दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal को जारी किया गया ED का समन, जो दिल्ली शराब घोटाले से जुड़ा है। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें राजनीति, कानून और आर्थिक अपराध का मिश्रण है। आइए जानते हैं कि इस मामले की शुरुआत कैसे हुई, इसका वर्तमान स्थिति क्या है और इसके भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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दिल्ली शराब घोटाला एक ऐसा राजनीतिक घोटाला है, जिसमें आरोप है कि दिल्ली सरकार ने 2021 में अपनी नई शराब नीति के तहत निजी कंपनियों को शराब की बिक्री का अधिकार देकर उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया। इस नीति के तहत, सरकार ने शराब की बिक्री से अपना हाथ खींच लिया था और केवल निजी दुकानों को ही इसका अधिकार दिया था। इस नीति का मुख्य उद्देश्य कालाबाजारी रोकना, राजस्व बढ़ाना और उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव देना था। इस नीति से सरकार को 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ करीब 8,900 करोड़ रुपये की आय हुई।
लेकिन इस नीति पर जल्द ही विरोध शुरू हो गया, पहले तो दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने, जो कि केंद्र सरकार के अधीन है, और फिर दिल्ली के नए उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने, जो की केंद्र सरकार के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने दिल्ली के शीर्ष नौकर की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नियमों को तोड़कर शराब वेंड लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया है। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच की मांग की।
जल्द ही, मनीष सिसोदिया ने कहा कि वे इस नीति को रद्द कर रहे हैं, क्योंकि भाजपा ने अपने नियंत्रण वाली जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके विक्रेताओं को डराने की कोशिश की है। उन्होंने अपने पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल को भी एक “अंतिम क्षण का बदलाव” करने का दोष दिया, जिससे इस सुधार को नुकसान पहुंचा।
CBI ने अपने आरोप पत्र में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं लिया था, लेकिन पिछले साल, एजेंसी ने 31 स्थानों, जिनमें उनके घर का भी शामिल था, पर छापेमारी की थी। एजेंसी ने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया।
इसके अलावा ED ने भी दिल्ली शराब घोटाले में धन शुद्धिकरण का आरोप लगाकर एक जांच शुरू की, और दावा किया कि एक शराब लॉबी जिसे “साउथ ग्रुप” कहा जाता है, ने गोवा चुनाव अभियान के लिए अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों को बड़ी राशि में रिश्वत दी। ED ने इस आरोप को साबित करने के लिए बैंक लेनदेन, डिजिटल रिकॉर्ड, विज्ञापन और अन्य साक्ष्यों का इस्तेमाल किया। ED ने कहा कि इस घोटाले में लगभग 500 करोड़ रुपये का धन शुद्धिकरण हुआ है।
इस तरह, दिल्ली शराब घोटाले का मामला अभी भी जांच एजेंसियों के अधीन है, और इसके आरोपियों को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, इस मामले ने दिल्ली की राजनीति में भी गरमाहट पैदा की है, जहां आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच तीखी टक्कर चल रही है। इस मामले का लोकसभा चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।
आशा है कि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई होगी। अगर आपके पास इस मामले से जुड़े कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे।
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