Covishield के बाद अब सवालों में कोवैक्सिन-Covishield side effects news
स्टडी में सामने आए कई side effects
सांस का इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग के मामले दिखे
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च
कुछ दिन पहले कोरोना वैक्सीन Covishield को लेकर जो खबर आई थी उसने सबके परेशान कर दिया था.. Covishield वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट सामने आए थे.. वहीं अब कोवैक्सिन को लेकर भी ऐसी खबरें सामने आ रही हैं.. नमस्कार AIRR NEWS में आपका स्वागत हैं…
भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन- कोवैक्सिन के भी साइड इफेक्ट्स हैं.. ये बात इकोनॉमिक टाइम्स ने साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में पब्लिश हुई एक रिसर्च के हवाले से लिखी है.. रिसर्च के मुताबिक, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में हुई स्टडी में हिस्सा लेने वाले लगभग एक तिहाई लोगों में कोवैक्सिन के side effects देखे गए हैं..
इन लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉटिंग और स्किन से जुड़ी बीमारियां देखी गईं। शोधकर्ताओं ने पाया कि टीनएजर्स, खास तौर पर किशोरियों और किसी भी एलर्जी का सामना कर रहे लोगों को कोवैक्सिन से खतरा है.. हालांकि कुछ दिन पहले कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि उनकी बनाई हुई वैक्सीन सुरक्षित है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोवैक्सिन के दो डोज लगवाए थे.. स्टडी में वैक्सीन को लेकर जो समस्याएं आई हैं वो चौंकाने वाले हैं.. आपको इस वीडियो में हम बताएंगे वो क्या समस्याएं है जो रिपोर्ट्स में सामने आई हैं… लोगों में सांस संबंधी इन्फेक्शन बढ़ गया है… स्टडी करने वाले शंख शुभ्रा चक्रवर्ती ने कहा, “हमने उन लोगों का डेटा कलेक्ट किया जिन्हें वैक्सीन लगे एक साल हो गया था.. –Covishield side effects news
1,024 लोगों पर स्टडी हुई.. इनमें से 635 किशोर और 291 वयस्क शामिल थे।”..स्टडी के मुताबिक, 304 (47.9%) किशोरों और 124 (42.6%) वयस्कों में सांस संबंधी इन्फेक्शन देखे गए.. इससे लोगों में सर्दी, खांसी जैसी समस्याएं देखी गईं.. वहीं ये भी पाया गया कि स्टडी में हिस्सा लेने वाले टीनएजर्स में स्किन से जुड़ी बीमारिया, नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर और जनरल डिसऑर्डर देखे गए..
वहीं, वयस्कों में जनरल डिसऑर्डर, मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़े डिसऑर्डर और नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर देखे गए.. कोवैक्सिन के side effects पर हुई स्टडी में 4.6% किशोरियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं देखी गईं.. प्रतिभागियों में आंखों से जुड़ी असामान्यताएं और हाइपोथायरायडिज्म भी देखा गया.. वहीं, 0.3% प्रतिभागियों में स्ट्रोक और 0.1% प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान भी हुई.. अब आपको बताते हैं कि गुलियन बेरी सिंड्रोम होता क्या है..तो GBS एक ऐसी बीमारी है जो लकवे की ही तरह शरीर के बड़े हिस्से को धीरे-धीरे निशक्त कर देती है..
