पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और इमरान खान के करीबी सहयोगी Shah Mahmood Qureshi को पांच साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। और साथ ही उन्हें गुप्त सूचनाएं लीक करने के लिए दस साल की सजा सुनाई गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सब एक रहस्यमय कागज के कारण हुआ है, जिसे साइफर कहा जाता है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इस मामले के बारे में बताएंगे, जिसकी वजह से पाकिस्तान की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
67 साल के शाह महमूद कुरैशी, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ नेता, जिन्हें पाकिस्तान के चुनाव आयोग द्वारा पांच साल के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया है। यह फैसला उनके साथी और पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की राजद्रोह के मामले में सुनाई दस साल की सजा के कुछ ही दिनों बाद आया है।
आपको बता दे कि इस मामले का नाम साइफर केस है, जिसमें एक राजनयिक के टेलीग्राम का टुकड़ा शामिल है, जिसे इमरान खान ने मार्च 2022 में एक जनसभा में लहराया था, और अमेरिका का नाम लेकर, दावा किया था कि यह उनकी सरकार को गिराने के लिए एक “अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र” का “सबूत” है। इस पेपर को पाकिस्तान के वाशिंगटन में स्थित दूतावास ने 2022 के मार्च में भेजा था, जिसमें अमेरिका के साथ हुई पाकिस्तान की कुछ गोपनीय वार्ताओं का उल्लेख था।
इस केस को फेडरल जांच एजेंसी ने पिछले साल 15 अगस्त को दर्ज किया था, जिसमें इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी को गुप्त विधियों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। इस केस को एक विशेष अदालत ने सुना, जो ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत बनाई गई थी, इस केस की सुनवाई के दौरान, अदालत ने इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी के वकीलों को गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार का दोषी माना, और उन्हें बाहर निकाल दिया। अदालत ने दोनों को अपना बयान दर्ज करने का मौका दिया जहा वे अपनी बेगुनाही का दावा करते रहे। अदालत ने उनके बयानों को नकारा, और उन्हें दस साल की सजा सुनाई।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान की सुरक्षा और राष्ट्रहित को खतरे में डाला, और अमेरिका के साथ गठजोड़ कर अपनी सरकार को बचाने की कोशिश की। अदालत ने कहा कि उन्होंने ये पेपर जानबूझकर लीक करके, पाकिस्तान की विदेश नीति को बदलने की कोशिश की। अदालत ने कहा कि वे ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत दोषी हैं, और उन्हें दस साल की सजा और पांच साल का चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है।
इस फैसले के बाद, इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी के समर्थकों ने अदालत के बाहर प्रदर्शन किया, और उन्हें रिहा करने की मांग की। वे अदालत के फैसले को गलत, अनुचित और राजनीतिक बदले का नतीजा बताते हुए, उनके खिलाफ साजिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान के लिए बहुत कुछ किया है, और उन्हें इस तरह से जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि वे अपने नेताओं का समर्थन करते रहेंगे, और उनके लिए न्याय की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
वैसे इस फैसले का प्रभाव पाकिस्तान की राजनीति पर भी पड़ा है, जहां 8 फरवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी की पार्टी पीटीआई ने इस फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया है, और कहा है कि यह फैसला उनके विरोधियों और सेना के दबाव में लिया गया है। पीटीआई ने कहा है कि इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी ने कोई गुनाह नहीं किया है, बल्कि वे पाकिस्तान के लिए एक बेहतर भविष्य का सपना देखते हैं। पीटीआई ने कहा है कि वे अपने उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करेंगे, और अपने नेताओं को रिहा करवाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
इस फैसले के खिलाफ, इमरान खान और शाह महमूद कुरैशी के समर्थन में पूरे पाकिस्तान में प्रदर्शन और हड़ताल की घोषणा की गई है। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वे अपने नेताओं को न्याय दिलाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आवाज उठाएंगे, और उनके लिए आंदोलन करते रहेंगे। उन्होंने कहा है कि वे अपने नेताओं के साथ हैं, और उनके लिए लड़ने को तैयार हैं।
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