा अमेठी संसदीय क्षेत्र में कुल 20 लाख से अधिक मतदाता हैं, जबकि रायबरेली में लगभग 16 लाख मतदाता हैं। लेकिन अमेठी पर 1980 से गांधी परिवार का कब्जा रहा है। पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने 1980 में पहली बार अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा था।

हालाँकि रायबरेली भी गांधी परिवार के लिए एक मजबूत गढ़ रहा है। पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने 1981 से 1991 तक रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने अमेठी से राहुल गांधी को हराया था। यह पहली बार था जब गांधी परिवार को अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था। बाकि 2019 के चुनाव में रायबरेली से कांग्रेस की सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी।

आपको बता दे कि कांग्रेस नेता भूपेश बघेल का यह बयान कि स्मृति ईरानी अमेठी में कांग्रेस को हराने में असमर्थ होंगी और कांग्रेस दोनों अमेठी और रायबरेली सीटों पर “बड़े अंतर” से जीत दर्ज करेगी, कई कारकों पर आधारित है।

अमेठी और रायबरेली दोनों सीटें पारंपरिक रूप से कांग्रेस के गढ़ रही हैं, और गांधी परिवार का इस क्षेत्र के लोगों के साथ गहरा रिश्ता है। इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सभी ने इनमें से किसी एक सीट का प्रतिनिधित्व किया है। इस पारिवारिक संबंध के कारण कांग्रेस को इन सीटों पर एक महत्वपूर्ण लाभ मिलता है।

हालाँकि स्मृति ईरानी एक मुखर और आक्रामक नेता हैं, जो अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए जानी जाती हैं। हालाँकि, उनकी यह आक्रामकता कुछ मतदाताओं को अलग-थलग कर सकती है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ विनम्रता और सौम्यता को अधिक महत्व दिया जाता है।

दूसरी तरफ कांग्रेस इन दोनों सीटों पर अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। पार्टी ने कई स्थानीय स्तर की विकास परियोजनाएँ शुरू की हैं और वरिष्ठ नेताओं को प्रचार करने के लिए भेजा है। ये पहल मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं और कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं।

ये भी सच है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में, स्मृति ईरानी ने अमेठी से राहुल गांधी को हराया था। हालाँकि, इरानी का जीत का अंतर काफी कम था, और सोनिया गांधी ने रायबरेली से बड़ी जीत हासिल की। इससे पता चलता है कि अमेठी में कांग्रेस का अभी भी एक मजबूत आधार है, और ईरानी के लिए इस बार जीत दोहराना मुश्किल हो सकता है।

वैसे बीजेपी अमेठी में आंतरिक कलह और गुटबाजी से भी जूझ रही है। कुछ स्थानीय नेता कथित तौर पर ईरानी के नेतृत्व से नाखुश हैं, और इससे पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है।

तो इस तरह अमेठी और रायबरेली उत्तर प्रदेश की दो महत्वपूर्ण लोकसभा सीटें हैं जिनका गांधी परिवार से गहरा नाता रहा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इन सीटों को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इनका परिणाम भारतीय राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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