Criminalization of Politics in India and the Ongoing Controversy over the Appointment of the Election Commission
भारत में Criminalization of Politics और चुनाव आयोग की नियुक्ति पर चल रहा विवाद
आज हम बात करेंगे भारत में राजनीति का अपराधीकरण और हाल ही मैं चुनाव आयोग की नियुक्ति पर चल रहे विवाद के बारे में।
भारत की राजनीति का अपराधीकरण एक गंभीर समस्या है, जिसका सीधा असर हमारे लोकतंत्र पर पड़ रहा है। अनेक रिपोर्टों में यह बताया गया है कि भारत के वर्तमान संसद सदस्यों में से 40% ने खुद को किसी न किसी अपराधी मामले में आरोपी बताया है । इनमें से 25% को गंभीर अपराधों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आरोपी होने का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में ये सवाल उठता है की,
आखिर आपराधिक छवि वाले राजनेताओं का राजनीति में प्रवेश कैसे हुआ?
इसके पीछे कौन-कौन से कारण हैं?
इससे हमारे लोकतंत्र को क्या नुकसान हो रहा है?
और इससे निपटने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
इन सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे आज की इस खास वीडियो में ।
एक समय था जब राजनीती को निस्वार्थ सेवाभाव से जन सेवा के रूप में एक पवित्र कर्तव्य माना जाता था। लेकिन वर्तमान में अपराधी राजनेताओं का राजनीति में प्रवेश करने का एक मुख्य कारण यह है कि भारतीय कानूनी प्रणाली में लंबित मामलों की संख्या बहुत अधिक है। इसके अनुसार, दिसंबर 2021 तक देश भर की विभिन्न अदालतों में विधायकों से जुड़े कुल 4,984 आपराधिक मामले लंबित थे। इसका मतलब यह है कि इन मामलों का निपटारा बहुत देरी से होता है और इस दौरान आरोपी राजनीति में शामिल होकर अपनी छवि बदलने और अपने प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
इसके अलावा, अन्य कारण भी हैं जो राजनीति के अपराधीकरण को बढ़ावा देते हैं, जिन पर हम अब आगे बात करेंगे
भारतीय राजनीती ने विभिन्न राजनितिक दल अपने चुनावी लाभ के लिए अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देते है क्योंकि अपराधी उम्मीदवारों के पास अक्सर धनबल, बाहुबल और जनाधार होता है, जिससे वे चुनावी अभियान में अधिक पैसा खर्च करते हैं और अपने क्षेत्र में डर और भेदभाव का माहौल पैदा करते हैं।
इसके अलावा ऐसे उम्मदवारो को मतदाता जाति, धर्म, भाषा या राजनीतिक वफादारी के आधार पर मतदान करते है क्योंकि वे अपराधी उम्मीदवारों के खिलाफ आवाज उठाने या उनके विरोध में मतदान करने से कतराते हैं।
भारतीय कानूनी व्यवस्था भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती है क्योंकि हमारी कानून प्रणाली में बहुत सी कमियाँ और अस्थिरता है । हिस्की वजह से अपराधी उम्मीदवारों को बार-बार जमानत मिलती है और वे अपने अपराधों से बचने के लिए अपने प्रभाव और संपर्क का इस्तेमाल करते हैं।
इस तरह राजनीति के अपराधीकरण से हमारे लोकतंत्र को कई सारे नुकसान हो रहे हैं,और सबसे बड़ी हानि हमारे देश में चुनावी पारदर्शिता और न्याय के सिद्धांत को होती है । भारतीय राजनीती में योग्य और एक अच्छे उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए मतदाताओं की पसंद को सीमित कर दिया जाता है और उन्हें बुरे उम्मीदवारों में से ही एक को चुनने का दबाव डाला जाता है।
लोकतंत्र में राजनीतिक नीतियों और कार्यक्रमों की कमी भी एक सबसे बड़ी वजह है जो अपराधी उम्मीदवारों को जनता की वास्तविक समस्याओं और आवश्यकताओं को अनदेखा करने और अपने स्वार्थ के लिए राजनीति करने का मौका देता है।
और लोकतंत्र की गरिमा और विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचता है । यह अपराधी उम्मीदवारों को चुनाव आयोग, न्यायपालिका, पत्रकारिता और अन्य लोकतांत्रिक संस्थाओं को दबाने और अपने पक्ष में मोड़ने का अधिकार देता है।
लेकिन इन सभी खामियों से निपटने के लिए आज़ादी के बाद हमारे संविधान में और चुनाव अचार सहिंता में कुछ नियमो या कानूनों का वर्णन किया है, जिससे चुनाव आयोग की स्वायत्तता और प्रभावशीलता को ताकत मिलती है । यह चुनाव आयोग को Criminalization of Politics को चुनावी प्रक्रिया से बाहर रखने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार और जिम्मेदारी देते है।
लेकिन वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद से ये मांग फिर से उठने लगी है की ,चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक पारदर्शी, निष्पक्ष और संवैधानिक प्रक्रिया का निर्वहन होना चाहिए । इसके लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करना चाहिए, जिसने कहा था कि चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष की अध्यक्षता वाली एक समिति की सलाह पर होना चाहिए। ना की सत्ता पक्ष के द्वारा।
इसके अलावा मतदाताओं को जागरूक और सशक्त बनाना जरुरी है , ताकि मतदाताओं को अपने मताधिकार का सही उपयोग करने और Criminalization of Politics को नकारने के लिए प्रेरणा मिले ।
आपके उत्तर्दायित्वपूर्ण सवालों के सामने हम सबको विचारशील और सचेत होने की आवश्यकता है। अपराधीकरण की समस्या ने हमारे लोकतंत्र की गरिमा को धूमिल कर दिया है। यह हमारे समाज के लिए एक चुनौती है जिसे हमें मिलकर सामना करना होगा। हमें अपने मताधिकार का सही उपयोग करने की जरूरत है और अपराधी उम्मीदवारों को नकारने के लिए प्रेरित होना होगा।
अंत: हमें यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। आइए, हम सब मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं और अपने लोकतंत्र को मजबूत बनाएं।
धन्यवाद।
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