दिनेश लाल निरहुआ के लिए आजमगढ़ की चुनौती आसान है या मुश्किल?-Dinesh Lal Yadav latest news

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Dinesh Lal Yadav latest news

लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट का रण-Dinesh Lal Yadav latest news

दिनेश लाल निरहुआ की धर्मेंद्र यादव से टक्कर

2022 के उपचुनाव में धर्मेंद्र को हरा चुके हैं निरहुआ

अब के चुनाव में काफी कुछ बदल गया है-Dinesh Lal Yadav latest news

लोकसभा चुनाव का रण जारी है.. इस बार कई ऐसी सीटें हैं जहां पेंच फंसा हुआ है.. जिसमें से एक यूपी की आजमगढ़ सीट भी है…इस सीट पर निरहुआ और धर्मेंद्र यादव दूसरी बार आमने सामने हैं. 2022 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को शिकस्त देने वाले निरहुआ के लिए लड़ाई आसान नहीं मानी जा रही है.. नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS…दरअसल निरहुआ को जहां मोदी-योगी का भरोसा है, वहीं धर्मेंद्र यादव को भाई अखिलेश यादव का.. और कुछ हद तक गुड्डू जमाली के साथ आ जाने से भी जोश बढ़ा है… 2019 के आम चुनाव से तुलना करें तो समाजवादी पार्टी का गठबंधन भी बदल चुका है.-Dinesh Lal Yadav latest news

तब समाजवादी पार्टी का बीएसपी के साथ चुनावी गठबंधन था, लेकिन इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन INDIA ब्लॉक के बैनर तले हुआ है, जिसमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी शामिल है. लेकिन दिनेश लाल निरहुआ के लिए समाजवादी पार्टी ने ऐसी घेरबंदी की है कि 2022 में बीजेपी सांसद की जीत पक्की करने के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले गुड्डू जमाली भी अब अखिलेश यादव के साथ हो गये हैं. पूर्व विधायक गुड्डू जमाली को मायावती ने 2022 के चुनाव में खड़ा किया था.

2014 में मुलायम सिंह से चुनाव हार चुके गुड्डू जमाली को 2019 में इसलिए मौका नहीं मिल पाया, क्योंकि गठबंधन के तहत आजमगढ़ से अखिलेश यादव खुद चुनाव मैदान में थे – और बीजेपी उम्मीदवार के रूप में निरहुआ को शिकस्त झेलनी पड़ी थी..निरहुआ के सपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में भी रैली की थी, और इस बार भी 16 मई को आजमगढ़ पहुंचे थे, लेकिन यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं

और अपने अपने उम्मीदवारों के लिए मोदी-योगी से मुकाबले के लिए अखिलेश यादव भी पूरे परिवार के साथ इलाके में जमे हुए हैं… एक सवाल है कि गुड्डू जमाली यानी शाह आलम के बीएसपी छोड़ कर अखिलेश यादव के साथ चले जाने से निरहुआ को कितना नुकसान हो सकता है?..जवाब खोजने पर पहला सवाल तो यही उठता है कि निरहुआ को चुनाव जीतने में गुड्डू जमाली से मदद मिली थी, या बीएसपी के वोट से? वैसे मायावती ने इस बार भी आजमगढ़ से मुस्लिम उम्मीदवार ही खड़ा किया है. मशहूद अहमद बीएसपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं

मशहूद अहमद मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्ग से आते हैं, जबकि गुड्डू जमाली अगड़े समाज से. यानी मायावती ने इस बार भी ‘खेला’ कर दिया है. कांग्रेस और सपा के साथ चुनाव लड़ने से मुस्लिम वोट बंटने की कम ही संभावना है, लेकिन मशहूद अहमद, निरहुआ के खिलाफ जा रहे वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं क्योंकि वहां बुनकर और अंसारी जैसे पिछड़े वोटर की तादाद काफी है. ऐसे में जरूरी नहीं है कि निरहुआ के लिए उपचुनाव जैसी राह आसान हो ही…निरहुआ 2019 में भी जोरदार कैंपेन कर रहे थे, और उनके आसपास भीड़ भी खूब जुट रही थी. शायद पहली बार निरहुआ के फैंस उनको नेता के रूप में सामने देख रहे थे.

