Lower 01 – Unraveling the Verdict: Dabholkar Murder Case After 11 Years
Lower 02 – Justice Served: Life Imprisonment for Dabholkar Case Culprits
Lower 03 – Decoding the Acquittals: Dabholkar Murder Case Verdict
Lower 04 – Long-Awaited Verdict: Dabholkar Case Ends with Life Imprisonment
Lower 05 – Significance of the Dabholkar Murder Case Verdict after 11 Years
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR NEWS…सोशल वर्कर नरेंद्र दाभोलकर की 11 साल पहले हुई हत्या के मामले में पुणे की कोर्ट ने दो लोगों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है….वहीं इसी मामले में 3 लोगों को बरी कर दिया गया है….पुणे में ठीक 11 साल पहले हुई एक घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था….
आपको बता दें कि डॉ. नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक थे….20 अगस्त 2013 को डॉ. दाभोलकर सुबह की सैर के लिए निकले थे….जैसे ही वो बाल गंधर्व रंग मंदिर के पीछे वाले पुल पर पहुंचे तो 2 मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसाई और घटनास्थल पर ही दाभोलकर की मौत हो गई और दोनों आरोपी मौके से फ़रार हो गए….अब इस घटना के क़रीब 11 साल बाद 10 मई 2024 को कोर्ट ने अभियुक्त शरद कालस्कर और सचिन अंदुरे को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है….
इस दौरान नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिले…इसी वजह से इस केस में फैसला आने में 11 साल लग गए….डॉ. दाभोलकर हत्याकांड मामले में जनवरी 2014 में पुणे पुलिस ने पहली गिरफ़्तारी की….कथित बंदूक डीलर मनीष नागोरी और उसके हेल्पर विकास खंडेलवाल को हिरासत में लिया गया था….हालांकि, दोनों गिरफ़्तारियों की वजह से विवाद भी खड़ा हो गया था क्योंकि…इन दोनों को हत्या के मामले में नहीं बल्कि वसूली के मामले में दाभोलकर की हत्या के महज कुछ घंटों के भीतर ही पकड़ा गया था….
हालांकि, 21 जनवरी 2014 को इस मामले में बड़ा मोड़ तब आया, जब अभियुक्तों ने एटीएस चीफ राकेश मारिया पर ही आरोप लगा दिया कि उन्होंने दाभोलकर की हत्या की बात कबूल करने के लिए 25 लाख रुपये की पेशकश की थी…दूसरी तरफ पुणे पुलिस ने भी इन दोनों आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल नहीं किया और बाद में ये कहा गया कि उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं था….
नतीजा ये हुआ कि कोर्ट ने दोनों आरोपियों को ज़मानत पर रिहा कर दिया….ऐसे में पुणे पुलिस की जांच पर सवाल उठने लगे, जांच जब भटकती दिखी तो मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग उठी….फलस्वरूप जून 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने दाभोलकर केस को सीबीआई को सौंप दिया….सीबीआई ने पहली गिरफ़्तारी 10 जून 2016 में की….सनातन संस्था से जुड़े डॉ वीरेंद्र सिंह तावड़े को गिरफ़्तार किया गया, जो कि एक मेडिकल प्रोफेशनल और ईएनटी स्पेशलिस्ट थे… सीबीआई ने दावा किया कि दाभोलकर की हत्या की योजना बनाने में तावड़े की भूमिका थी….सीबीआई के मुताबिक़, हत्या के पीछे की वजह सनातन संस्था और महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के बीच टकराव था….इसके बाद हत्या की साजिश रचने के आरोप में तावड़े के ख़िलाफ़ 6 सितंबर 2016 को चार्जशीट दाखिल की गई थी….
इसी चार्जशीट में सीबीआई ने दावा किया कि सनातन संस्था के दो भगोड़े सदस्यों सारंग अकोलकर और विनय पवार ने दाभोलकर को गोली मारी थी….सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक़, तावड़े ने अकोलकर और पवार को दाभोलकर को मारने का निर्देश दिया था….बाद में सीबीआई की जांच भी विवादों में आ गई….सीबीआई ने शुरुआत में कहा था कि सारंग अकोलकर और विनय पवार ने दाभोलकर को गोली मारी थी….लेकिन अगस्त 2018 में शरद कालस्कर और सचिन अंदुरे नाम के दो आरोपियों को दाभोलकर पर गोली चलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया….
ये दावा सीबीआई के पुराने दावे से अलग था….सीबीआई ने ये बताया कि गौरी लंकेश मर्डर केस के मुख्य आरोपी अमोल काले ने अंदुरे को दाभोलकर पर हमले के लिए पिस्तौल और मोटरसाइकिल मुहैया कराई थी….आखिरकार देर ही सही लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर को कोर्ट द्वारा न्याय मिल गया…क्राइम से जुड़ी ऐसी ही खास जानकारी के लिए देखते रहिए AIRR NEWS………
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