कोरोना महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है। इस महामारी ने दुनिया के अधिकांश देशों की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया, और कई देश अब तक इससे उबर नहीं पाए हैं। हालांकि, इसी दौरान कुछ देशों ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने और मजबूती प्रदान करने में सफलता हासिल की है। भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में, एक ऐसा ही देश है जिसने न केवल महामारी से उबरने में कामयाबी पाई बल्कि नई ऊंचाइयों को भी छू लिया। इस वित्तीय वर्ष में 8.2 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर्ज करके भारत ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जो कि दुनिया के अनुमानों से भी ज्यादा है।-covid-19 in india update
वहीं, दूसरी ओर, हमारे पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान, आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। चीन, जो एक समय पर विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था थी, अब आर्थिक परेशानियों से घिरा हुआ है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी गंभीर है, जहां राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी कारक उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं।
यहाँ प्रश्न उठता है: कैसे भारत ने इस कठिन समय में अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, जबकि चीन और पाकिस्तान संघर्ष कर रहे हैं? क्या मोदी सरकार की नीतियाँ और निर्णय इस सफलता का मुख्य कारण हैं? और क्या इन नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव होगा? आइए, इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए इस घटना का विस्तृत विश्लेषण करते हैं।-covid-19 in india update
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कोरोना महामारी ने जब दुनिया भर में कहर बरपाया, तब अनेक देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे थे। ऐसे समय में भारत ने न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को संभाला बल्कि 8.2 फीसदी की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने कई नई नीतियों और सुधारों को लागू किया, जिन्होंने देश को इस संकट से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। -covid-19 in india update
मोदी सरकार के दस वर्षों के शासनकाल में 25 करोड़ नागरिकों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का दावा किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की सफलता को दर्शाती है। आर्थिक सुधारों के साथ-साथ, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों ने देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।
वहीं, चीन की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। एएफपी के अनुसार, चीन की आर्थिक परेशानियाँ अभी भी जारी हैं, और देश को 2024 के लिए अपने लक्ष्यों को हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। बीजिंग ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग पांच प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए अभी भी कई जोखिम और चुनौतियाँ हैं। चीन का रियल एस्टेट क्षेत्र सबसे बड़े जोखिमों में से एक है, जहां प्रमुख डेवलपर्स दिवालियेपन के कगार पर हैं और गिरती कीमतों के कारण उपभोक्ताओं को हतोत्साहित कर रही हैं।
पाकिस्तान की स्थिति भी चिंताजनक है। एशियाई विकास बैंक (ADB) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का आर्थिक दृष्टिकोण अनिश्चित बना हुआ है। राजनीतिक अस्थिरता और मध्य पूर्व में संघर्ष से आपूर्ति श्रृंखला में संभावित व्यवधान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और प्रभावित कर सकते हैं। ADB ने वित्तीय वर्ष 2024 में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि की भविष्यवाणी की है, जो बहुत ही कम है और इससे देश की आर्थिक चुनौतियों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
भारत की 8.2 फीसदी की आर्थिक वृद्धि केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह मोदी सरकार की सफल नीतियों और योजनाओं का परिणाम है। आइए, इन नीतियों और उनके प्रभाव का विस्तार से विश्लेषण करें।
1. आर्थिक सुधार और नीतियाँ
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए। इनमें जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का कार्यान्वयन, दिवालिया कानून, और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में सुधार शामिल हैं। इन सुधारों ने व्यापार को सुगम बनाया और निवेश को आकर्षित किया, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आई।
2. डिजिटल इंडिया और टेक्नोलॉजी
डिजिटल इंडिया अभियान ने देश में डिजिटल अवसंरचना को मजबूत किया। इससे न केवल सरकारी सेवाएँ अधिक सुलभ हुईं, बल्कि डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स में भी वृद्धि हुई। यह अभियान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की डिजिटल खाई को पाटने में भी सहायक रहा।
3. आत्मनिर्भर भारत
आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य देश को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके तहत, विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा दिया गया और स्थानीय उद्योगों को मजबूत किया गया। इस अभियान ने भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया और रोजगार के अवसर बढ़ाए।
4. सामाजिक कल्याण योजनाएँ
मोदी सरकार ने विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाएँ भी शुरू कीं, जैसे उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, और प्रधानमंत्री आवास योजना। इन योजनाओं ने गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन स्तर को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आपको बता दे कि चीन की आर्थिक स्थिति में गिरावट का मुख्य कारण रियल एस्टेट क्षेत्र की समस्याएँ और उपभोक्ता विश्वास की कमी है। चीन की सरकार द्वारा विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद, आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है। बीजिंग का 5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसे प्राप्त करना कठिन हो सकता है।
पाकिस्तान की आर्थिक समस्याएँ भी गंभीर हैं। राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी कारक, जैसे कि मध्य पूर्व में संघर्ष, उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। एडीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि धीमी है और सुधार की आवश्यकता है।
वैसे ऐसी कई घटनाएँ हैं जहाँ देशों ने अपने आर्थिक संकट से उबरने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। उदाहरण के लिए, 1991 में भारत ने आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाई, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को नया जीवन दिया। इसी प्रकार, दक्षिण कोरिया ने 1997 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद आर्थिक सुधार किए, जिसने उसकी अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाया।
तो इस तरह भारत ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में सफलता हासिल की है, जबकि चीन और पाकिस्तान अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। मोदी सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों ने देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है और इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया है।
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