Consumer Court imposed heavy fine on Delhi VSR Infrastructure Private Limited

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VSR Infrastructure Pvt Ltd: जरा सोचें कि आपने अपनी सारी जमा पूंजी घर खरीदने में लगा दी और अब न घर मिल रहा है और न बिल्डर से पैसे. कुछ ऐसा ही हुआ गुरुग्राम के निर्मल सतवंत सिंह के साथ. उन्होंने 24 जुलाई, 2013 को दिल्ली के बिल्डर वीएसआर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से 114 एवेन्यू में तीन फ्लैट बुक कराए. निर्मल ने इन तीन फ्लैटों के लिए 2.4 करोड़ रुपये चुकाए. बिल्डर ने उनसे तीन साल के भीतर पजेशन देने का वादा किया, लेकिन देखते ही देखते 11 साल बीत गए लेकिन निर्मल को बिल्डर से फ्लैट का मालिकाना हक नहीं मिला. 

बिल्डर ने रिफंड देने से किया मना

निर्मल ने इस मुद्दे को कंपनी से कई दफा बातचीत कर सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन बिल्डर हर बार टालमटोल करता रहा. निर्मल ने कंपनी से अपील की कि या उन्हें फ्लैट का पोजेशन दे दें या रिफंड कर दें, लेकिन बिल्डर ने न तो पोजेशन दिया और बाद में रिफंड देने से भी मना कर दिया. आखिरकार निर्मल ने मदद के लिए कन्ज्यूमर कमीशन का दरवाजा खटखटाया.

कंपनी ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष

निर्मल की इस कार्रवाई पर तर्क देते हुए वीएसआर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा कि घर खरीदने वाला कोई कन्ज्यूमर नहीं है इसलिए उनके इस मसले को सुलझाना कन्ज्यूमर कोर्ट के दायरे में नहीं आता. इसी के साथ कंपनी ने कोर्ट से निर्मल की याचिका को खारिज करने की मांग की. कंपनी ने कोर्ट से यह भी कहा कि निर्मल ने घर अपने फायदे के लिए खरीदा है, कमर्शियल मकसद से नहीं. 

कंपनी ने अपना पक्ष रखते हुए यह भी कहा कि पोजेशन में देरी पॉल्यूशन और सरकार द्वारा कंस्ट्रक्शन में लगाई गई रोक की वजह से हो रही है. कंपनी ने कहा कि फ्लैट तैयार है, बस ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलना बाकी है, इसके मिलते ही पोजेशन दे दिया जाएगा.

कोर्ट ने बिल्डर को लगाई फटकार

इधर, कोर्ट ने वीएसआर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड फटकार लगाते हुए उनकी सभी दलीलें खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा, घर खरीदने वाला भी कन्ज्यूमर की कैटेगरी में आता है. घर भले ही अपने रहने के लिए खरीदा गया हो, लेकिन इसके लिए पैसे चुकाए हैं. 

इसी के साथ कोर्ट ने निर्मल को 2.4 करोड़ रुपये रिफंड करने का कंपनी को ऑर्डर दिया. इसके अलावा, मेंटल हैरेसमेंट के लिए 5 लाख रुपये और कानूनी लड़ाई में हुए खर्च के लिए मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये देने का भी निर्देश दिया. 

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