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कनाडा और भारत के बीच पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण कूटनीतिक संबंधों का दौर चल रहा है। हाल ही में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एक बयान ने इस तनाव को फिर से हवा दी है। ट्रूडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी जीत पर बधाई देते हुए कहा कि कनाडा, भारत के साथ “मानवाधिकार, विविधता, और विधि के शासन” के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। लेकिन, इसी दिन एक उच्च-स्तरीय कनाडाई संसदीय समिति की रिपोर्ट ने भारत को कनाडा के लोकतंत्र के लिए दूसरा सबसे बड़ा विदेशी खतरा करार दिया।-Diplomatic Tensions update
यह सब तब शुरू हुआ जब कनाडा ने आरोप लगाया कि भारतीय एजेंटों ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए षड्यंत्र रचा था। भारत ने इस आरोप को पूरी तरह बेतुका करार दिया।
इस घटनाक्रम ने कई प्रश्न उठाए हैं: क्या कनाडा और भारत के बीच कूटनीतिक संबंधों में सुधार की संभावना है? क्या यह केवल एक राजनीतिक चाल है या वास्तविक चिंता? और सबसे महत्वपूर्ण, कैसे इन घटनाओं का प्रभाव दोनों देशों के भविष्य के संबंधों पर पड़ेगा? आइए, इन सवालों के माध्यम से इस विवाद के सभी पहलुओं को समझने की कोशिश करें।
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आज के विशेष कार्यक्रम में हम चर्चा करेंगे कनाडा और भारत के बीच उत्पन्न हुए ताजा कूटनीतिक विवाद पर। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की बधाई संदेश के पीछे की राजनीतिक रणनीति और भारत पर लगे आरोपों के प्रभाव पर एक विस्तृत नज़र डालेंगे।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनावों में उनकी जीत पर बधाई दी है। ट्रूडो ने अपने संदेश में कहा, “कनाडा भारत के साथ मानवाधिकार, विविधता और विधि के शासन पर आधारित संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।” इस बयान के साथ ही, एक उच्च-स्तरीय कनाडाई संसदीय समिति की रिपोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि भारत कनाडा के लोकतंत्र के लिए चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा विदेशी खतरा है।
ट्रूडो का बयान और रिपोर्ट एक समय पर जारी किए गए, जब भारत और कनाडा के बीच पहले से ही कूटनीतिक तनाव चल रहा है। पिछले साल जून में, खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को कनाडा के सुर्रे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई थी। निज्जर को 2020 में भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था। इस घटना के बाद, कनाडा ने आरोप लगाया कि भारतीय एजेंटों ने निज्जर की हत्या के लिए षड्यंत्र रचा था, जिसे भारत ने पूरी तरह नकार दिया।
हालांकि, ट्रूडो का कहना है कि उनकी सरकार विदेशी हस्तक्षेप के मामले को बहुत गंभीरता से लेती है। रिपोर्ट में चीन को कनाडा के लोकतंत्र में विदेशी हस्तक्षेप का सबसे बड़ा स्रोत बताया गया, लेकिन भारत को रूस से भी बड़ा खतरा बताया गया। यह रिपोर्ट मई में प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी गई थी, लेकिन इस सप्ताह संसदीय कार्यवाही में इसे प्रस्तुत किया गया।
आपको बता दे कि भारतीय जनता पार्टी हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में 240 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। लेकिन, साधारण बहुमत के लिए आवश्यक 272 सीटों से 32 सीटें कम होने के कारण बीजेपी को अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में, बीजेपी ने अपने प्रचार अभियान में देश की सुरक्षा और विकास को प्राथमिकता दी।
जस्टिन ट्रूडो का बयान उस समय आया है जब कनाडा और भारत के बीच संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ट्रूडो ने भारत के साथ मानवाधिकार और विधि के शासन पर आधारित संबंधों को आगे बढ़ाने की बात कही है। यह बयान इस बात को दर्शाता है कि कनाडा अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, खासकर विदेशी हस्तक्षेप के संदर्भ में।
वैसे हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने कनाडा में भारतीय खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कनाडा का आरोप है कि भारतीय एजेंटों ने निज्जर की हत्या के लिए षड्यंत्र रचा था। भारत ने इन आरोपों को बेतुका करार दिया है।
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत, कनाडा के लोकतंत्र के लिए दूसरा सबसे बड़ा खतरा है। यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन को छोड़कर किसी भी अन्य देश से बड़ा खतरा मानता है।
वैसे रूस और चीन पर भी विभिन्न देशों के लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप के आरोप लगते रहे हैं। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस की हस्तक्षेप की घटनाएं और कई यूरोपीय देशों में चुनावों के दौरान चीन के साइबर हमलों के आरोप उदाहरण हैं।
भारत में भी समय-समय पर विदेशी हस्तक्षेप का मुद्दा उठता रहा है। हाल ही में हुए चुनावों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फेक न्यूज़ और विदेशी फंडिंग के आरोप लगे थे।
तो इस तरह कनाडा और भारत के बीच संबंधों में हाल ही में आए तनाव ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बयान और उच्च-स्तरीय कनाडाई संसदीय समिति की रिपोर्ट ने भारत को लेकर नए प्रश्न उठाए हैं। यह देखा जाना बाकी है कि इन घटनाओं का भविष्य में दोनों देशों के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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