Delhi Liquor Policy Case: Sanjay Singh’s Bail Plea Rejected, An In-depth Analysis

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दिल्ली शराब नीति मामला: Sanjay Singh की जमानत याचिका खारिज, एक गहन विश्लेषण

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली शराब नीति केस से जुड़े धन शोधन मामले में आम आदमी पार्टी के नेता Sanjay Singh की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इस केस का निराकरण या सिद्ध करने के लिए ED और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा दोनों जांच कर रही हैं। इस केस का अंतिम फैसला अदालत के हाथ में है, जो सबूतों और गवाहों के आधार पर न्याय करेगी। तो चलिए, शुरू करते हैं आज का हमारा न्यूज बुलेटिन, और जानते हैं इस केस की पूरी कहानी। 

दिल्ली शराब नीति केस एक जटिल विवाद है, जिसमें दिल्ली सरकार के कई वरिष्ठ नेताओं को रिश्वत लेने और शराब लाइसेंस बांटने में धांधली करने का आरोप लगा है। इस मामले में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद Sanjay Singh को गिरफ्तार किया गया है और उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। इसके अलावा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए समन जारी किया है। इस केस की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रहे हैं।

2020 में दिल्ली सरकार ने एक नई शराब नीति का प्रस्ताव रखा, जिसके तहत दिल्ली को 32 ज़ोन में बांटा गया और प्रत्येक ज़ोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इस नीति का उद्देश्य शराब माफिया और कालाबाजारी को खत्म करना, राजस्व बढ़ाना और उपभोक्ता को सुविधाएं देना और शराब की दुकानों का समान वितरण सुनिश्चित करना था। इसमें सरकार को शराब बेचने के कारोबार से बाहर निकालना मकसद रहा।  जिसमे सिर्फ निजी शराब की दुकानें शहर में चलेंगी, और प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में 2 से 3 दुकानें होंगी। सरकार ने लाइसेंसधारियों के लिए नियमों को भी लचीला बनाया, जैसे कि उन्हें छूट देने और अपनी मर्जी के मुताबिक कीमत तय करने की अनुमति देना बजाय सरकार द्वारा निर्धारित एमआरपी पर बेचने के। इन बदलावों के कारण, विक्रेताओं ने छूट प्रदान की। इसके बाद विपक्ष के विरोध से उत्पाद शुल्क विभाग ने कुछ समय के बाद ये नीति वापस ले ली।

आपको बता दे की इस नई शराब नीति के लागू होने से दिल्ली सरकार की राजस्व में वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2020-21 में दिल्ली सरकार का राजस्व 41,129 करोड़ रुपये था वित्त वर्ष 2021-22 में दिल्ली सरकार की राजस्व 60,000 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था, जो कि 2020-21 की तुलना में 45.9 प्रतिशत अधिक था। वित्त वर्ष 2022-23 में दिल्ली सरकार की राजस्व 69,000 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है, जो कि 2021-22 की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है।

इस केस के प्रभाव से दिल्ली सरकार को बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी इस केस में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने उन्हें शराब लाइसेंस बांटने में अनियमितता और लाइसेंसधारियों को छूट देने का आरोप लगाया है। ईडी ने उन्हें धन शोधन और रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। उनकी जमानत याचिका अभी तक मंजूर नहीं हुई है। इस केस में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भी छापेमारी की है और कई दस्तावेज और डिजिटल सामग्री जब्त की है। इस केस के खिलाफ विपक्षी दलों ने भी आवाज उठाई है और दिल्ली सरकार को इस्तीफा देने की मांग की है। वे कहते हैं कि दिल्ली सरकार ने शराब नीति के नाम पर जनता को ठगा है और शराब के कारोबार में घोटाला कर रही है। 

इसपर अरविन्द केजरीवाल शाषित दिल्ली सरकार ने इस केस को एक राजनीतिक साजिश बताया है और अपने नेताओं का पक्ष लिया है। वे कहते हैं कि उन्होंने शराब नीति में बदलाव करके दिल्ली के लोगों को एक बेहतर और स्वच्छ शराब वितरण करने का कार्य किया है, जिससे राजस्व बढ़ा है और शराब माफिया को खत्म किया है। वे कहते हैं कि उनके नेताओं पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उन्हें बदनाम करने का एक प्रयास है। वे कहते हैं कि वे अपने नेताओं को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे और अदालत में अपनी बात रखेंगे।

वैसे इस केस का अंतिम फैसला अभी बाकी है, जिसका इंतजार करना होगा। इस केस का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्व है, क्योंकि यह दिल्ली के शराब उद्योग और शराब के उपभोक्ताओं पर असर डालेगा। इस केस के बारे में आपको क्या लगता है? क्या आपको लगता है कि दिल्ली सरकार ने शराब नीति में बदलाव करके एक अच्छा काम किया है, या कि वे इसमें भ्रष्टाचार कर रहे हैं? अपनी राय हमें बताएं।

धन्यवाद।

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