Dadi-Nani Ki Baatein: शास्त्रों में बताए गए नियम और मान्यताओं का संबंध शुभ-अशुभ से जोड़कर देखा जाता है. बड़े-बुजुर्ग तो आज भी इन नियम, परंपरा और मान्यताओं का पालन कर रहे हैं. इन्हीं नियम परंपराओं में है थाली में रोटी परोसना.
शास्त्रों में भोजन पकाने और खाने के साथ ही परोसने के नियम भी बताए गए हैं, जिसका पालन सदियों से किया जा रहा है. आज भी दादी-नानी जब थाली में तीन रोटी परोसते हुए देखती है तो तुरंत टोककर कहती है कि थाली में या तो 2 रोटी रखो या 4. लेकिन तीन रोटी थाली में नहीं रखनी चाहिए. जानते हैं कि आखिर दादी-नानी ऐसा क्यों कहती है.
आपको दादी-नानी की ये बातें अटपटी या मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्रों में इसका कारण भी बताया गया है. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो भविष्य में होनी वाली अनहोनी या अशुभ घटना से बच सकते हैं. दादी-नानी की इन बातों में परिवार की भलाई छिपी होती है. आइए जानते हैं आखिर क्यों भोजन में नहीं परोसते तीन रोटी.
थाली में क्यों नहीं परोसनी चाहिए 3 रोटियां
शास्त्रों में बताए इस नियम का पालन आज भी कई घरों में किया जाता है और लोग थाली में तीन रोटी नहीं परोसते हैं. कुछ लोग तो टिफिन में भी तीन रोटी पैक नहीं करते हैं. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, ज्योतिष शास्त्र में तीन अंक को अशुभ माना जाता है. इसलिए लोग 2 या फिर चार ही रोटी परोसते हैं. यदि किसी कारण 3 रोटी की जरूरत पड़े तो 2 रोटी पहले और एक रोटी बाद में परोसें. या फिर रोटी का एक किनारा तोड़ने के बाद 3 रोटी परोस सकते हैं. इससे रोटी की संख्या चार हो जाती है. यह मान्यता प्राचीन समय से चली आ रही है और लोग आज भी बिना कारण इसे मानते आ रहे हैं. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
ये भी हैं कारण
- सनातन धर्म में मृत व्यक्ति की थाली के नाम से जो भोजन निकाला जाता है उसमें तीन रोटियां रखी जाती हैं. मुख्य रूप से पितृपक्ष में पितरों की थाली में तीन रोटी परोसते हैं.
- शास्त्रों में कहा गया है कि थाली में तीन रोटी परोसना मृत व्यक्ति को भोजन कराने के समान है. इसलिए कभी भी किसी को तीन रोटी न परोसें.
- ज्योतिष में 3 अंक को अशुभ माना गया है. इसलिए किसी शुभ काम में 3 संख्या को शामिल नहीं किया जाता है और ना ही तीन तारीख से शुभ काम की शुरुआत की जाती है. विषम संख्या के रूप में 5,7,11, 21 शुभ माने जाते हैं.
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