Criminalization and Politics: The Story of Cases Against Amarmani Tripathi
अपराधीकरण और राजनीति: Amarmani Tripathi के खिलाफ मामलों की कहानी
“राजनीती में अपराधीकरण , हमारे देश के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है जिसकी वजह से हमारी कानून और न्याय व्यवस्था प्रभावित होती है। लेकिन आज़ादी के इतने वर्षो के बाद भी हम इस प्रणाली को बदल नहीं पाए या यु कहे की हम बदलना ही नहीं चाहते। “
जी है आप सही समझे हमारी आज की खास पेशकश में हम बात करेंगे ,राजनीति और अपराधीकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण , बस्ती के पूर्व मंत्री Amarmani Tripathi के बारे में , और साथ ही बात करेंगे उनके खिलाफ चल रहे दो मुकदमों के बारे में, जिनमें पहला मामला जुड़ा है , एक व्यापारी के बेटे के अपहरण का और दूसरा है कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या का । इन दोनों ही मामलों में Amarmani Tripathi और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी , लेकिन अफ़सोस राजनीति और कानून व्यवस्था की मजबूरी कहे या फिर मिलीभगत वे अभी भी जेल से बाहर हैं और बार बार आदेशों के बाद भी अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं।
आइये आपको विस्तार से बताते है की आखिर क्यों ये दोनों पति पत्नी कानून की गिरफ्त से भाग रहे है और उनके ऊपर क्या क्या संगीन आरोप लगाए गए है और आखिर किस वजह से उन्हें वक़्त से पहले जेल से रिहा कर दिया गया था। सबसे पहले बात करते है उस मामले का जिसका आरंभ हुआ उस वक़्त जब बस्ती , गांधी नगर के मशहूर व्यापारी धर्मराज गुप्ता के बेटे राहुल को स्कूल जाते वक़्त अपहृत कर लिया गया। जिसे बाद में लखनऊ स्थित अमरमणि त्रिपाठी के निवास स्थल बंधक पाया गया, आपको बता दे की त्रिपाठी उस समय विधानसभा के सदस्य थे। इस घटना के बाद पुलिस ने अमरमणि त्रिपाठी और अन्यों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस ने इस मामले में अमरमणि त्रिपाठी समेत कुल सात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालती कार्यवाही के बीच इनमें से एक की मौत हो गई और दो अन्य आरोपी जमानत के बाद ऐसे फरार हुए की पुलिस आज तक उन्हें ढूंढ रही है । बाद में इस केस से त्रिपाठी और शेष पांच आरोपियों की फाइल को अलग अलग कर दिया गया था। इसके अलावा अमरमणि त्रिपाठी ने कई बार कोर्ट के समन का उल्लंघन किया और अपनी ख़राब तबीयत के बहाने से अदालत में पेश नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ नॉन-बेलेबल वारंट जारी किया और उनकी संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया, साथ ही कोर्ट ने बस्ती के जिला पुलिस अधीक्षक को एक विशेष टीम का गठन करने और त्रिपाठी को गिरफ्तार करने के लिए निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि त्रिपाठी के खिलाफ दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 83 जो भगोड़े अपराधियों के ऊपर लगाई जाती है जिसके बाद भगोड़े अपराधी की संपत्ति जब्त की जाती है के तहत त्रिपाठी की संपत्ति जब्ती के आदेश दिए और उस पर पुलिस कैसे कार्य कर रही है इसकी जानकारी कोर्ट को देने का भी आदेश दिया गया। कोर्ट को इस मामले में पुलिस द्वारा नियुक्त किये गए असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस देपेंदर नाथ ने कहा कि त्रिपाठी को गिरफ्तार करने के लिए एक नई टीम का गठन किया जाएगा और जल्द ही उसे कोर्ट के सामने पेश किया जायेगा।
आपको बता दे की ,पुलिस को भगोड़े त्रिपाठी और उसकी पत्नी के अलावा अन्य कुछ आरोपियों की भी तलाश है जिनका संबंध राहुल के साथ साथ 2003 में हुए एक और मामले में तलाश है जिसमे इनके ऊपर एक 24 वर्षीय कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या करवाने का भी आरोप है। जिसकी हत्या उसके घर में जबरदस्ती घुस आये दो अजनबी हत्यारो द्वारा निकट से गोली मारकर की गई थी । आपको याद होगा की जिस वक़्त मधुमिता की हत्या की गयी तो उसकी पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में पाया गया था की वो उस समय सात महीने गर्भवती थी। गर्भ में भूर्ण का डीएनए टेस्ट जब त्रिपाठी से मिलाया गया तो पता चला कि मधुमिता और अमरमणि त्रिपाठी के बीच एक अवैध संबंध था और मधुमिता के गर्भ में जो भ्रूण था वह अमरमणि का ही था। सीबीआई ने अपनी शुरुआती जाँच में ही इस मामले में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, उनके भतीजे रोहित चतुर्वेदी और संतोष कुमार राय को संदिग्ध मानकर उन पर पर भारतीय दंड सहिता की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया था ।
मधुमिता शुक्ला की हत्या के बाद, सीबीआई ने इस मामले में दावा किया कि अमरमणि त्रिपाठी ने मधुमिता के साथ अवैध संबंध बनाए थे और जब वह गर्भवती हुई तो उन्होंने उसे छोड़ने का दबाव बनाया। जब मधुमिता ने इनकार किया तो अमरमणि ने उनकी हत्या करने का साजिश रची। सीबीआई ने यह भी बताया कि अमरमणि की पत्नी मधुमणि ने भी इस साजिश में भाग लिया था।
सीबीआई ने अमरमणि, मधुमणि, रोहित और संतोष को मधुमिता की हत्या के आरोपों में गिरफ्तार किया। सीबीआई ने अदालत में सारे सबूत और गवाहों को पेश किया, जिसमे बताया गया की रोहित और संतोष ही वो हत्यारे थे जिन्होंने मधुमिता को गोली मारी थी और उनके पास अमरमणि और मधुमणि से हुई बातचीत के रिकॉर्ड के अलावा मधुमिता की लिखी डायरी, डीएनए रिपोर्ट और गवाहों के बयान जैसे सबूत थे।
2007 में उत्तराखंड की एक सीबीआई अदालत ने इन चारों आरोपियों को मधुमिता की हत्या के लिए दोषी पाया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद इन आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी उनकी अपील खारिज हो गई। फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जो तब तक निर्णयाधीन थी जब तक यूपी सरकार ने अमरमणि और मधुमणि को जेल से रिहा करने का आदेश दिया, जिसका कारण उनकी बुरी सेहत और जेल में अच्छे आचरण का बताया गया। 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार के लिए इस फैसले को मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि अमरमणि और मधुमणि ने जेल में 11 साल से कम समय बिताया है और उन्हें रिहा करना न्याय के विरुद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है, की आखिर क्यों उन्होंने वक़्त से पहले त्रिपाठी और उसकी पत्नी को रिहा करने का आदेश दिया।
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