लोग बताते थे कि निरहुआ की गाड़ी पर उनके फैंस वैसी ही टूट पड़ रहे थे जैसे किसी जमाने में राजेश खन्ना की कार तक को चूम लेने के किस्से सुनाये जाते हैं – लेकिन वो भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हुई और अखिलेश यादव से निरहुआ चुनाव हार गये…बताते हैं कि सांसद बनने के बाद से निरहुआ ने आजमगढ़ में कई फिल्मों की शूटिंग की है, और अपने इलाके के कई लोगों को कास्ट भी किया है. इस सिलसिले में हाल ही का एक वाकया काफी चर्चा में रहा. असल में, आजमगढ़ के दौरे में एक बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निरहुआ की भी गोरखपुर सांसद रविकिशन की तरह ही खिंचाई की थी. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि निरहुआ को बीजेपी के ज्यादा कार्यकर्ताओं को फिल्म में नहीं लेना चाहिये, क्योंकि बहुत सारे कार्यकर्ता फिल्मों में एक्टिंग करने लगेंगे तो आजमगढ़ में बीजेपी का काम कैसे चलेगा…

फिल्मों में काम देने के साथ-साथ निरहुआ लोगों से लगातार कनेक्ट रहने की कोशिश भी करते रहे हैं. चुनाव कैंपेन में अखिलेश यादव और धर्मेंद्र यादव दोनों ही निरहुआ के निशाने पर रहते हैं. अपनी रैलियों में निरहुआ कहते हैं, आजमगढ़ में डेढ़ साल में इतना काम हुआ है, जितना 70 साल में नहीं हुआ. आजमगढ़ की जनता ने जिनको चुना था वो उनको छोड़कर भाग गये… जीत का प्रमाण पत्र भी लेने नहीं आये वो जनता के बीच क्या रहेंगे? मैंने जनता से वादा किया था कि आपका निरहुआ आपके बीच रहेगा.निरहुआ को ये सब कहने का मौका इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा था कि वो आजमगढ़ के लोगों से पूछकर ही चुनाव लड़ेंगे. लेकिन फिर अचानक ही उनके मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी गई, हो सकता है गुपचुप तरीके से लोगों की राय ली गई हो…

अब निरहुआ घूम घूम कर गाना सुना रहे हैं, ‘अखिलेश हुए फरार… निरहुआ डटल रहे’. इस सीट पर शह-मात का खेल जारी है..निरहुआ के गानों का ही असर है कि आजमगढ़ पहु्ंचकर समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव जगह जगह भोजपुरी में भाषण देने लगी हैं – और अखिलेश यादव याद दिलाते फिर रहे हैं कि फिक्र की अब कोई बात नहीं है क्योंकि गुड्डू जमाली साथ आ गये हैं…2017 के चुनाव में सपा और कांग्रेस के कैंपेन में अखिलेश यादव और राहुल गांधी को ‘यूपी के लड़के’ बोल कर प्रचारित किया जा रहा था, अब मोदी और योगी दोनों नेताओं को शहजादे कह कर संबोधित कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे बिहार में तेजस्वी यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जंगलराज के युवराज कह कर टारगेट करते हैं…

जवाब में अखिलेश यादव रैलियों में कह रहे हैं, इस बार लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस के यही शहजादे भारतीय जनता पार्टी को शह देंगे और जनता मात देगी..बीजेपी उम्मीदवार निरहुआ को निशाना बनाते हुए अखिलेश यादव कटाक्ष करते हैं, ये लोग डबल इंजन सरकार वाले हैं… आजमगढ़ में तो नये तरह का मामला है… यहां तो डबल अभिनय वाले लोग हैं… इसलिए उनसे भी सावधान रहना. ..बहुजन समाज पार्टी पर बीजेपी से हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर आप उत्तर प्रदेश का चुनाव देखेंगे तो बीजेपी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ अंदर ही अंदर हाथ मिला लिया है, इसलिए दोनों ही पार्टियों से सावधान रहना होगा..

निरहुआ के लिए मुश्किल वाला एक संकेत अखिलेश यादव की रैलियों में सपा कार्यकर्ताओं का हंगामा भी महसूस किया जा रहा है. बताते हैं कि कार्यकर्ताओं में अखिलेश यादव के करीब पहुंचने और सेल्फी लेने की कोशिश की होड़ मच रही है – और इसीलिए वो हल्लाबोल वाले फॉर्म में लौट जाते हैं…. अब आजमगढ़ में कौन किला फतह करेगा इसकी तस्वीर 4 जून को साफ होगी.. इसी तरह की सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ…

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