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गरीबछात्रों के मसीहा हैं कार्पोरेटर वृजेश उनादकट

सूरत शहर के युवा और गतिशील राजनीतिज्ञों में वृजेश उनादकट का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। श्री वृजेश उनादकट सोनी फलिया, नानपुरा, अठवालाईन्स और पिपलोद के क्षेत्रीय पार्षद ​हैं। उन्होंने एसएससी की परीक्षा साल 2000 में वीरानी स्कूल राजकोट से पास की है। साल 2021 में दिए गए चुनावी हलफनामें उनके नाम 40 लाख रूपए की चल संपत्ति और एक करोड़ रूपए की अचल संपत्ति शामिल है।

डायमंड सिटी निवासी मि. उनादकट अपने नवाचार के लिए जाने जाते हैं। बता दें कि सूरत नगर निगम में काउसंलर का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने दोस्तों से गुलदस्ता और मालाएं देने के बजाय उनसे ‘रद्दी’ और पुराने अखबार देने का अनुरोध किया था। बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले नेता उनादकट ने अपने शुभचिंतकों से मिले पुराने अखबारों को बेचकर जरूरतमंद तथा गरीब छात्रों के लिए नोटबुक खरीदा, नवाचार का इससे बेहतरीन उदाहरण दूसरा कुछ नहीं हो सकता।  

जानकारी के लिए बता दें कि वृजेश उनादकट जसदान के मूल निवासी हैं और जब से वह राजनीति में सक्रिय हुए तब से सूरत में रहते हैं। वृजेश उनादकट की पत्नी प्रियंका उनादकट हैं। अपने राजनीतिक जीवन की सक्रिय शुरूआत के साथ ही उन्होंने रद्दी और पुरानी किताबों को इकट्ठा करने का अभियान शुरू किया और सूरत में आस-पास के इलाकों में रहने वाले गरीब छात्रों को किताब वितरित करने के लिए इन्हें बाजार में बेचना शुरू कर दिया।

वृजेश उनादकट रियल एस्टेट सेक्टर में भी कारोबार करते हैं। कार्पोरेटर का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपनी जीत की शुभकामना देने के लिए ‘रद्दी’ और पुरानी किताबें लाने की विशेष अपील पोस्ट करने में तनिक भी देर नहीं की। इसलिए भरथना युवक मंडल जैसे स्थानीय निकाय और उसके सदस्य उपहार के रूप में उनके लिए 300 किलोग्राम रद्दी लाए, जिसका उपयोग वह इस समूह के साथ अपने वार्ड के आस-पास के इलाकों में स्थित गरीब छात्रों के लिए धन जुटाने के लिए किया। आज तक वे गरीब और जरूरतमंद छात्रों की मदद के लिए पिछले कुछ वर्षों में सूरत के अठवालाइन्स में 2800 से अधिक घरों से ‘रद्दी’ एकत्र कर चुके हैं।

श्री वृजेश उनादकट के मुताबिक उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम से प्ररेणा लेकर साल 2015 में अपनी पत्नी प्रियंका उनादकट की मदद से यह पहल शुरू की थी। बता दें कि सूरत में घरों से रद्दी कागज इकट्ठा करने से शुरुआत करने के बाद, अब उनादकट दंपत्ति ‘पस्ती दान से पुस्तक दान’ नाम से अभियान चलाता है।

व्रजेश उनादकट को शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई बाद में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) कार्यकर्ताओं की मदद से, वह एक स्कूल से दूसरे स्कूल, एक समाज से दूसरे समाज का दौरा करते थे, ताकि बच्चों को वे किताबें देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। जल्द ही विभिन्न समुदायों के लोग अपना समय देने के लिए सहमत हो गए और लोग अब अभियान में अपना योगदान देने के लिए आगे आ रहे हैं। श्री उनादकट और उनकी टीम में महज 15 दिनों के भीतर 1000 किलोग्राम कागज कचरा इकट्ठा करने में बड़ी सफलता हासिल की, ऐसे में यह उनकी पहली सफलता रही। उनके पास स्वयंसेवकों के रूप में कई महिलाएं और युवा लड़कियां हैं जो बुक बैंक स्थापित करने में मदद करती हैं। वे उन गरीब छात्रों को किताबें उपलब्ध कराते हैं जो पढ़ाई के लिए महंगी शैक्षिक किताबें खरीदने की स्थिति में नहीं हैं। गौरतलब है कि ‘पस्ती दान से पुस्तक दान अभियान’ से मिले कचरे से उन गरीबों बच्चों को करीब 1,00,000 से अधिक नोटबुक दान किया जा चुका है, जिनके परिवार उनकी शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते।

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