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के मुताबिक, गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) एक रेयर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है.. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्टडी में हिस्सा लेने वाले जिन टीनएजर्स और महिला वयस्कों को पहले से कोई एलर्जी थी और जिन्हें वैक्सीनेशन के बाद टाइफाइड हुआ उन्हें खतरा ज्यादा था.. -Covishield side effects news
वहीं भारत बायोटेक ने ये दावा किया था कि कोवैक्सिन के चलते किसी बीमारी का केस सामने नहीं आया है…दरअसल 2 मई को कंपनी ने कहा था कि कोवैक्सिन की सुरक्षा का मूल्यांकन देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था..कोवैक्सिन बनाने से लगाने तक लगातार इसकी सेफ्टी मॉनिटरिंग की गई थी.. कोवैक्सिन के ट्रायल से जुड़ी सभी स्टडीज और सेफ्टी फॉलोअप एक्टिविटीज से कोवैक्सिन का बेहतरीन सेफ्टी रिकॉर्ड सामने आया है।
अब तक कोवैक्सिन को लेकर ब्लड क्लॉटिंग, थ्रॉम्बोसाइटोपीनिया, TTS, VITT, पेरिकार्डिटिस, मायोकार्डिटिस जैसी किसी भी बीमारी का कोई केस सामने नहीं आया है…कंपनी ने कहा था कि अनुभवी इनोवेटर्स और प्रोडक्ट डेवलपर्स के तौर पर भारत बायोटेक की टीम यह जानती थी कि कोरोना वैक्सीन का प्रभाव कुछ समय के लिए हो सकता है, पर मरीज की सुरक्षा पर इसका असर जीवनभर रह सकता है। यही वजह है कि हमारी सभी वैक्सीन में सेफ्टी पर हमारा सबसे पहले फोकस रहता है.. वहीं कुछ दिन पहले ही Covishield को लेकर भी नई सच्चाई सामने आई थी..कोवीशील्ड को लेकर विवाद चल रहा है
कि इसे लगाने से कुछ केस में लोगों को थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। स्ट्रोक और हार्ट बीट थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं..दरअसल, भारत में सबसे पहली कोरोना वैक्सीनb Covishield है। इसे पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। Covishield फॉर्मूला ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका से लिया गया है। एस्ट्रेजेनेका ने अब ब्रिटिश अदालत में माना कि उनकी वैक्सीन के गंभीर side effects हैं…कोरोना वैक्सीन Covishield पर उठ रहे सवालों के बीच कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि हमारी वैक्सीन सुरक्षित है।
इसे बनाते समय हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा थी और दूसरी प्राथमिकता वैक्सीन की गुणवत्ता थी..कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन भारत सरकार के कोविड-19 वैक्सीन प्रोग्राम की इकलौती वैक्सीन थी, जिसके ट्रायल भारत में हुए थे। कंपनी के मुताबिक, लाइसेंस पाने की प्रक्रिया के तहत कोवैक्सिन का 27 हजार लोगों पर ट्रायल किया गया था। इसे क्लिनिकल ट्रायल मोड के तहत सीमित इस्तेमाल के लिए लाइसेंस दिया गया था,
जहां हजारों लोगों पर इसका ट्रायल किया गया था..दरअसल, कोवीशील्ड को लेकर विवाद चल रहा है कि इसे लगाने से कुछ केस में लोगों को TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। स्ट्रोक और हार्ट बीट थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं..
हालांकि कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन की सुरक्षा का मूल्यांकन देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था। कोवैक्सिन बनाने से लगाने तक लगातार इसकी सेफ्टी मॉनिटरिंग की गई थी। कोवैक्सिन के ट्रायल से जुड़ी सभी स्टडीज और सेफ्टी फॉलो-अप एक्टिविटीज से कोवैक्सिन का बेहतरीन सेफ्टी रिकॉर्ड सामने आया है। अब तक कोवैक्सिन को लेकर ब्लड क्लॉटिंग, थ्रॉम्बोसाइटोपीनिया, TTS, VITT, पेरिकार्डिटिस, मायोकार्डिटिस जैसी किसी भी बीमारी का कोई केस सामने नहीं आया है..
कंपनी ने कहा कि अनुभवी इनोवेटर्स और प्रोडक्ट डेवलपर्स के तौर पर भारत बायोटेक की टीम यह जानती थी कि कोरोना वैक्सीन का प्रभाव कुछ समय के लिए हो सकता है, पर मरीज की सुरक्षा पर इसका असर जीवनभर रह सकता है.. यही वजह है कि हमारी सभी वैक्सीन में सेफ्टी पर हमारा सबसे पहले फोकस रहता है.
.पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने देश में कोरोना की पहली वैक्सीन बनाई थी। इसे कोवीशील्ड नाम दिया गया। इसका फॉर्मूला ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन से लिया गया था। हाल ही में एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन के कोर्ट में माना है कि उनकी कोविड-19
वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा…. वहीं अब कोवैक्सिन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.. ऐसे में लोगों के बीच थोडा डर का माहौल है.. इसी तरह की खबरों की अपडेट के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ…
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