India के विदेशी मुद्रा भंडार ने पिछले हफ्ते 5.240 अरब डॉलर की कमी दर्ज की, जिससे वे 617.230 अरब डॉलर पर पहुंच गए। यह गिरावट भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 9 फरवरी को समाप्त हुए हफ्ते में हुई है। इससे पहले के हफ्ते में India के विदेशी मुद्रा भंडार ने अपना शीर्ष स्तर छुआ था।Decline in India’s Foreign Exchange Reserves
ऐसे में अचानक India के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई गिरावट का क्या मतलब है?
इसके पीछे कौन-कौन से कारण हैं? इसकाIndia की अर्थव्यवस्था और विश्व व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
और सबसे ज्यादा जरुरी सवाल कि इस समस्या का सामना करने के लिए India को क्या करना चाहिए?
आज कि इस खास वीडियो में हम इस मुद्दे को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे, नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
सबसे पहले आपको बताते है आखिर ये विदेशी मुद्रा भंडार या विदेशी मुद्रा रिजर्व या फोरेक्स रिजर्व क्या है ?
ये वो संपत्ति हैं, जो एक देश के केंद्रीय बैंक या मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा रखी जाती हैं। यह आम तौर पर रिजर्व मुद्राओं में रखा जाता है, जैसे कि अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और स्टर्लिंग पाउंड।
विदेशी मुद्रा भंडार का मुख्य उद्देश्य विदेशी मुद्रा के बाजार में हस्तक्षेप करने, विदेशी ऋण चुकाने, आयात का भुगतान करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने की क्षमता प्रदान करना है।
India के विदेशी मुद्रा भंडार के चार मुख्य घटक हैं, जिनमे विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCA) है जिसमे विदेशी मुद्रा में रखी जाने वाली संपत्तियां हैं, जैसे कि विदेशी बैंकों के जमा, विदेशी कैपिटल मार्किट में निवेश, विदेशी सरकारों के बाह्य ऋण और विदेशी मुद्रा।
वही गोल्ड रिजर्व (GR) विदेशी मुद्रा भंडार का वह रूप है, जिसमे सोने को रखा जाता है जो कि देश को वित्तीय आपदा के समय में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
Special Drawing Rights यानी (SDR) भी एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा है, जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा निर्धारित कि जाती है। यह एक बास्केट में शामिल पांच मुद्राओं डॉलर, यूरो, येन, पाउंड और रेनमिनबी का एक मिश्रण है। यह देशों को अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने और विदेशी मुद्रा के बाजार में विनिमय करने का एक अधिकार प्रदान करता है।
आरबीआई के पास आईएमएफ में जमा रिजर्व फण्ड वह राशि है, जो आरबीआई ने आईएमएफ के साथ जमा की है, जिसका उपयोग विदेशी मुद्रा की आवश्यकता के समय किया जा सकता है।
इन चार घटकों को मिलाकर India का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बनता है, जो देश की आर्थिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
अब बताते है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का क्या मतलब है?
विदेशी मुद्रा भंडार का गिरावट का मतलब है कि देश के पास विदेशी मुद्रा की कमी हो रही है, जो उसकी विदेशी मुद्रा की मांग से अधिक है। यह देश के लिए एक चिंताजनक स्थिति हो सकती है, क्योंकि यह उसकी विदेशी मुद्रा के बाजार में हस्तक्षेप, विदेशी ऋण के भुगतान, आयात का भुगतान और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सबसे बड़ा कारण तो किसी भी देश का विदेशी मुद्रा का आयात उसके निर्यात से अधिक हो, जिससे उसका विदेशी मुद्रा का शेष ऋण घटता हो बताया जाता है। जिसमे यह भी हो सकता है कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर विदेशी मुद्रा के बाजार के उतार-चढ़ाव, विदेशी निवेशकों के निवेश और निकासी, विदेशी मुद्रा के बाजार में हस्तक्षेप, विदेशी मुद्रा के बाजार में विनिमय दर, विदेशी मुद्रा के बाजार में आपूर्ति और मांग, विदेशी मुद्रा के बाजार में विश्वसनीयता और आशंका के प्रभाव हो।
विदेशी मुद्रा भंडार का गिरावट का प्रभाव ये भी हो सकता है कि देश की विदेशी मुद्रा की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़े, जिससे उसकी विदेशी मुद्रा की विनिमय दर में अस्थिरता और दबाव आए। यह देश की आयात को महंगा और निर्यात को सस्ता कर सकता है, जिससे उसका व्यापार संतुलन एकाउंट प्रभावित हो सकता है। यह देश की विदेशी मुद्रा की आवश्यकता को पूरा करने में कठिनाई पैदा कर सकता है, जिससे उसका विदेशी ऋण और विदेशी मुद्रा की भुगतान की क्षमता कम हो सकती है। यह देश की अर्थव्यवस्था को विश्व व्यापार और वित्त के उतार-,चढ़ाव के प्रभाव से भी बचाने में असमर्थ हो सकता है।
ऐसे में India में विदेशी मुद्रा के बाजार में विनिमय दर को उचित स्तर पर रखने के लिए RBI का नियंत्रण और हस्तक्षेप बढ़ना चाहिए साथ ही विदेशी मुद्रा की मांग को कम करने और आपूर्ति को बढ़ाने के लिए व्यापार और वित्तीय सुधार, विदेशी निवेश को आकर्षित करने और विदेशी मुद्रा की निकासी को रोकने की नीतियाँ बनाने कि सख्त आवश्यकता है।
विदेशी मुद्रा के बाजार में विश्वसनीयता और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए आर्थिक और मौद्रिक नीतियों का समन्वय, आर्थिक नियमकों का मजबूतीकरण, आर्थिक आँकड़ों का पारदर्शिता और विश्लेषण के साथ साथ विदेशी मुद्रा की बाजार में आशंका और अनिश्चितता को कम करने के लिए विश्व व्यापार और वित्त के साथ सहयोग और समन्वय, विश्व स्तर पर मौद्रिक और वित्तीय संस्थाओं के साथ संवाद, विश्व व्यापार और वित्त के नियमों और मानकों का पालन करके इस गिरावट से बचा जा सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार का एक स्वस्थ और पर्याप्त स्तर रखना देश के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह उसकी आर्थिक स्थिरता, विकास और समृद्धि को सुनिश्चित करता है। इसलिए, विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन और निरीक्षण के लिए RBI की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
तो, इस विशेष कार्यक्रम में इतना ही, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह कार्यक्रम पसंद आया होगा, और आपने इस मुद्दे के बारे में कुछ नया जाना होगा। अगर आपके पास इस मुद्दे से जुड़ी कोई राय या सुझाव है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।
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नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।